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पुष्कर डैम में अब भी 2 फीट मोटी गाद, बिना इंजीनियर कार्य पर नागरिकों ने जताई आपत्ति

- लापरवाही पर मुख्यमंत्री से शिकायत अनूपपुर, 21 मई (हि.स.)। अमरकंटक से प्रवाहित होने वाली नर्मदा अपने उद्गम स्थान से निकलकर अरब सागर में मिलती है लेकिन उद्गम से निकलने के चंद फासले बाद ही नर्मदा की धार अब विरल हो गई है। वर्षों से पुष्कर डैम, माधव और कपिला डैम में जलसरंक्षित नर्मदा जल पिछले वर्ष 2020 के अगस्त माह के दौरान डैम का किनारा तोड़कर बह गया था। जिसके कारण नर्मदा के तीनों डैमों में सिर्फ गाद ही गाद नजर आने लगे थे। इसके बाद स्थानीय जानकारों व प्रशासन ने नर्मदा जल सरंक्षण और श्रद्धालुओं के उपयोग के लिए डैम की सफाई कराने का निर्णय लिया। जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी स्वीकृति प्रदान करते हुए प्रशासन को 5.45 करोड़ राशि उपलब्ध कराते हुए नर्मदा की सफाई के निर्देश दिए। साथ ही मुख्यमंत्री ने इसे किसी भी हालत मेंं बारिश से पूर्व पूरा करने का अल्टीमेटम भी दिया, लेकिन प्रशासन द्वारा यहां आरम्भ कराए गए डैमों की सफाई और रामघाट सौन्दर्यीकरण योजना में लापरवाही नजर आने लगी है। बिना इंजीनियर गाद निकालने वाले ठेकेदार के भरोसे पूरा अमरकंटक की सरोवर की सफाई कराई जा रही है। जिसमें ठेकेदार अपनी मर्जी के अनुसार गाद निकालने का कार्य कर रहा है। वहीं बारिश का सिलसिला आरम्भ हो गया, जिसमें गाद निकलने का कार्य प्रभावित होता देखकर अब स्थानीय नागरिकों और नर्मदा से जुड़े लोगों ने नाराजगी जताते हुए पांच बिन्दूओं पर लापरवाही और बेहतर कार्य कराए जाने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री से शिकायत की है। जिसके बाद अब प्रशासनिक खेमें में अफरा तफरी मची है। विदित हो कि मौसम में लगातार बदलाव होने के कारण मई माह से ही अमरकंटक में लगातार बारिश हो रही है, जिससे गाद निकालने का कार्य भी प्रभावित हो गया है। दो फीट और जमी है गाद नागरिकों का कहना है कि प्रशासनिक स्तर पर जिस तरह से सावित्री, गायत्री, पुष्कर, माधव सहित आसपास के सरोवरों की सफाई कराई जा रही है, वह संतोषजनक नहीं है। नर्मदा की मुख्य डैम पुष्कर में अब भी 2 फीट मोटी गाद बैठी है, इसे बाहर निकाला जाना चाहिए। इसके अलावा अन्य डैम की भी वास्तविक स्तर से गाद नहीं निकाली गई है। ऐसे में चंद वर्षों के बाद फिर से मोटी गाद जम जाएगी और नर्मदा की जल उथली हो जाएगी। बताया जाता है कि वर्ष 1982 में पुष्कर बांध के निर्माण की नींव रखी गई थी। वर्ष 1984 में पुष्कर बांध का निर्माण का कार्य आरंभ हुआ और 1987 में पुष्कर बांध बनकर तैयार हो गया था। नर्मदा के इस प्रथम पुष्कर बांध के निर्माण को लगभग 36 वर्ष हो चुके हैं। प्रति वर्ष बारिश के कारण अमरकंटक की नर्मदा में बारिश के जल के साथ मिट्टी आने और कचरे के फलस्वरूप पुष्कर बांध में 10-15 फीट मोटी गाद भर गई थी। पुष्कर बांध की कुछ गाद निकाल ली गई है, लेकिन अभी भी 2 फीट मोटी गाद बांध में बैठी है। बारिश से कार्य पर संशय मानसून के आरम्भ होने में अब माहभर का समय शेष बचा है, जबकि पुष्कर डैम में सीढ़ियों के निर्माण सहित गाद की सफाई और अन्य निर्माण कार्य शेष हैं लेकिन लगातार बारिश के कारण निर्माण कार्य बार-बार प्रभावित हो रहे हैं। पुप्पराजगढ़ एसडीएम अभिषेक चौधरी ने बताया कि अमरकंटक में 9 सरोवरों में कार्य किया जा रहा है। गायत्री, सवित्री एवं माधव सरोवर सहित दो अन्य का कार्य पूरा किया जा चुका है। पुष्कर सरोवर का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ हैं पूर्ण होने के पहले उसका मैजेरमेंट सबके सामने लेकर कार्य को पूर्णत:माना जाएगा। अगर नहीं हुआ तो उसे पूरा कराया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार / राजेश शुक्ला

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