भय-भ्रम की राजनीति करने वाले बताएं, किसानों को अधिकार मिलना चाहिए या नहीं : विष्णुदत्त शर्मा
भय-भ्रम की राजनीति करने वाले बताएं, किसानों को अधिकार मिलना चाहिए या नहीं : विष्णुदत्त शर्मा

भय-भ्रम की राजनीति करने वाले बताएं, किसानों को अधिकार मिलना चाहिए या नहीं : विष्णुदत्त शर्मा

भोपाल, 14 दिसम्बर (हि.स.)। ऐसे लोग किसान आंदोलन की तरफदारी कर रहे हैं, जो कर्जमाफी का झूठा वादा करके किसानों को धोखा देते हैं। भय और भ्रम फैलाकर अपना राजनीतिक एजेंडा चलाने वाले इन लोगों से मैं पूछना चाहता हूं कि देश के किसानों को अपनी उपज का दाम तय करने का अधिकार होना चाहिए या नहीं? उन्हें अपनी सुविधा के अनुसार बाजार तलाशने का अधिकार होना चाहिए या नहीं? दलाली खत्म होना चाहिए या नहीं? क्या किसानों को चुंगी और टैक्स की चक्की में पिसने के लिए छोड़ देना चाहिए? मोदी सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों से अगर किसानों की तकलीफें कम हो रही हैं, तो इन्हें परेशानी क्यों हो रही है? यह बात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कही। कृषि कानूनों से मोदी सरकार ने बनाया किसानों को सक्षम उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को प्रलोभन नहीं देना चाहती, बल्कि उन्हें सक्षम और अधिकार संपन्न बनाना चाहती है। कृषि कानूनों के जरिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को समृद्ध बनाने का प्रयास किया है। नए कृषि कानून आजादी के बाद किसानों की स्थिति में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने का बड़ा प्रयास है। पहले किसानों को अपनी ही उपज पर निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं था, लेकिन इन कानूनों के लागू होने के बाद अब किसान स्वयं निर्णय लेता है। मोदी सरकार ने उन्हें अपनी इच्छानुसार बाजार और मूल्य और तय करने का अधिकार दिया है। इन कानूनों के माध्यम से प्रधानमंत्री जी ने एक राष्ट्र, एक बाजार की संकल्पना को साकार करने का प्रयास किया है। इन कानूनों के जरिए किसानों को दलालों के जबड़ों से बाहर निकालने का काम किया है। आंदोलन की तरफदारी करने वाले बताएं, कभी किसानों के हक की बात की क्या? भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि किसानों को भ्रमित करने वाले वामपंथी हमेशा देश के खिलाफ सोचते हैं। अभाव और दुरावस्था इनके एजेंडे में शामिल हैं, ये कभी अच्छे कामों की चर्चा नहीं करते। बस, यही सोचते रहते हैं कि कैसे लोगों को भ्रमित और गुमराह किया जा सकता है। मैं इनसे पूछना चाहता हूं कि देश में अन्य चीजों के उत्पादकों को अपने उत्पाद का मूल्य तय करने का अधिकार रहा, लेकिन किसानों को क्यों नहीं रहा? क्या इन्होंने कभी किसानों के अधिकारों की बात की है? इस आंदोलन को लेकर अवार्ड वापसी गैंग भी सक्रिय हो गई है, जबकि उसका इस आंदोलन से कोई संबंध नहीं है। ये लोग सरकार को बदनाम करने और अस्थिरता पैदा करने के लिए नौटंकी करते हैं। नागरिकता संशोधन कानून तथा कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति को लेकर भी इनका यही रवैया रहा है। उन्होंने कहा कि मैं यह जानना चाहता हूं कि कश्मीर से 370 की समाप्ति से राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह जैसे लोगों का क्या संबंध है? ये सिर्फ इसलिए 370 हटाने का विरोध करते रहे हैं, क्योंकि इन्हें कश्मीर में आतंकवाद को बनाए रखने के लिए धारा 370 का होना जरूरी लगता है। लेकिन देश की जनता को हमारे प्रधानमंत्री जी पर विश्वास है। इसीलिए एक-दो राज्यों को छोडक़र देश के अधिकांश राज्यों में इन कानूनों का कोई विरोध नजर नहीं आता। इसके लिए मैं देश के किसानों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने इन कानूनों का समर्थन किया। देश की जनता को भ्रमित करने वालों, छल-कपट करने वालों को जवाब देना जरूरी है और देश के किसान इन्हें जवाब देंगे। भ्रम फैलाकर किसानों को कर रहे गुमराह शर्मा ने कहा कि कांग्रेस और अन्य दलों के लोग एमएसपी को लेकर भ्रम फैला रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार कई बार यह स्पष्ट कर चुकी है कि एमएसपी लागू रहेगी। ये भ्रम फैला रहे हैं कि मंडियां खत्म हो जाएंगी, जबकि नए कानूनों में मंडियों के आधुनिकीकरण की बात है। कांट्रेक्ट फॉर्मिंग में किसान पहले ही अपनी उपज की कीमत तय कर सकेगा और कृषि व्यवसाय से अनिश्चितता खत्म होगी। संबंधित कानून में किसान की भूमि से कुछ भी छेड़छाड़ करने की अनुमति नहीं है। कांग्रेस और अन्य दल भ्रम फैलाकर किसानों को गुमराह कर रहे हैं, जिन्हें देश के किसान जवाब देंगे और मध्यप्रदेश में यह जवाब दिया भी है। भाजपा के कार्यकर्ता देशभर में इन लोगों को जवाब देंगे और इसके लिए 16-16 दिसम्बर को प्रत्येक संभाग केंद्र पर किसान सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। मध्यप्रदेश किसान वेलफेयर स्टेट उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश किसानों के लिए एक वेलफेयर स्टेट के रूप में उभरा है। यहां सरकार ने किसानों को बेहतर आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम किया है। 2003 में यहां सिर्फ 7 लाख हैक्टेयर में सिंचाई होती थी, जिसे भाजपा सरकार ने 40 लाख हैक्टेयर तक पहुंचाया। सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली मिल रही है और किसानों तक पहुंच के लिए गांव-गांव में सडक़ों का जाल है। इसी के चलते मध्यप्रदेश ने लगातार पांच बार कृषि कर्मण अवार्ड जीता है। केंद्र सरकार ने किसानों को किसान सम्मान निधि के रूप में 6 हजार रुपये साल देना शुरू किया, तो मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने राज्य सरकार की तरफ से 4 हजार रुपये और दिये जाने की घोषणा कर दी। एक-दो दिन में मुख्यमंत्री चौहान फिर किसानों के खातों में 1000 करोड़ रुपये डालने वाले हैं। उन्होंने कहा कि अन्य दलों के लोग जहां स्वामीनाथन कमेटी की सिर्फ बातें करते रहे, वहीं केंद्र की मोदी सरकार और मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने उसे पूरी तरह लागू भी कर दिया। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश / उमेद-hindusthansamachar.in

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