स्वयं सहायता समूूहों से पोषण सामग्री का वितरण क्यों नहीं-हाईकोर्ट
जयपुर,23 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने आईसीडीएस के तहत छह साल तक के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पोषण सामग्री वितरण का काम स्वयं सहायता समुहों के बजाए आगंनबाडी केन्द्रों के जरिए कराने पर केन्द्र और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, मुख्य सचिव, प्रमुख महिला एवं बाल विकास सचिव और बाल विकास निदेशालय को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश स्नेहलता की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए। याचिका में अधिवक्ता नयना सराफ ने अदालत को बताया कि छह साल तक के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के पोषण के लिए सरकार ने आईसीडीएस योजना शुरू की थी। वहीं योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2001 में पोषण सामग्री का वितरण डिसेन्ट्रलाइज व्यवस्था से कराने को कहा था। जिसके चलते प्रदेश में महिलाओं के स्वयं सहायता समूूहों को यह काम दिया गया। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने कोरोना महामारी की आड में यह काम स्वयं सहायता समुहों से लेकर आगंनबाडी कार्यकर्ताओं को दे दिया। वहीं समुहों के बकाया करीब चार सौ करोड़ रुपए का भुगतान भी नहीं किया गया। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने लाभान्वितों को तीन सौ दिन पोषण सामग्री वितरण को कहा था, लेकिन गत तीन माह में इसका वितरण नहीं किया गया। याचिका में कहा गया कि अदालती आदेश की पालना में पोषण सामग्री वितरण का काम स्वयं सहायता समुहों से ही कराया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हिन्दुस्थान समाचार/पारीक/संदीप-hindusthansamachar.in