छोटे व्यवसायियों पर भारी पड़ी स्कूल कॉलेजों की तालाबंदी
छोटे व्यवसायियों पर भारी पड़ी स्कूल कॉलेजों की तालाबंदी

छोटे व्यवसायियों पर भारी पड़ी स्कूल कॉलेजों की तालाबंदी

हरदा, 11 दिसम्बर (हि.स.)। कोरोना संक्रमण के कारण अब तक स्कूल कॉलेजों में तालाबंदी शहर के हजारों छोटे और सीजनल व्यवसायियों पर भारी पड़ रही है। शैक्षणिक सामानों का व्यवसाय चौपट हो जाने से अनेक लोग सड़क पर आ गए हैं । उन्हें अब परिवार के जीविकोपार्जन की चिंता सता रही है । कोरोना संक्रमण के चलते पूरे प्रदेश के स्कूल कॉलेज बंद है । मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों ने महामारी को देखते हुए आगामी मार्च तक स्कूल नहीं खोलने की घोषणा कर दी है। इससे व्यवसायियों को चिंता सता रही है कि कोरोना संक्रमण के नियंत्रण में नहीं आने पर यहां भी स्कूलों के लाकडाउन को आगे बढ़ाया जा सकता है । वही पालक भी बच्चों की सेहत को देखते हुए बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाह रहे हैं। इस बीच अब तक इस महामारी का प्रकोप कम नहीं हुआ है। जिले में जहां बड़ी तादाद में मरीज मिल रहे हैं। वहीं राज्य में रोजाना करीबन ढ़ाई हजार पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं । इसके चलते स्कूल सामान बेचने वाले व्यवसायियों को स्कूल खुलने की मियाद आगे बढ़ने के साथ व्यवसाय के बैठ जाने से परिवार के भरण पोषण की चिंता बढ़ रही है। जिले के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी 22 मार्च को लॉक डाउन के बाद से पिछले 7 महीने से सभी स्कूल कॉलेज बंद है। यानी मार्च-अप्रैल में शैक्षणिक सत्र खाली निकल जाने से सीजन निकल चुका है। वही 7 महीने से लगातार स्कूल बंद होने से व्यवसाय प्रभावित होने से तंगहाली झेलनी पड़ रही है। इस दौरान सरकार द्वारा आनलाइन शिक्षा की व्यवस्था की गई है, लेकिन स्कूल बंद होने के कारण स्कूल से जुडे व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित है। स्कूल बैग टिफिन बॉक्स यूनिफार्म कॉपी किताबों पेन स्काउट एनसीसी ड्रेस प्रैक्टिकल्स गैजेट्स एनिमल डे एसेसरीज आदि का व्यवसाय के बुक स्टॉल व स्टेशनरी आदि दुकाने या सीजनल धंधा मंदा होने से परेशान है । व्यवसायियों ने हिस से चर्चा करते हुए बताया कि स्कूल कॉलेज बंद होने से बालक स्कूल बैग डिफिन व यूनिफॉर्म नहीं खरीदे हैं। काफी किताबें भी पहले की तुलना में 20 प्रतिशत भी नहीं बिक रही है । रेनकोट की तरह अब स्कूली स्वेटर भी नहीं बिक रहे हैं । इसके चलते कई दुकानें बंद होने की कगार पर आ गई है। वहीं सैकड़ों छोटे व्यवसाई खाली बैठे हैं कुछ व्यवसाई दूसरे धंधे कर रहे हैं। व्यवसायियों ने बताया कि स्कूल कॉलेजों की तालाबंदी से परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। कोरोना के नियंत्रण नहीं होने पर बच्चों की सुरक्षा का ध्यान जरूरी है, लेकिन स्कूल खोलने की तिथि आगे बढ़ने पर स्कूली सामानों का धंधा पूरी तरह चौपट हो जाएगा। अब तक स्कूल नहीं खुलने का सबसे ज्यादा असर स्कूलों के निकट गुपचुप चाट के ठेलो और साइकिल पंचर दुकान व्यवसायियों पर पड़ा है । इस तरह से धंधा कर रहे सैकड़ों व्यवसाय अपने परिवार का जीविकोपार्जन कर रहे थेए लेकिन पिछले 7 महीने से स्कूलों के रास्ता या स्कूलों के सामने पचासों ठेलों व साइकिल दुकानों में सन्नाटा है। रोजाना हजारों बच्चों की आमद से इन छोटे व्यवसायियों का पेट भर रहा था । बच्चों की साइकिल है और दो पहियों के पंचर व रिपेयरिंग कर कई साइकल ठेले वाले परिवार चला रहे थे । हालांकि कुछ लोगों ने धंधा या जगह बदल ली है, लेकिन नई जगह व धंधे में उनका धंधा मंदा चलने से तंगहाली में जीवन गुजार रहे हैं। इसी तरह कई स्कूल बसों के चालक परिचालक आधी भी सड़क पर आ गए हैं। कोरोना काल में स्कूल कॉलेज बंद होने से आटो चालकों को सवारियां भी नहीं मिल रही हैं, जिसके कारण उन्हें परिवार का खर्चा चलाने में दिक्कत होने के साथ-साथ आटो की किश्त बीमा आदि जमा करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । दिन भर सवारियों के इंतजार में बैठे रहते हैं। मुश्किल से सवारिया मिल पाती हैं जो अपर्याप्त है। आटो चालक संघ के सचिव राधेश्याम ने जिला कलेक्टर को आवेदन देकर चालान की कार्यवाही को रुकवाने के साथ-साथ बीमा और बैंक की किस्त जमा करने में छूट देने की दिशा में कारगर कदम उठाने की मांग की है, ताकि आटो चालको राहत मिल सके। हिन्दुस्थान समाचार/प्रमोद सोमानी/राजू-hindusthansamachar.in

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