Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा के बाद विधानसभा का सत्र आज, 119 दिनों बाद पहली बार सदन में होगी चर्चा

Manipur Violence: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने 21 अगस्त को राज्यपाल अनुसुइया उइके को सत्र शुरू करने की सिफारिश की थी। जिसके बाद 22 अगस्त को राजभवन ने अधिसूचना जारी कर दी।
Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा के बाद विधानसभा का सत्र आज, 119 दिनों बाद पहली बार सदन में होगी चर्चा

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। मणिपुर में मई से जारी जातीय हिंसा के बीच आज पहली बार राज्य विधानसभा का सत्र बुलाया गया है। 120 दिनों से जारी इस संघर्ष में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इस बीच पहली बार बुलाये राज्य विधानसभा सत्र के दैरान सदन में जोरदार हंगामें के आसार नजर आ रहें है। हालांकि, कुकी समुदाय के विधायकों ने विधानसभा सत्र में नहीं शामिल होने की बात कही है। इसके साथ जनजातीय एकता समिति और स्वदेशी जनजातीय नेता मंच ने मणिपुर विधानसभा सत्र बुलाने की निंदा की है। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति कुकी विधायकों के भाग लेने के अनुकूल नहीं है। ऐसे में विधानसभा सत्र बुलाने पर एक बार फिर से विचार की जरूरत है।

21 अगस्त को राज्यपाल से मिले थे मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह

गौरतलब है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने 21 अगस्त को राज्यपाल अनुसुइया उइके को सत्र शुरू करने की सिफारिश की थी। जिसके बाद 22 अगस्त को राजभवन ने अधिसूचना जारी कर दी। संविधान के आर्टिकल 174 (1) के मुताबिक, किसी भी सदन में दो सत्रों में छह माह से ज्यादा का गैप नहीं होना चाहिए। ऐसे में मणिपुर में पिछला सत्र मार्च में हुआ था। जिसकी छह महीने की डेडलाइन सितंबर में खत्म हो रही थी।

कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह इसे बताया छलावा

मणिपुर विधानसभा के एक दिवसीय सत्र बुलाने पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह ने कहा कि विधानसभा सत्र छलावा है, और यह जनहित में नहीं है। एक दिन का सत्र बुलाने पर ओकराम ने कहा, 'मेरा अनुभव है कि जिस दिन श्रद्धांजलि दी जाती है, उस दिन किसी अन्य कार्य पर चर्चा नहीं की जाती। समिति के सदस्य के रूप में मैंने सुझाव दिया कि राज्य में अभूतपूर्व स्थिति पर चर्चा करने के लिए सत्र कम से कम पांच दिनों के लिए आयोजित किया जाना चाहिए। विपक्ष के पास सिर्फ चार या पांच सदस्य हैं। हम यहां सरकार की आलोचना करने नहीं आए हैं, बल्कि जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने आए हैं।'

10 विधायकों ने सुरक्षा का हवाला देते हुए किया बहिष्कार

मणिपुर विधानसभा के एक दिवसीय सत्र का दो मंत्रियों समेत 10 विधायकों ने सुरक्षा का हवाला देते हुए बहिष्कार का ऐलान किया है। ये सभी आदिवासी कुकी समुदाय से आते हैं। इनमें एलएम खौटे, नगुर्सांगलुर सनाटे, लेटपाओ हाओकिप, लेटजमंग हाओकिप, पाओलीनलाल हाओकिप, वुंगजागिन वाल्टे, हाओखोलेट किपगेन (निर्दलीय), किम्नेओ हाओकिप हैंगशिंग (KPA), चिनलुंगथांग (KPA) के विधायक हैं। इसके साथ मणिपुर की इकलौती महिला कुकी मंत्री नेमचा किपगेन ने विधानसभा सत्र में शामिल नहीं होने की घोषणा की है।

एन बीरेन सिंह ने दिया सुरक्षा का आश्वासन

हालांकि इस पूरे सत्र में असुरक्षा का हवाला दे रहें सभी दस कुकी विधायकों के लिए राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि, हम सभी विधायकों को सुरक्षा का आश्वासन देते है। हम सुनिश्चित करते है किसी को भी कोई हानि ना हो पाएं। आपको बता दें मणिपुर में तीन मई से जातीय हिंसा शुरू हुई थी, इस हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों घरों को नष्ट कर दिया गया है। राज्य में अभी भी हिंसा की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। इससे पहले 20 जुलाई से 11 अगस्त तक चले संसद के मानसून सत्र में भी मणिपुर का मुद्दा उठा था। मणिपुर पर चर्चा के लिए 26 जुलाई को विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डिवेलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस यानी I.N.D.I.A ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लया था। जिस पर 8 से 10 अगस्त तक बहस हुई थी।

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