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पंजाबी कवि गुरचरण सिंह के निधन पर पंजाबी लोग विरासत अकादमी ने जताया शोक

लुधियाना, 27 मई (हि.स.) । शिव कुमार बटालवी को साहित्य जगत में शुरुआती पहचान दिलवाने वाले शिव के चनवीर प्रसिद्ध कावी संग्रह केरा किरणा दे लेखक, वॉलीबॉल, कबड्डी खिलाड़ी तथा गीतकार गुरचरण सिंह बोपाराए के निधन पर साहित्य तथा सभ्यचारक क्षेत्र में शोक की लहर है। देश बंटवारे के बाद गुरदासपुर के गांव चट्ठा में आकर बसे बोपाराए पंजाब की इप्टा लहर के तेरा सिंह चंन के नेतृत्व अधीन अमरजीत सिंह गुरदासपुरी, पंजाबी लोक संगीत मलिका सुरिंदर कौर, जोगिंदर बाहरला, प्रोफेसर निरंजन सिंह मान, स्वर्ण सिंह विमको के सरगर्म साथी थे। खालसा कॉलेज अमृतसर में पढ़ाई समय से लेकर मरते दम तक वह अपने मित्र स्वर्ण सिंह के साथ मिलकर गाते रहे। पंजाबी लोक गायिका जगमोहन कौर को भी उन्होंने ही बचपन से संगीत क्षेत्र में नेतृत्व दिया । उच्च मयारी साहित्यिक गीतों के सृजक गुरचरण सिंह बोपाराए के गीतों को सुरिंदर कौर , नरिंदर बीबा ,जगमोहन कौर, अमरजीत गुरदासपुरी , जगजीत सिंह, राजिंदर राजन, गुरमीत बाबा तथा हंसराज हंस ने भी गाया। उनके निधन पर शोक प्रकट करते पंजाबी लोक विरासत अकादमी के चेयरमैन प्रोफेसर गुरभजन सिंह गिल ने कहा कि वह मेरे समेत सैकड़ों साहित्य सृजकों के मार्गदर्शक थे । उनके साथ आखिरी वार्तालाप सिर्फ 20 दिन पहले ही हुई। शिव कुमार बटालवी के विवाह तथा कई अन्य मामलों पर उन्होंने बहुत दिलचस्प बातें बताई। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर , पंजाबी साहित्य अकादमी के प्रधान प्रोफेसर रविंद्र भट्ठल ,लोक गायक अमरजीत गुरदासपुरी, सुरेंद्र छिंदा , पम्मी बाई ,पाली देत वालिया, दिलबाग सिंह हुंदल, रविंद्र रंगुवाल, गीतकार शमशेर सिंह संधू ,अशोक बंसल मानसा तथा सरबजीत विरदी ने भी गुरचरण सिंह बोपाराय के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। इस दौरान इप्टा की पंजाब इकाई ने भी उनके बिछड़ने पर दुख जताया। 1955 से इप्टा की पंजाब के बीच की सभ्यचारक तथा रंगमंच गतिविधियों का अहम हिस्सा रहे तथा होमगार्ड से बटालियन कमांडर रिटायर हुए। हिन्दुस्थान समाचार/ कुमार/ संजीव

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