
मुंबई (संतोष मिश्रा)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के दोनों गुटों में टकराव बढ़ गया है। राकांपा के अजित पवार गुट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के समक्ष एक याचिका दाखिल कर शरद पवार गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है। हालांकि इस संबंध में राहुल नार्वेकर ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है।
अजित पवार राज्य सरकार में हैं शामिल
जानकारी के अनुसार राकांपा से अलग होकर अजित पवार राज्य सरकार में शामिल हो गए हैं। इसके बाद शरद पवार गुट की ओर से विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका दायर कर पार्टी विरोधी गतिविधियां करने वाले अजित पवार गुट के विधायकों को तत्काल निलंबित करने की मांग की थी।
अजित पवार गुट ने कहा उनकी राकांपा असली
विधानसभा अध्यक्ष के पास शरद पवार गुट की याचिका अभी भी लंबित है। इसी दौरान अजित पवार गुट ने भी विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका दाखिल कर राकांपा पर अधिकार जताता है। याचिका में कहा गया है कि असली राकांपा उनकी है।
चुनाव चिन्ह की लड़ाई चुनाव आयोग तक पहुंची
ऐसे में इन दोनों याचिकाओं पर अध्यक्ष राहुल नार्वेकर क्या निर्णय लेते है, इस पर राजनीतिक दलों की निगाहें लगी हैं। हालांकि राकांपा के दोनों गुटों के बीच असली राकांपा किसकी और चुनाव चिन्ह की लड़ाई भी चुनाव आयोग तक पहुंच गई है। चुनाव आयोग इस मुद्दे पर 6 अक्टूबर को सुनवाई करेगा।
चाचा-भतीजे में हुई है कई गुप्त मीटिंग
बता दें कि चाचा भतीजे की लड़ाई में कई ऐसे पहलू भी सामने आए हैं कि जिससे जनता यह नहीं समझ पा रही है कि आखिरी एनसीपी में चल क्या रहा है। अजित और शरद पवार के बीच कई गुप्त बैठकें हुई हैं जिसके बाद अध्यक्ष शरद पवार ने यह कहा कि पार्टी में कोई बगावत नहीं हुई है। इससे राजनीति के जानकार यह कहने को मजबूर हो गए कि पार्टी के दोनों सीनियर लीडर के बीच सुलह की कोशिश जारी है। ऐसे में आज अचानक यह खबर सामने आई कि अजित गुट ने एक बार फिर शरद पवार के विधायकों के लिए अर्जी दाखिल की है इससे फिर लड़ाई तेज होने की आशंका जताई जा रही है।
अजित को बगावत के बाद मिली उपमुख्यमंत्री की कुर्सी
इस साल जुलाई में NCP अध्यक्ष शरद के भतीजे अजित ने उनके खिलाफ बगावत कर दी थी। अजित पवार महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना की सरकार में शामिल हो गए थे। इसके बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री पद पर बिठाया गया। यह भी बता दें कि अजित पवार के साथ NCP के 12 अन्य विधायक भी आए थे, जिनमें से 8 को मंत्री बनाया गया है।
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