अवैध कॉलोनी निर्माण की जांच में सीएमओ और ग्रेसिम कंपनी के बीच छिड़ी जंग

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अफसर ने नोटिस दिया तो जवाब में दिखाया कानून का आईना नागदा/उज्जैन 07 अप्रैल (हि.स.)। जिले के औद्योगिक नगर नागदा के तेज-तर्राट सीएमओ भविष्य कुमार खोब्रागड़ेे देश की ख्यात ग्रेसिम कंपनी से कानूनन टकरा गए। कंपनी को कथित अवैध कॉलोनी निर्माण की एक शिकायत की जांच में नोटिस जारी कर दिया। उधर, ग्रेसिम प्रबंधन ने जवाब में अपना पक्ष तो रखा साथ ही नोटिस में सीएमओ के अधिकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। बाद में कॉलोनी में जांच के लिए गए नपा अधिकारियों को प्रवेश तक नहीं करने दिया। कर्मचारी पंचनामा बनाकर बैरंग घर लौट आए। इस विवाद में ग्रेसिम कंपनी ने मुख्य नपा अधिकारी को जवाब में लिखित में चुनौती दे डाली कि नपा में प्रशासक के होते सीएमओ को नोटिस जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। इस जवाब के बाद सीएमओ हरकत में आए और जांच के लिए कर्मचारियों को ग्रेसिम कॉलोनी में भेज दिया। मजेदार बात यह हैकि नपा के कर्मचारियों को ग्रेसिम सुरक्षाकर्मियों ने अंदर घुसने से रोक दिया। उसके बाद तो दोनों पक्षों के बीच कानूनी लड़ाई का और घमासान हो गया। सीएमओ ने फिर नोटिस जारी कर दिया। नोटिस में कंपनी प्रबंधन से कॉलोनी निर्माण से संबधित दस्तावेज मांग लिए और तीन दिनों में मांग गए दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करने पर मप्र नगरपालिका अधिनियम 1961 की धारा 187.8 में कार्यवाही की चेतावनी तक दे डाली। दस्तावेज हिंदुस्थान समाचार के हाथ लगे ग्रेसिम कंंपनी के चूनौतीपूर्ण जवाब, सीएमओ के नोटिस एवं नपा कर्मचारियों को ग्रेसिम कंपनी में नहीं घुसने देने के पंचनामा के अभिलेख की प्रतिलिपि हिन्दुस्थान समाचार संवाददाता नागदा के हाथ लगी है। सभी प्रमाण सुरक्षित है। उधर, नपा प्रशासक आशुतोष गोस्वामी ने हिस संवाददाता से दूरभाष पर हुई बातचीत में सीएमओ द्वारा ग्रेसिम को नोटिस जारी करने की कार्यवाही को उचित ठहराया है। ग्रेसिम के उस आरोप को खारिज किया कि सीएमओ को प्रशासक की बिना अनुमति के नोटिस देने का अधिकार नहीं है। यह से शुरू हुआ झगड़ा प्रमाणित दस्तावेजों के अनुसार संभागीय कार्यपालन यंत्री एसडी दौराया नगरीय प्रशासन एवं विकास ने एक पत्र 25 फरवरी 2021 नपा सीएमओ नागदा के नाम जारी किया था। इस पत्र में शिकायत की जांच सीएमओ को सौंपी गई थी। जांच एक शिकायत पर केंद्रित थी। जिसमें यह मसला उठाया गया थाकि ग्रेसिम कंपनी ने बिड़लाग्राम इलाके में बहुमंजिला भवनों का निर्माण बिना किसी अनुमति के किया गया है। ग्राम निवेश विभाग तथा नपा की वैद्य अनुमति के बिना कथित अवैध कॉलोनी बनाई गई है। संयुक्त संचालक ने दिया था आदेश यह शिकायत नगरीय निकाय के संयुक्त संचालक के समक्ष रेलवे मंत्रालय भारत सरकार सलाहकार समिति के पूर्व सदस्य अभिषेक चौरसिया निवासी नागदा ने की थी। इसी मामले की जांच सीएमओ नागदा तक पहुंची थी। जिस पर कार्यवाही करते हुए उन्होंने ग्रेसिम प्रबंधक को नोटिस जारी किया था। इस प्रकार बताया नोटिस को अवैध ग्रेसिम कंपनी के जवाब में यह मामला उठाया गया कि नपा नागदा की परिषद वर्तमान में अस्तित्व में नहीं है। नपा में अनुविभागीय अधिकारी प्रशासक की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्रशासक की पूर्व स्वीकृति प्राप्त किए बगैर आप महोदय अर्थात सीएमओ को सूचना पत्र प्रेषित करने का अधिकार नहीं है। अत: प्रेषित सूचना पत्र निरस्तकरणीय है। वर्तमान में प्रशासक पद पर आशुतोष गोस्वामी कार्यरत है। साथ ही ग्रेसिम ने अपने बचाव में बस इतना लिखा हैकि ग्रेसिम को हाईकोर्ट के एक निर्णय के प्रकाश में किसी भी प्रकार के निर्माण में किसी भी विभाग से अनापत्ति लेने की आवश्यकता नहीं है। सीएमओ ने मांग ये दस्तावेज सीएमओ ने ग्रेसिम प्रबंधन को तीन दिनों की समय सीमा में अभिलेख प्रस्तुत करने का नोटिस दिया था। नोटिस में ये जानकारियां मांगी गई- 1. भूमि स्वामी के दस्तावेज 2.भूमि नामांतरण की प्रतिलिपि. 3.बहूमंजिला इमारतों के निर्माण के लिए शासकीय अनापत्ति 4.भूमि डायर्वसन की प्रति 5.नपा एवं ग्राम निवेश से स्वीकृत नक्शे एवं लेआउट की प्रति प्रशासक बोले सक्षम हैं सीएमओ इस प्रकरण में नपा प्रशासक आशुतोष कुमार गोस्वामी से जब हिस संवाददाता ने दूरभाष पर संपर्क कर उन्हें बताया कि ग्रेसिम ने एक लिखित जवाब में सीएमओ को यह चुनौती दी हैकि सीएमओ को नोटिस देने का अधिकार नहीं है। प्रशासक का कहना थाकि सीएमओ सक्षम है। उनको प्रशासक की अनुमति के बिना नोटिस जारी करने की शक्तियां प्राप्त हैं। हिन्दुस्थान समाचार / कैलाश सनोलिया

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