भोपालः ‘गमक’ में हुई तेरहताली और बैगा जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति
भोपालः ‘गमक’ में हुई तेरहताली और बैगा जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति

भोपालः ‘गमक’ में हुई तेरहताली और बैगा जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति

भोपाल, 09 दिसम्बर (हि.स.)। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों एकाग्र ‘गमक’ श्रृंखला में बुधवार शाम को आदिवासी लोककला के अंतर्गत जीवन दास और उनके साथियों राजस्थान द्वारा तेरहताली नृत्य एवं डिंडोरी के भद्दू सिंह उफडिया और उनके साथियों द्वारा बैगा जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति की शुरुआत जीवन दास और उनके साथियों ने गणेश वंदना से की, उसके पश्चात बाबा रामदेव के भजन- 'हेलो म्हारो सामलो रणुजे एवं माता जी के भजन- लटिका करती आऊँ मेरी माँ' के माध्यम से राजस्थान का पारम्परिक नृत्य तेरहताली प्रस्तुत किया और राजस्थान के प्रसिद्द नृत्य घूमर से अपनी प्रस्तुति को विराम दिया| प्रस्तुति में - नृत्य में सुमित्रा देवी, अनीता देवी, पायल, रवीना एवं ललिता ने नृत्य में और गायन में पूरण दास, मंजीरे पर- छगन दास एवं राजुल दास एवं तम्बूरे पर- जमुना राम ने संगत दी। दूसरी प्रस्तुति बैगा जनजातीय नृत्य की हुई - बैगा मध्यप्रदेश के डिण्डौरी जिले के चाड़ा के जंगलों में निवास करने वाली आदिम जनजाति है। बैगा के करमा, परघौनी, घोड़ी पैठाई और फाग प्रमुख नृत्य हैं। करमा नृत्य में बैगा अपने ‘कर्म’ को नृत्य-गीत के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं। इसी कारण इस नृत्य-गीत को करमा कहा जाता है। विजयादशमी से वर्षा के प्रारंभ होने तक चलने वाला यह नृत्य बैगा युवक-युवतियाँ टोली बनाकर एक दूसरे के गाँव जाकर किया जाता है। घोड़ी पैठाई नृत्य दशहरे के दिन से शुरू होकर दिसंबर के अंत तक किया जाने वाला नृत्य है। सभी प्रकार के करमा मे नृत्य करने की शैली एक सी ही होती है सिर्फ गीत गाने मे अंतर होता है, उसके लय के उतार चढ़ाव के साथ ही ताल मिलाकर नृत्य किया जाता है। प्रस्तुति में - वैसाखू सिंह, जेठू सिंह, इतवारी सिंह, चमरू सिंह, तिहर सिंह, बुधराम, धर्मेन्द्र, अर्जुन सिंह, बिसन सिंह, सुनीता बाई, तिहरो बाई, सुकरती बाई, जानकी बाई एवं श्यामकली बाई ने नृत्य में संगत दी। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश-hindusthansamachar.in

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