गुनाः जबरदस्ती, दादागिरी और गुंडागर्दी का भारत बंद
गुनाः जबरदस्ती, दादागिरी और गुंडागर्दी का भारत बंद

गुनाः जबरदस्ती, दादागिरी और गुंडागर्दी का भारत बंद

गुना, 08 दिसम्बर (हि.स.)। कृषि बिल के खिलाफ मंगलवार को किसानों ने भारत बंद का आव्हान किया था। इस बंद को कांग्रेस, वामपंथी दलों सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने अपना समर्थन दिया था, किन्तु जिनका समर्थन इस बंद को मिलता था, वह नहीं मिला। व्यापारियों, दुकानदारों ने बंद को समर्थन तो दिया ही नहीं, बल्कि इसकी खुलकर खिलाफत भी की। जो बंद के समर्थन कर्ताओं को हजम नहीं हुआ। नतीजा जबरदस्ती, दादागिरी और गुंडागर्दी के रुप में सामने आया। जिसमें बलपूर्वक दुकानें बंद कराने की कोशिश की गई तो उनका सामान भी उठाकर फेंका गया। इतना ही नहीं, एक दुकानदार पर हमला भी किया गया। हालांकि दुकानदार इसमें ज्यादा चोटिल नहीं हुए, किन्तु उनका सब्र जरुर जवाब दे दिया और उन्होंने आत्मरक्षा के लिए डंडा उठा लिया। इसी बीच मौजूद पुलिस बल एवं आसपास के दुकानदारों ने बीच-बचाव कर स्थिति को नियंत्रण में लिया। भाजपा के साथ ही व्यापारियों ने भी इसको लेकर कड़ा आक्रोष व्यक्त किया है। मामले की शिकायत संंबंधित दुकानदार की ओर से शहर कोतवाली में भी की गई। जिस पर प्रकरण दर्ज किया गया। दूसरी ओर बंद पूरी तरह खुला-खुला रहा और अधिकांश दुकानें खुलीं रहीं, वहीं प्रदर्शन में भी किसानों के नाम पर राजनेताओं की भागीदारी दर्ज हुई। इस दौरान रैली निकालकर हनुमान चौराहे पर चक्काजाम करने का प्रयास किया गया। सुबह से ही खुल गया था बाजार गौरतलब है कि 12 दिन से कृषि बिल को वापस लेने के लिए आंदोलन किया जा रहा है। इसी क्रम में मंगलवार को भारत बंद का आव्हान किया गया था। जिसको लेकर विरोध पहले से ही सामने आने लगा था। कई संगठनों ने इस बंद की खिलाफत की थी। उनका कहना था कि इस तरह के बंद महज राजनीति चमकाने का जरिया भर होते है। इसी सोच के मदद्देनजर मंगलवार को बंद पूरी तरह खुला-खुला रहा। रोज की तरह व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान खोल लिए थे। जहां खरीददारी का दौर भी चलता रहा। हालांकि कुछ दुकानें बंद भी रहीं। गलियों में तो बाजार पूरी तरह खुला रहा। मुख्य बाजार में जरुर बंद का मिला-जुला असर देखने को मिला। बंद को लेकर पुलिस, प्रशासन के साथ बैठक में बंद के समर्थन करने वालों ने वादा किया था कि बंद शांतिपूर्ण रहेगा और वह किसी के साथ जबरदस्ती नहींं करेंगे, किन्तु मंगलवार को जुलूस के दौरान उन्होने अपना वादा भुला दिया। इस दौरान न सिर्फ जबर्रदस्ती की गई, बल्कि दादागिरी दिखाई गई। दुकानों के आगे लटके सामाने को उतारकर फेंका गया तो काउंटर पर धक्के मारने के साथ ही दुकानदारों से र्दुव्यहार किया गया और यह करने वाले किसान नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता थे। हैरानी की बात यह रही कि जुलूस के साथ चलने एवं जगह-जगह तैनात पुलिस ने भी इसे रोकने की जरुरत नहीं समझी। जुलूस के साथ गिरती रहीं शटर प्रदर्शनकारियों का जुलूस दोपहर में लक्ष्मीगंज स्थित शास्त्री पार्क से शुरु हुआ। इस समय तक पूरा बाजार खुल चुका था। लक्ष्मीगंज के दुकानदारों ने जैसे ही जुलूस निकलते देखा तो अपनी दुकानों के शटर गिराकर बाहर निकलकर खड़े हो गए। व्यापक सुरक्षा प्रबंधों के बीच निकले जुलूस के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के झंडे लहराते रहे। जुलूस जब मुख्य बाजार में पहुंचे तो यहां दुकानों के शटर गिरने लगे और दुकानदार बाहर खड़े हो गए। तब तक लक्ष्मीगंज में दुकानों के शटर फिर उठ गए थे और खरीददारी शुरु हो गई थी। जुलूस के साथ-साथ दुकानों के शटर गिरते-उठते रहे। हमला हुआ तो दुकानदार ने आत्मरक्षा के लिए उठाया डंडा जुलूस के दौरान पूरे समय दुकानदारों से जबरदस्ती करते आ रहे प्रदर्शनकारियों ने हाट रोड पर एक दुकानदार पर हमला बोल दिया। उक्त दुकान अनिल जैन रुपश्री भाजपा से जुड़े हैं। इसी के मद्देनजर प्रदर्शनकारियों ने उनकी दुकान खुली देखकर उनसे दुर्व्यवहार करना शुरु कर दिया। इसी बीच उन पर दुकान में रखी गुल्लक फेंककर मारी गई। इसके साथ ही दुकान में रखी बाल्टी भी फेंकी गई। अपने पर हुए इस हमले को लेकर जैन एकदम घबरा गए और जब उन्हें कुछ समझ नहीं आया तो आत्मरक्षा के लिए दुकान पर कपड़े टांगने वाला डंडा उठा लिया। स्थिति बिगड़ते देख पुलिस सहित कुछ लोगों ने बीच-बचाव कर उसे नियंत्रण में लिया। घटना को लेकर अनिल जैन ने बताया कि एक कांग्रेस नेता सहित कुछ लोगों ने उन पर हमला किया है। जैन ने इसको लेकर पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई। जिस पर प्रकरण दर्ज कर लिया गया है। हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक-hindusthansamachar.in

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