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सीएम गहलोत ने किया कमलेश एनकाउंटर की जांच सीबीआई से कराने का फैसला

जयपुर, 31 मई (हि.स.)। बाड़मेर के बहुचर्चित कमलेश प्रजापत एनकाउंटर पर लगातार उठ रहे सवालों और विवाद के बाद गहलोत सरकार ने आखिरकार मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कमलेश एनकाउंटर की जांच सीबीआई को देने की मंजूरी दे दी है। सीएम की मंजूरी के बाद अब गृह विभाग सिफारिशी चिट्ठी, अधिसूचना और पूरे केस के दस्तावेज केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत मंत्रालय को भेजेगा। गृह विभाग केंद्र को सीबीआई जांच की सिफारिशी चिट्ठी भेजने की तैयारी में है। कमलेश एनकाउंटर पहले दिन से ही सवालों के घेरे में था। पुलिस इस मामले में जो कहानी बता रही थी, उस पर किसी को यकीन नहीं हो रहा था। पचपदरा विधायक मदन प्रजापत सहित प्रजापत समाज के गणमान्य लोगों ने एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग की थी। पिछले दिनों मदन प्रजापत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जयपुर में मुलाकात की थी। सीबीआई से जांच करवाने पर सहमति दी थी। आज मुख्यमंत्री ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मंजूरी दे दी। तस्कर कमलेश प्रजापत के 22 अप्रैल की रात को हुए पुलिस एनकाउंटर पर विवाद लगातार गहराता जा रहा था। एनकाउंटर से जुड़ा सीसीटीवी फुटेज वायरल होने के बाद एनकाउंटर सवालों के घेरे में आया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक कमलेश को 4 गोली लगी थी। चारों गोली लेफ्ट साइड से लगी थी। एक भी गोली पांव पर नहीं लगी है। चारों गोली कमर और कमर से ऊपर लगी है। पुलिस की बताई कहानी की पोल पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोल दी। पुलिस की एफआईआर में कमलेश की गाड़ी का विंड शीट टूटा हुआ बताया गया, जबकि वायरल सीसीटीवी में पुलिसकर्मी डंडे से गाड़ी की विंडशीट तोड़ते हुए दिख रहे हैं। सवाल यह है कि पुलिस ने डंडे से विंड शीट क्यों तोड़ी? पुलिस को कमलेश पर 4 राउंड फायर करने की क्या जरूरत पड़ी, जबकि उसकी गाड़ी में कोई हथियार नहीं मिला। कमलेश एनकाउंटर की सीआईडी सीबी भी जांच कर रही है। पिछले दिनों सीआईडी सीबी की टीम ने एनकाउंटर स्थल पर जाकर जांच की है। गहलोत सरकार की सीबीआई जांच की सिफारिश वाली चिट्ठी केंद्र सरकार को जाने के बाद इस केस का परीक्षण होगा। सीबीआई केंद्रीय कार्मिक लोक शिकायत मंत्रालय के अधीन आती है। मंत्रालय राजस्थान सरकार से मिली चिट्ठी को सीबीआई को रेफर करेगा। सीबीआई पूरे केस का परीक्षण करने के बाद ही जांच करने या नहीं करने पर फैसला करेगी। आमतौर पर इस तरह के मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप से भी बहुत कुछ तय होता है। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित / ईश्वर

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