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लुप्त होती कलाओं के संरक्षण व युवाओं को संस्कृति से जोडऩे के लिए बनाएं कार्य योजना : राज्यपाल

जयपुर, 08 फरवरी (हि. स.)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि देश के अलग-अलग अंचलों की लोक संस्कृति और लोककलाओं की विभिन्न विधाओं को एक सूत्र में पिरोकर देश की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण आज के समय की प्रमुख आवश्यकता है। उन्होंने आह्वान किया है कि साझा सांस्कृतिक विरासत को माध्यम बनाकर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत‘ की परिकल्पना को सही मायनों में साकार करने की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए। राज्यपाल मिश्र सोमवार को राजभवन में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष के तौर पर परिषद के शाषी निकाय और कार्यकारी निकाय की संयुक्त बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कलाएं और सांस्कृतिक विधाएं भौगोलिक सीमाओं से परे होती हैं, इन्हें प्रोत्साहन प्रदान कर अनुकूल मंच उपलब्ध करवाए जाने की जरूरत है ताकि इन्हें अक्षुण्ण बनाए रखते हुए भावी पीढ़ी के लिए संजोकर रखा जा सके। उन्होंने कहा कि जनजातियों की कलाओं को विलुप्त होने से बचाने के लिए अधिक सक्रियता से कार्य करने की जरूरत है। राज्यपाल मिश्र ने आह्वान किया कि युवाओं और बच्चों को संस्कृति से जोडऩे और सांस्कृतिक गतिविधियों में उनकी सहभागिता बढ़ाने के लिए पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र को योजना बनाकर चरणबद्ध रूप से कार्य करना चाहिए। उन्होंने केन्द्र को वित्तीय रूप से स्वावलम्बी बनाने के लिए इसके कार्यक्रमों और गतिविधियों के आयोजन में प्रायोजकों को साथ जोडऩे का सुझाव भी दिया। राज्यपाल मिश्र ने कहा कि पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की रचना के भौगोलिक पुनर्गठन के प्रस्ताव पर बैठक में सदस्य राज्यों के प्रतिनिधियों के सामने आए विचारों से भारत सरकार को पत्र लिखकर अवगत कराया जाएगा। कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के सदस्य राज्यों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान की जो परम्परा विकसित हुई है, उसे कायम रखने के लिए वर्तमान सदस्य राज्यों को इसी सांस्कृतिक केन्द्र से जोड़े रखना उचित होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल होने के कारण जिन सदस्य राज्यों में निर्धारित कैलेंडर के अनुसार कार्यक्रम आयोजित नहीं हो सके हैं, वहां शीघ्र कार्यक्रम करवाए जाएं। उन्होंने राजस्थान की तर्ज पर पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के सभी सदस्य राज्यों के कलाकारों की डिजिटल डायरी तैयार करवाने का सुझाव भी दिया। बैठक में केन्द्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने केन्द्र के वर्ष 2019-20 के कार्यक्रमों का ब्यौरा प्रस्तुत करने के साथ केन्द्र की वार्षिक योजना व कार्यक्रमों का विवरण प्रस्तुत किया। बैठक में निदेशक द्वारा केन्द्र के वर्ष 2019-20 का अंकेक्षित लेखा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। बैठक में इसके अलावा एजेंडा बिन्दुओं के अनुसार प्रकरणों पर विचार विनिमय किया गया। बैठक में गोवा के कला एवं संस्कृति मंत्री गोविन्द गौड़े, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद साराभाई, राजस्थान की कला एवं संस्कृति विभाग की सचिव मुग्धा सिन्हा, महाराष्ट्र के सांस्कृतिक कार्य विभाग के उप सचिव विलास आर. थोरात, ललित कला अकादमी नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. उत्तम पचारणे, राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्दराम जायसवाल सहित संबंधित अधिकारी वर्चुअल उपस्थित रहे। बैठक में सदस्य राज्यों राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा एवं केन्द्र शासित प्रदेश दमन-दीव से शाषी निकाय और कार्यकारी निकाय के सदस्यगण भी ऑनलाइन रूप से सम्मिलित हुए। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संंदीप-hindusthansamachar.in

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