बॉयफ्रेंड संग भागी लड़की तो परिवार ने अपनी जिंदा बेटी के छपवा दिये शोक संदेश कार्ड, जानिए पूरी कहानी

भिलवाड़ा जिले के रतनपुरा गांव के एक परिवार ने अपनी जिंदा बेटी का शोक संदेश छपवाया है, इतना ही नहीं उन्होंने इस शोक संदेश में 1 जून को मृत्यु और 13 जून को मृत्यु भोज करने की तारीख रखी है।
बॉयफ्रेंड संग भागी लड़की तो परिवार ने अपनी जिंदा बेटी के छपवा दिये शोक संदेश कार्ड
बॉयफ्रेंड संग भागी लड़की तो परिवार ने अपनी जिंदा बेटी के छपवा दिये शोक संदेश कार्ड

नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। राजस्थान के भिलवाड़ा जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां पर रतनपुरा गांव के एक परिवार ने अपनी जिंदा बेटी का शोक संदेश छपवाया है, इतना ही नहीं उन्होंने इस शोक संदेश में 1 जून को मृत्यु और 13 जून को मृत्यु भोज करने की तारीख रखी है। सोशल मीडिया पर वायरल इस शोक संदेश को शेयर करते हुए बताया जा रहा है कि लड़की अपने प्रेमी के साथ चली गई और परिवार को पहचानने से इनकार कर दिया। इसके बाद परिवार ने ये कदम उठाने का फैसला किया है।

जिंदा बेटी का छपवाया शोक संदेश

सोशल मीडिया पर शेयर किया गया इस शोक संदेश कार्ड में लिखा है कि अत्यंत दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि नारायणलालजी की सुपौत्री एवं भैरूलालजी लाठी की सुपुत्री प्रिया जाट का स्वर्गवास दिनांक 1 जून, 2023 को हो गया है, जिनका मृत्यु भोज 13 जून, 2023 को किया जाएगा। इसके अलावा इस कार्ड के नीचे घर का पता और सदस्यों का नाम भी लिखा गया है।

पुलिस के सामने माता-पिता को बेटी ने पहचानने से किया इनकार

सोशल मीडिया पर शेयर किए गए इस शोक संदेश कार्ड के साथ कथित तौर पर कहा जा रहा है कि भीलवाड़ा जिले के रतनपुरा गांव में भैरूलालजी लाठी की बेटी प्रिया जाट 18 साल की होते ही अपने बॉयफ्रेंड के साथ चली गई। पुलिस ने जब इस मामले में छानबीन कर लड़की को घर वालों के सामने पेश किया तो उसने अपने माता-पिता को पहचानने से इनकार कर दिया। जिसके बाद परिवार ने लड़की को मरा मानकर शोक संदेश छपवाए।

यूजर्स ने कहा परिवारवालों ने किया सही

इस शोक संदेश को पढ़कर सोशल मीडिया यूजर्स भी तरह-तरह के कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कई यूजर्स ने कहा कि परिवालों ने सही किया, ऐसी औलाद के साथ ऐसा ही किया जाना चाहिए। जबकि, कुछ ने कहा कि एक बार लड़की को समझाना चाहिए था, शायद वो उनकी बात मान जाती। वहीं, एक यूजर ने कहा कि ऐसी औलाद भगवान किसी को ना दें, परिवार का निर्णय अच्छा है, लेकिन इससे भी कठोर फैसला ले सकते थे। 

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