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बीलव्ड दिल्लीः ए मुगल सिटी एंड हर ग्रेटेस्ट पोएट्स किताब पर बुक ऑथर कंवर्सेशन का आयोजन

जयपुर, 20 जनवरी (हि.स.)।आईएएस एसोसिएशन, राजस्थान द्वारा आईएएस लिटरेरी सोसायटी, राजस्थान के फेसबुक पेज पर बुधवार को बेहद रोचक बुक ऑथर कंवर्सेशन का आयोजन किया गया। यह कंवर्सेशन वकील एवं लेखक, डॉ. सैफ महमूद द्वारा लिखित किताब बीलव्ड दिल्लीः ए मुगल सिटी एंड हर ग्रेटेस्ट पोएट्स पर आधारित थी। वे आईएएस साहित्य सचिव, आईएएस एसोसिएशन, राजस्थान, मुग्धा सिन्हा के साथ चर्चा कर रहे थे। यह चर्चा किताब की संकल्पना, उर्दू शायरी के उद्भव, उर्दू भाषा, उर्दू के महान शायरों, मीर एवं गालिब के मध्य की प्रतिद्वंद्विता, आदि पर केंद्रित थी। पुस्तक के संकल्पना के बारे में बात करते हुए, डॉ. महमूद ने कहा कि उन्होंने औपचारिक रूप से उर्दू का अध्ययन नहीं किया, लेकिन वे उर्दू संस्कृति, साहित्य, शायरी के माहौल में बड़े हुए। उनके माता-पिता दोनों का संबंध प्रख्यात उर्दू परिवार से है। उन्होंने दिल्ली के शायरों जैसे कि गालिब, मीर आदि पर कॉलम लिखना शुरू किया। बाद में उन्होंने किताब लिखी, जिसमें उन्हें लगभग 4 साल लगे। उर्दू के सिद्धांतों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि लोगों में यह स्टीरियोटाइप बन गया है कि उर्दू मुस्लिम भाषा है और हिंदी हिंदू भाषा है। लेकिन तथ्य यह है कि भाषा का कोई धर्म नहीं हो सकता है। उर्दू ना केवल एक भाषा है, बल्कि यह अपने आप में एक समग्र संस्कृति है। कठिन शब्दों को उर्दू में जोड़कर इसे जटिल एवं शुद्ध भाषा बनाया गया है। जैसे कि हिंदी भाषा के संस्कृतकरण से यह जटिल लगने लगती है। मीर तकी मीर और मिर्जा गालिब के मध्य की प्रतिद्वंद्विता के बारे में बताते हुए, उन्होंने कहा कि दोनों अपने आप में प्रतिभाशाली शायर थे। ये दोनों अलग-अलग सदियों से थे। मीर 1700 वीं सदी से और गालिब 1800वीं सदी से थे। वास्तव में गालिब स्वयं मीर को प्रतिभाशाली एवं सम्मान के पात्र मानते थे। इन दोनों की शायरी में मुख्य अंतर यह है कि गालिब की शायरी गूढ़ है जबकि मीर की शायरी धरातल से अधिक जुड़ी है। चर्चा के दौरान डॉ. महमूद ने मिर्जा मुहम्मद रफी सौदा, ख्वाजा मीर दर्द, मोमिन खान मोमिन, मोहम्मद इब्राहिम जौक के अतिरिक्त बहादुर शाह जफर जैसे अन्य जाने-माने उर्दू शायरों के जीवन और कार्यों के बारे में भी बताया। हिन्दुस्थान समाचार/दिनेश-hindusthansamachar.in

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