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झोलाछाप डॉक्टर मोदी सरकार में "कौशल विकास" योजना के संकल्प की एक मिसाल: भरत सिंह

कोटा, 13 मई (हि.स.)। अपने पत्रों के माध्यम से सुर्खियों में रहने वाले हाड़ौती के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और सांगोद विधायक भरतसिंह इस बार चिकित्सा मंत्री रघू शर्मा को लिखे गये पत्र को लेकर सुर्खियों में बने हुए है। उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से कोरोना काल में झोलाछाप डॉक्टरों को प्रसंशा करते हुए झोलाछाप डॉक्टर को मोदी सरकार में 'कौशल विकास योजना के संकल्प की एक मिसाल बताया है साथ ही प्रदेश सरकार द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों के विरूद्ध की जा रही कार्रवाई पर सवाल उठाया हैं। विधायक भरतसिंह ने पत्र में बताया कि कोरोना महामारी गांवों में जंगल में लगी आग की तरह फैल चुका है। इसको रोक पाना सरकार के लिए बड़ी चुनोती बना हुआ हैं। प्रदेश में 40 हजार गांव है जहां आज भी बीमार होने पर बड़ी संख्या में ग्रामीण लोग इनपर विश्वास करते है। बीमार होने पर इनसे सम्पर्क कर अपना ईलाज करवाते है। उन्होंने सरकार द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों पर की जा रही कार्यवाही का पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार द्वारा समय-समय पर इनके खिलाफ कार्रवाई करने व बंद करने पर जोर दिया जाता है, इनके खिलाफ कार्रवाई भी होती है और वर्तमान में अभियान भी चलाया गया हैं। इन झोलाछाप डॉक्टरों को लोगों का उपचार करने से रोका जा रहा हैं। सरकार की सोच अपनी जगह सही है मगर हमारे मुल्क में "जुगाड" का अपना महत्व है। -झोलाछाप डॉक्टरों के इजाल में अपनापन और विश्वास भरतसिंह ने झोलाछाप डॉक्टरों का पक्ष लेते हुए बताया कि इनकी सेवा गांवों में 365 दिन 2 घंटे उपलब्ध होती है। इनके व्यवहार में अपनापन व जनता के प्रति विश्वास पैदा करने वाला होता है। अपनी सेवाओं के आधार पर ही यह चिकित्सा के बाजार में जिन्दा रह सकते है। मरीज के बुलाने पर यह उसके घर पहुंचकर सेवा प्रदान करते है। इन झोलाछाप डॉक्टरों के सम्पर्क शहर के अच्छे डॉक्टरों से होने के कारण आवश्यकता पडऩे पर यह मरीज का शहर में इलाज के लिए लेजाने में मदद करते है। इनमें अपने कामकाज को सुधारने की ललक होती है। -कोरोना से सरकारी अस्पतालों में मौत के मामले पर उठाया सवाल: सिंह ने बताया कि बेरोजगारी केक इस युवक में झोलाछाप डॉक्टर मोदी सरकार के "कौशल विकास" योजना के संकल्प की एक सफल मिसाल है। यइ स्वयं को रोजगार के अलावा एक या दो लाोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवाते है। जहां तक किसी की मृत्यु का प्रश्र है वहां कोरोना काल में इनके यहां कोई एक आद व्यक्ति मरा हेागा, मगर मेडिकल कॉलेज व बड़े-बड़े सरकारी अस्पतालों में असंख्य लोग मर रहे है। इनकी सेवाओं को पूर्ण रूप से बंद करके क्या सरकारी चिकित्सा सेवा पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा ? क्या ग्रामीण जनता को इससे लाभ मिल सकेगा। हिंदुस्स्थान समाचार/राकेश शर्मा/ ईश्वर

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