नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। मणिपुर में हिंसा खत्म होने का नाम नही ले रही है। 5 अगस्त को एक बार फिर से मणिपुर में भड़क गई जिसमें 5 और लोगों की मौत हो गई। इस हिंसा के बाद मणिपुर में केंद्रीय बलों की 10 और कंपनियां जिसमें लगभग 800 और सुरक्षकर्मियों की तैनाती कर दी गई है। इस बीच आदिवासी संगठन इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने कहा कि वह सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने वाले हैं।
आदिवासी संगठन करेंगे गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, संगठन ने कहा कि राज्य में जारी हिंसक घटनाओं को लेकर वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात करेंगे। रविवार को संगठन के प्रवक्ता गिनजा वुआलजोंद ने कहा कि संगठन के 4 सदस्य इस सिलसिले में दिल्ली जा रहे हैं। उनका कहना है कि अमित शाह के कार्यालय की तरफ से उन्हें मीटिंग के लिए बुलाया गया है। हालांकि, गृह मंत्रालय ने अभी तक इसे लेकर कोई बयान नहीं दिया है।
अर्धसैनिक बलों की 125 कंपनियां है मौजूद
आपको बता दें पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर पिछले तीन महीनों से जातीय संघर्षों से जूझ रहा है। इस दौरान राज्य में अब विभिन्न अर्धसैनिक बलों के कम से कम 125 कंपनियां, भारतीय सेना और असम राइफल्स की लगभग 164 टुकड़ियां मौजूद हैं। आपको बाता दें अर्धसैनिक बलों की एक कंपनी में लगभग 120-135 कर्मचारी होते हैं, और सेना की एक टुकड़ी में करीब 55-70 जवान होते हैं। ऐसे में राज्य में एक फिर केंद्रीय बलों की 10 और कंपनियां जिसमें लगभग 800 और सुरक्षकर्मियों की तैनाती की जा रही है।
5 और लोगों की मौत
गौरतलब है कि मणिपुर के इंफाल वेस्ट जिले में शनिवार शाम को एक बार फिर से हिंसा भड़क उठी और इस दौरान 15 मकान जला दिए गए। पुलिस के अनुसार लांगोल गेम्स गांव में आक्रोशित भीड़ सड़कों पर उतर कर हिंसा करने लगी, जिसके बाद उनको तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे और स्थिति को काबू में किया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन घटनाओं में 5 लोगों की मौत हो गई थी। इससे पहले शुक्रवार को बिष्णुपर के मोइरांग के क्वाटका में बाप-बेटे और उनके पड़ोसी की हत्या कर दी गई थी। ये तीनों मैतई समुदाय से ताल्लुक रखते थे। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि दोनों घटनाएं एक-दूसरे से संबंधित हैं।
क्या है मामला?
गौरतलब है, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।