अनूपपुर जिला बनने के 18 वर्ष बाद भी तेंदूपत्ता फड़ शहडोल-उमरिया से संचालित
अनूपपुर जिला बनने के 18 वर्ष बाद भी तेंदूपत्ता फड़ शहडोल-उमरिया से संचालित

अनूपपुर जिला बनने के 18 वर्ष बाद भी तेंदूपत्ता फड़ शहडोल-उमरिया से संचालित

अनूपपुर, 08 दिसम्बर (हि.स.)। अनूपपुर को जिला बने 18 वर्ष से अधिक समय हो गया, लेकिन इस जिले की कई समितियों के तेंदूपत्ता फड़ आज भी शहडोल जिले के वन क्षेत्रों में समाहित है। इस विसंगति को दूर करने के लिए वन विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे विभागीय कार्य के साथ ही तेंदूपत्ता संग्राहकों को कई तरह की पेशानियों का समाना करना पड़ रह हैं। संग्राहकों को हो रही परेशानी वर्ष 2005 में अनूपपुर वन मंडल का गठन हुआ जिसमें दो अनुविभाग अनूपपुर और राजेंद्रग्राम हैं। इनमें अनुपूपुर में वन परिक्षेत्र क्रमश अनूपपुर, जैतहरी, कोतमा, बिजुरी तथा अनुविभाग राजेंद्रग्राम में अमरकंटक, राजेंद्रग्राम व अहिरगवां सम्मिलित किये गये हैं। वन मंडल अनूपपुर में जिला लघु वनोपज मर्यादित अनूपपुर में 9 समिति के अंतर्गत 198 तेंदूपत्ता फड़ों के माध्यम से आदिवासी बहुल अनूपपुर जिले में तेंदूपत्ता का संग्रहण किया जा रहा है। शहडोल जिला पृथक होने के बाद भी अनूपपुर, कोतमा, बिजुरी, बेनीबारी और अहिगवां के बहुत से तेंदूपत्ता फड़ शहडोल जिले के शहडोल, केशवाही क्षेत्र व उमरिया वन मंडल में वर्तमान समय तक सम्मिलित हैं। इससे तेंदूपत्ता फड़ों के संग्रह को वन विभाग का अनूपपुर वन मंडल के अंतर्गत नियंत्रण न होने के कारण समय पर भुगतान न होना, मिलने वाली लाभांश, बोनस का लाभ न मिल पाना साथ ही तेंदूपत्ता संग्राहकों को बीमा व अन्य सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। इससे आए दिन वाद-विवाद, व पत्राचार की स्थिति निर्मित होती है। वहीं वन मंडल के अंतर्गत समितियों के फड़ों में विसंगति होने के कारण संग्राहकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दूसरे जिले के वन परिक्षेत्र में इस तरह है शामिल वन परिक्षेत्र तेंदूपत्ता समिति अनूपपुर में सम्मिलित बैहार, पडऱी एवं छीरपानी जो जैतहरी परिक्षेत्र में सम्मिलित होना चाहिए वहीं जैतहरी वन परिक्षेत्र के छुलहा एवं पंगना समिति को अनूपपुर में सम्मिलित किया जाना। वन परिक्षेत्र केशवाही शहडोल समिति में बरबसपुर ,पोड़ी, मानपुर कोदैली, खाड़ा गीधा व भोलगड़ को अनूपपुर में सम्मिलित किया जाना व छिल्पा समिति में पसला, बिजौड़ी, जल्दा, छुलकारी, मझगमा, धनगवां, बम्हनी, छिल्पा, मौहरी, सेमरवार आदि फड़ों को फुनगा नई समिति का गठन कर सम्मिलित किए जाने के संबंध में ग्रामीणों, ग्रामों, वन समितियों ने प्रस्ताव पारित कर वन मंडल अनूपपुर व वन मंडल शहडोल के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है। शासन स्तर से होगा निर्णय इस संबंध में शहडोल वृत्त के शहडोल एवं अनूपपुर वन मंडल लघु वनोपज यूनियन द्वारा भी वर्ष 2008 से निरंतर बैठकों, पत्राचार कर विसंगतियों को दूर करने के प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा रहा है फिर भी आज तक शासन स्तर से निर्णय ना होने के कारण स्थिति पूर्ववत बनी हुई है। इसका खामियाजा आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहकों को भुगतना पड़ रहा है। जिले के जनप्रतिनिधियों, वरिष्ठ नागरिकों ने भी समय-समय पर इस महत्वपूर्ण समस्या के स्थाई निराकरण हेतु शासन- प्रशासन के समक्ष रखा लेकिन वर्तमान समय तक उक्त समस्या का निराकरण न हो पाना संभव नहीं लग रहा है। डीएफओ अधर गुप्ता ने कहा कि इस तरह की जो विसंगतियां हैं वह दूर हों इसके लिए विभाग द्वारा प्रयास किया जा रहा है। कुछ मामले सुलझ चुके हैं और कुछ के लिए कार्रवाई चल रही है। हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला-hindusthansamachar.in

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