शहरी गरीबों के लिये रोजगारमूलक योजनाओं के क्रियान्वयन पर दें विशेष ध्यानः मुख्यमंत्री
शहरी गरीबों के लिये रोजगारमूलक योजनाओं के क्रियान्वयन पर दें विशेष ध्यानः मुख्यमंत्री

शहरी गरीबों के लिये रोजगारमूलक योजनाओं के क्रियान्वयन पर दें विशेष ध्यानः मुख्यमंत्री

भोपाल, 17 दिसम्बर (हि.स.)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार शाम को नगरीय विकास और आवास विभाग की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि शहरी गरीबों के लिये रोजगारमूलक योजनाओं, जनकल्याण और आवास योजनाओं का क्रियान्वयन समय-सीमा में किया जाये। नगरीय निकाय स्वच्छता और अधोसंरचना विकास के कार्यों को प्राथमिकता दें। नगरीय निकायों द्वारा दी जाने वाली नागरिक सुविधायें सहजता-सरलता से लोगों को मिले। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के अंतर्गत विभाग की कार्ययोजना को समय-सीमा में अमल में लाया जाये। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक से अधिक पथ विक्रेताओं को कार्यशील पूंजी मिले। इस योजना को व्यापक स्वरूप में लागू किया जाये। बैठक में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह, नगरीय विकास एवं आवास राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास विभाग नितेश व्यास, प्रमुख सचिव वित्त मनोज गोविल और अन्य अधिकारी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पथ विक्रेताओं को लाभान्वित करने में मध्यप्रदेश में अच्छा कार्य हुआ है। इस योजना में मध्यप्रदेश को देश में प्रथम स्थान मिले, ऐसा प्रयास करें। प्रमुख सचिव व्यास ने बताया कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप में विभाग ने 33 बिन्दु तथा पाँच रणनीतियां बनायी है। पहली रणनीति समावेशी शहरी विकास के अंतर्गत पांच लाख पथ विक्रेताओं को कार्यशील पूंजी के लिये ऋण दिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे दिसम्बर 2023 तक हासिल किया जायेगा। वर्तमान में प्रदेश में एक लाख 80 हजार पथ विक्रेताओं को लाभान्वित किया जा चुका है। शीघ्र ही एक लाख पथ विक्रेताओं को लाभान्वित करने के लक्ष्य को हासिल किया जायेगा। दीनदयाल रसोई योजनाः- मुख्यमंत्री ने कहा कि दीनदयाल रसोई योजना को पुन: बेहतर ढंग से क्रियान्वित किया जाये। यह राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना रही है। प्रथम चरण में सभी जिलों में एक-एक इस प्रकार 52 दीनदयाल रसोइयां जनवरी माह में शुरू की जायें। इसके लिये शासकीय मदद के साथ जनसमुदाय का सहयोग लिया जाये। रोजगारमूलक योजनाओं का विस्तारः- मुख्यमंत्री ने कहा कि रोजगार शासन की प्राथमिकता में शामिल है। अत: रोजगारमूलक योजनाओं में प्रशिक्षण के साथ रोजगार स्थापित करने पर विशेष ध्यान दिया जाये। बैठक में बताया गया कि डे-एन.यू.एल.एम. योजना का प्रदेश के सभी 378 शहरों में विस्तार किया गया है। एक लाख 50 हजार गरीब परिवारों को स्व-सहायता समूहों से जोड़ने का लक्ष्य है। अब तक 21 हजार 750 परिवारों को जोड़ा जा चुका है। इन्क्यूबेशन सेन्टरः- बताया गया कि प्रदेश के सात शहरों में स्टार्टअप इन्क्यूबेशन सेन्टर का विकास किया जा रहा है। एक लाख बेरोजगार युवाओं का कौशल विकास का कार्यक्रम निर्धारित है। भोपाल और जबलपुर में ये सेन्टर स्थापित हो गए हैं। इंदौर में मार्च तक सेन्टर की स्थापना हो जायेगी। मार्च 2021 तक 30 हजार युवाओं के कौशल विकास की योजना है। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के तहत 378 शहरों में कम आय वर्ग के लोगों केलिये तीन लाख आवासीय इकाईयों के प्रदाय का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिसमें से वर्तमान में 28 हजार इकाइयां पूर्ण हो गयी हैं। कम आय वर्ग के 30 हजार हितग्राहियों को 6 लाख रूपये ऋण 3-4 प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जायेगा। पर्यावरण संरक्षण के लिये विकासः- 49 शहरों में सीवरेज सिस्टम को कार्यशील बनाने का लक्ष्य रखा गया है। ये शहर एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले तथा अधिकतर नर्मदा नदी के किनारे बसे हैं। इसी तरह सैनिटेशन में सभी 378 शहरों में से 350 शहरों ने ओडीएफ प्लस का स्टेटस हासिल कर लिया है। इंदौर शहर के लिये वाटर प्लस स्टेटस को हासिल करने का मिशन बनाया गया है। ई-व्हिकल चार्जिंग स्टेशनः- 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में निजी भागीदारी से ई-व्हिकल चार्जिंग स्टेशन और लोक परिवहन के लिये चरणबद्ध ई-बसों के संचालन का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन के लिये अधिनियमों-नियमों, कानूनों में आवश्यक सुधार किया जाये। इस कार्य को भी प्राथमिकता से पूरा किया जाये। बताया गया कि नगरीय निकायों के राजस्व में स्वयं के स्त्रोतों से 43 प्रतिशत तक राजस्व मिलता है। इसे 60 प्रतिशत तक बढ़ाया जायेगा। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण की अनुमति मिलने में लोगों को दिक्कतें होती है। ऐसी पारदर्शी प्रक्रिया बनायी जाये कि नियमों का पालन करते हुये नागरिकों को सरलता से शीघ्र भवन निर्माण की अनुमति मिले। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरीः- मुख्यमंत्री ने कहा कि यह शासन की महत्वाकांक्षी योजना है। ऐसे आवास जिनकी किस्त अभी मिलना शेष है। उनके लिये केन्द्र सरकार स्तर पर प्रयास कर किश्त राशि शीघ्र प्राप्त की जाये तथा प्रगतिरत सभी आवासों को शीघ्र पूर्ण कराया जाये। बताया गया कि बी.एल.सी. घटक के अंतर्गत प्रदेश में पांच लाख 82 हजार 625 आवास स्वीकृत हैं जिनमें से 2 लाख 4 हजार 493 आवास पूर्ण हो गये हैं। ए.एच.पी. घटक, सी.एल.एस.एम. घटक को सम्मिलित कर प्रदेश में 7 लाख 99 हजार प्रधानमंत्री आवास (शहरी) स्वीकृत हैं। बैठक में मास्टर प्लान, राजस्व वसूली आदि बिन्दुओं पर समीक्षा भी हुई। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि नगरीय क्षेत्रों में गरीब वर्ग के लिए बनाए गए अधूरे ई.डब्ल्यू.एस. आवास पूर्ण किए जाएं। इनकी कीमत प्रति इकाई 7.5 लाख रुपये है। मलिन बस्ती में इसके हितग्राही को मात्र 02 लाख रुपये देने हैं। प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में आगामी 31 दिसम्बर तक सम्पत्ति कर, जल कर आदि के पुराने बकाया में सरचार्ज की छूट है। प्रदेश के नगरीय निकायों के जी.आई.एस. आधारित मास्टर प्लान बनाए जाएंगे। वर्तमान में 88 नगरीय निकायों के मास्टर प्लान बनाए गए हैं, अब सभी मास्टरप्लान जीआईएस आधारित बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए अधिनियमों एवं नियमों में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश-hindusthansamachar.in

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