दबंगों के कब्जे में हैंडपंप पानी को तरस रहे आदिवासी, आयोग ने लिया संज्ञान
भोपाल, 04 जून (हि.स.)। मानव अधिकार आयोग ने टीकमगढ़ जिले के एक गांव के हैंडपंप दबंगों के कब्जे में होने तथा गांव के लोगों के बूंद-बूंद पानी के लिए तरसने पर संज्ञान लिया है। इस मामले में आयोग ने कलेक्टर, टीकमगढ़ एवं सीईओ जिला पंचायत, टीकमगढ़ से एक माह में तथ्यात्मक प्रतिवेदन मांगा है। आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर करीब 600 की आबादी वाले छोटे से गांव कबराटा में इस वर्ष गर्मी आते ही गांव के 7 में से 3 हैंडपम्प बंद हो गये। बाकी बचे 4 पर गांव के दबंगों ने कब्जा कर लिया। नतीजा यह है कि यहां रह रहे 25 आदिवासी परिवारों के 200 लोग बूंद-बूंद पानी को मोहताज हो गये। ऐसा हर साल होता है और ये आदिवासी गांव छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर जाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना कर्फ्यू की वजह से जा नहीं सके। ऐसे में उन्हें पानी के लिये एक किमी दूर यूपी के ललितपुर जिले के नाबई गांव तक जाना पड़ रहा है। यहां गड्ढों में जमा पानी से किसी तरह इनका काम चल रहा है। गांव के सुरेश आदिवासी का कहना है कि सरपंच को बताया, लेकिन कोई हल नहीं हुआ। अब ठान लिया है कि पानी की व्यवस्था नहीं हुई, तो मतदान भी नहीं करेंगे। पूरन आदिवासी के अनुसार दिनभर पानी भरें या मज़दूरी करके परिवार चलाएं, समझ नहीं आता। कलेक्टर टीकमगढ़ का इस बारे में कहना है कि पीएचई के अधिकारियों से बातकर गांव में पेयजल के संसाधन उपलब्ध करवाये जायेंगे। साथ ही सरकारी हैण्डपम्पों को दबंगों के कब्जे से तत्काल मुक्त कराया जायेगा। सागर के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में इस संबंध में प्रकाशित खबर में दिये गये तथ्यों पर आयोग द्वारा स्वयं संज्ञान लेकर प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया गया है। हिन्दुस्थान समाचार/केशव दुबे