शोध और उसके प्रकाशन में नैतिकता का बोध व पालन,मील का पत्थर है-प्रो. सम्पदा कुमार स्वाइन

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-इंगाँराजवि में दो सप्ताह के क्षमता निर्माण कार्यक्रम का समापन अनूपपुर, 29 जून (हि.स.)। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातिय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के पर्यटन प्रबंध विभाग द्वारा ‘अनुसंधान और प्रकाशन नैतिकता’ विषय पर शोद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए संचालित क्षमता निर्माण कार्यक्रम का समापन मंगलवार को हुआ। दो सप्ताह तक चले कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और शोध संस्थाओं से 160 से अधिक शोद्यार्थी और अध्यापकों ने सोशल मिडिया के माध्यम से भारत के विभिन्न प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों में कार्यरत आचार्यों ने ‘अनुसंधान और प्रकाशन नैतिकता’ विषय के विभिन्न पक्षों पर अपने विचार रखे। मुख्य अतिथि प्रो. सम्पदा कुमार स्वाइन, विभागाध्यक्ष, पर्यटन अध्ययन विभाग, पांडिचेरी विश्वविद्यालय ने कहा कि शोध और उसके प्रकाशन के माध्यम से शोधकर्ता अपने अनुसंधान और सुझावों को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंँचाता है, इससे अनुसंधानकर्ता को पृथक पहचान मिलती है और अकादमिक जगत से जुड़े हुए लोगों के ज्ञान में वृद्धि होती है। लेकिन शोध और प्रकाशन करते समय यह अनुसंधानकर्ता का दायित्व है कि वह शोध से जुड़े नैतिक मूल्यों से अवगत हो और उनका पालन कर सुनियोजित और आवश्यक शोध प्रविधि को अपनाना चाहिए साथ ही शोध पत्रों की संख्या की बजाय उनकी गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। यदि शोधकर्ता इन मुख्य बिन्दुओं का ध्यान रखते हुए शोध और उसका प्रकाशन करता है तो अकादमिक जगत में उसके कार्य को मान्यता मिलती है तथा नए सिद्धान्तों को या उन्हें परिमार्जित स्थापित करता है। पर्यटन प्रबंध विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जीबीएस जोहरी ने कार्यक्रम को अनुशासित और सुनियोजित तरीके से संचालित करने के लिए कार्यक्रम के निदेशक और सह-निदेशक ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे इस कार्यक्रम के सशक्त और कमजोर पक्षों पर खुलकर ईमानदारी पूर्वक अपनी प्रतिक्रियायें दें जिससे भविष्य में इस तरह की अकादमिक गतिविधियों को और बेहतर ढंग से आयोजित किया जा सके। डॉ. प्रशान्त कुमार सिंह ने सम्पन्न हुई गतिविधियों, व्याख्यानों तथा उसके बाद की चर्चा और प्रतिभागियों की उत्सुकता आदि से सम्बन्धित अनुभवों को साझा किया तथा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। सहायक प्राध्यापक डॉ. अनिल कुमार टमटा ने आभार संचालन सहायक प्राध्यापक डॉ. रोहित बोरलीकर ने किया। हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला

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