महापुरूष वह होता है जो व्यसनों से दूर रहेः मुनिश्री विहर्ष सागर
महापुरूष वह होता है जो व्यसनों से दूर रहेः मुनिश्री विहर्ष सागर

महापुरूष वह होता है जो व्यसनों से दूर रहेः मुनिश्री विहर्ष सागर

ग्वालियर, 07 सितम्बर (हि.स.)। यह बात निश्चित है कि प्रभु भक्ति से पुण्य बढ़ता है लेकिन तुम पुण्य को बढाने के लिए प्रभू की भक्ति मत करो, प्रभू की भक्ति करते समय तुम्हारा लक्ष्य अपनी आत्मा का कल्याण होना चाहिए। धन दौलत के पीछे अत्याधिक मत भागो, लक्ष्मी पुण्य की दासी है, जहां पुण्य होगा वहां लक्ष्मी का वास होगा। धन कमाने के साथ धर्म कमाने का भी प्रयास करते रहो क्योंकि यह धन नहीं बल्कि धर्म तुम्हारे साथ जाएगा। यह बात सोमवार को चम्पाबाग धर्मशाला में मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने प्रवचन सभा को सम्बोधित करते हुए दिए। मुनिश्री ने कहा कि महा पुरूष धनवान होने से नहीं बल्कि धन सम्पदा होते हुए भी सभी व्यसनों से दूर रहने वाला महा पुरूष होता है। मुनिश्री ने कहा कि बस एक सूत्र तुम अच्छी तरह समझ लो कि अत्यधिक परिग्रह मत एकत्रित करो, जितनी आवश्यकता हो उतना ही अपने पास रखो, क्योंकि अत्याधिक परिग्रह तुम्हारी साधना में बाधक बन जाएगा। उन्होंने कहा कि भगवान के हृदय में बसने का प्रयास मत करो बल्कि उनको अपने हृदय में बसाओ। हिन्दुस्थान समाचार/शरद-hindusthansamachar.in

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