नदी ईश्वर की सबसे श्रेष्ठ रचना, जिसके सहारे विभिन्न संस्कृतियों ने हजारों वर्षों तक अपने को पनपायाः पटेल
नदी ईश्वर की सबसे श्रेष्ठ रचना, जिसके सहारे विभिन्न संस्कृतियों ने हजारों वर्षों तक अपने को पनपायाः पटेल

नदी ईश्वर की सबसे श्रेष्ठ रचना, जिसके सहारे विभिन्न संस्कृतियों ने हजारों वर्षों तक अपने को पनपायाः पटेल

केंद्रीय मंत्री ने नदी संरक्षण, ऊर्जा और पर्यटन पर पांचवां भारत जल प्रभाव, शिखर मिशन 2020 की वर्चुअल समिट को किया संबोधित दमोह, 12 दिसम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि जब भी संस्कृति के प्रवाह को देखते हैं तो नदी के अलावा कोई दूसरा आधार दिखता नहीं हैं। नदी ईश्वर की सबसे श्रेष्ठ रचना है, जिसके सहारे हजारों वर्षों से विभिन्न संस्कृतियों ने अपने को पनपाया, मजबूत किया। मै नर्मदा का पैदल यात्री हूं और परिक्रमा भी की है। गंगा हमारा प्रारंभिक प्रयास है, हमें सभी नदियों के बारे में प्रयास करना होगा, क्योकि जब नदियों की बात होती है, तो सम्पूर्ण देश का प्रतिनिधित्व हम करते हैं। यह विचार केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल ने शनिवार को नदी संरक्षण, ऊर्जा और पर्यटन पर पांचवां भारत जल प्रभाव शिखर मिशन 2020 की वर्चुअल समिट को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि नदियों का परिक्रमावासी होने के नाते मेरा अनुभव साफ कहता है कि नदियों में ईश्वर वास करते हैं। स्वाभाविक है कि जो जीवन देने वाला होगा, उसमें ईश्वर वास करते ही हैं। तमाम जीवित लोगों को जीवन देने का काम नदी करती है। बिन पानी सब सून। जो भी उपक्रम हमने बनाये, वह बाद में बनाये हैं, पहले तो हम नदियों के सहारे ही थे। प्रकृति के जीवन में कोई संचार होता है तो वह बिना नदी के नहीं हो सकता। केन्द्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि नर्मदा अविरल है और मेरा मानना है कि जो जीवन देने वाले हैं, उससे ज्यादा ऊर्जा देने वाला कोई दूसरा नहीं हो सकता, जो संस्कृति को ऊर्जा देकर पनपाती है, उसकी ऊर्जा का कोई पैमाना नहीं हो सकता। आप नदी के किनारे बैठिये उसका स्पंदन, स्वानिध्य एवं स्वर आपको सामानिध्य कर देगा। पर्यटन मात्र आनंद प्राप्त करने का साधन नहीं, बल्कि ज्ञान प्राप्त करने का भी साधन है। हम नदियों को आधार मानते है, नदिया हमारे सांस्कृतिक उत्थान का मेरूदण्ड हैं। यदि नदियों का सहजने का काम किया जाये तो सबसे पहले उसकी अविरलता बहुत जरूरी है, नदिया स्वच्छ और अविरल होगी यही हमारा प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नदी की ऊर्जा एवं नदी के किनारे पर्यटन एक दूसरे के पर्याय हैं, इन्हें आप अलग नहीं कर सकते, देखने का एक ही आधार है। नदी के किनारे पनपते हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को हम कैसे जाने, उसके किनारे साधना करने वाले साधु के बारे में हम कैसे जानें, यही इस समिट का लक्ष्य होगा, यही मेरी अपेक्षा हैं। केन्द्रीय मंत्री पटेल ने कहा कि कोरोना काल मे लोगो ने जो आचरण प्रस्तुत किया है, वह संस्कृति की बडी विशेषता हैं। इस अवसर पर सांसद प्रतिनिधि डॉ आलोक गोस्वामी, मोन्टी रैकवार, एसडीएम गगन विसेन, संजय यादव, रूपेश सेन आदि मौजूद थे। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश-hindusthansamachar.in

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