बच्चों की मनोसामाजिक समस्याओं का अभिभावक के रूप में निराकरण करें शिक्षक : न्यायमूर्ति पॉल

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महिला बाल विकास, स्कूल शिक्षा और यूनिसेफ द्वरा ऑनलाइन उन्मुखीकरण कार्यक्रम भोपाल, 21 मार्च (हि.स.)। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति व किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष सुजोय पॉल ने कहा कि शिक्षकों द्वारा बच्चों की मनोसामाजिक समस्याओं का अभिभावक के रूप में निराकरण व जागरूकता ही यौन शोषण रोकने का बेहतर उपाय है। न्यायमूर्ति पॉल रविवार को प्रदेश के शिक्षकों व अन्य प्रतिभागियों को ऑनलाइन उन्मुखीकरण कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम के विषयों को समाहित करने वाली एक बच्चे ‘टेडी’ की अत्यंत रोचक कहानी के माध्यम से बच्चों के मनोविज्ञान को समझाने के साथ ही बच्चों को सही दिशा व मार्गदर्शन प्रदान करने में शिक्षकों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। न्यायमूर्ति सुजोय पॉल ने बताया कि एक अच्छे शिक्षक द्वारा बच्चों को जीवन में सही दिशा प्रदान करने व उनके व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। अत: शिक्षक अपने दायित्वों को निभाते हुए बच्चे को अच्छा व्यक्तित्व प्रदान करें। उन्होंने कहा कि यदि एक शिक्षक चाहे तो परिस्थितियों को बदलकर बच्चों के शोषण को रोक सकता है और उन्हें एक अच्छा व्यक्ति बना सकता है| उन्होंने शिक्षकों को बच्चों की निजी मनोवैज्ञानिक व सामाजिक समस्याओं का निराकरण, अभिभावक की भूमिका निभाते हुए संवाद स्थापित करने और आपराधिक प्रवृतियों से बचाकर मुख्य धारा में लाने का सन्देश भी दिया। उन्होंने कानूनों की बारीकियों में न जाकर शिक्षकों से बच्चों को जागरूक कर अपराधों की स्थिति को रोककर भावी पीढ़ी को नई दिशा देने का आव्हान किया। महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक स्वाति मीणा नायक ने बताया कि उन्मुखीकरण कार्यक्रम में प्रदेश के समस्त शासकीय व अशासकीय मिडिल, हाई स्कूल व हायर सेकेंडरी स्कूल के शिक्षकों द्वारा सहभागिता की गयी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिक्षकों के साथ ही प्रदेश की बाल कल्याण समितियों, बाल देखरेख संस्थाओं के कर्मचारी सहित, महिला एवं बाल विकास विभाग के अन्य अमले को भी जोड़ा गया। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के शिक्षकों को बाल यौन शोषण की रोकथाम हेतु सक्षम व संवेदनशील बनाना है, ताकि प्रदेश में शिक्षक बच्चों का शोषण रोकने में प्रभावी भूमिका निभा सकें। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश

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