बसें चालू हुई पर बस स्टैंड पर पसरा सन्नाटा, कम लोगों ने ही किया सफर
- सफर करने से डर रहे लोग तो वहीं नेपानगर में बेखौफ होकर सोशल डिस्टेंस की उड रही धज्जियां - प्रशासन ने एक दिन पहले ही धारा 144 लगाई, बाहर से जिले में आ रहे लोग बुरहानपुर, 18 सितम्बर (हि.स.)। करीब छह माह बाद बसें चालू हो गई है, लेकिन अब भी लोग सफर करने से डर रहे हैं। शुक्रवार को बसों में गिनी चुनी सवारियां ही नजर आई। बस स्टैंड पर पूरी तरह सन्नाटा पसरा नजर आया तो वहीं जिले के नेपानगर में आदिवासी आंदोलन किसी कोरोना विस्फोट के इंतजार में है। यहां प्रशासन, पुलिस पूरी तरह असहाय नजर आ रहे हैं। एक दिन पहले ही कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी प्रवीणसिंह ने जिले में धारा 144 लागू की है, लेकिन इसका कहीं भी पालन नहीं हो रहा है। नेपानगर के आदिवासी आंदोलन में भी धारा 144 का मजाक उड रहा है। जबकि जिले में कोरोना संक्रमण के मरीज लगातार बढ रहे हैं, लेकिन नेपानगर थाने और एसडीओपी कार्यालय के सामने पिछले तीन दिनों से आदिवासी समूह के रूप में जमा हैं। प्रशासन पहले भी उन्हें यहां से हटाने में नाकामयाब था और अब तीसरी बार भी नाकामयाब ही साबित हो रहा है, लेकिन वक्त रहते गंभीरता नहीं दिखाई गई तो यह कोरोना विस्फोट की स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता। इससे पहले भी आदिवासियों ने करीब 20 दिन तक नेपानगर थाने का घेराव किया गया था। परंतु वर्तमान में कोरोना संक्रमण का दौर चल रहा है। ऐसे में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 से 60 के प्रावधानों के साथ ही धारा 144 का भी उल्लंघन हो रहा है। तीसरे दिन भी समूह में जमा रहे आदिवासी तीसरे दिन भी नेपानगर थाने के सामने आदिवासी समूह में जमा रहे। यहां दिनभर भजन कीर्तन चलता रहा। पाली बदलकर आदिवासियों का दिनभर आना जाना भी लगा रहा। गौरतलब है बुधवार दोपहर एक बजे से आदिवासियों ने नेपानगर में आंदोलन शुरू किया है। रात के समय भी कोरोना संक्रमण से बेफिक्र लोग यहीं डटे रहते हैं, लेकिन प्रशासन पूरी तरह असहाय नजर आ रहा है। यहां न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है और न ही मास्क का। अधिकांश लोग बिना मास्क पहने नजर आ रहे हैं। महाराष्ट्र से काफी संख्या में हो रहा जिले में लोगों का आवागमन महाराष्ट्र से काफी संख्या में जिले में लोगों का आवागमन हो रहा है। कलेक्टर ने इसे लेकर जारी धारा 144 के आदेश में चिंता जताई है। जिसमें कहा गया है कि बाहरी जिले से यहां आने वाले लोग संक्रमण का खतरा बढा रहे हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर प्रशासन एक साथ समूह में जमा आदिवासियों के आंदोलन को खत्म कराने के लिए कोई पहल नहीं कर रहा है न ही पार्टियों के जनप्रतिनिधि आगे आ रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/निलेश जूनागढ़े/राजूू-hindusthansamachar.in