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वैक्सीनेशन को लेकर कर्मचारियों के संबंध में दिए आदेश से आक्रोश व्याप्त

रतलाम, 25 जून (हि.स.)। जिला प्रशासन द्वारा समस्त आहरण संवितरण अधिकारी को यह निर्देश दिया गया कि उनके अधीनस्थ समस्त कर्मचारी अनिवार्यता वैक्सीनेशन करावे यह सुनिश्चित होने के बाद ही संबंधित कर्मचारियों का वेतन आहरित करें कर्मचारी नेता दीपक सुराना ने प्रशासन के इस आदेश को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि शासकीय कर्मचारी कर्तव्य निष्ठा के साथ अपने दायित्व का निर्वहन करता आ रहा है और वैक्सीन की महत्ता को समझते हुए वैक्सीनेशन करवा ही रहे हैं किंतु इसके बावजूद यदि कतिपय कर्मचारी वंचित है तो उनके लिए कार्यालय समय में ही कार्यक्षेत्र पर वैक्सीनेशन की सुविधा उपलब्ध कराई जाए ताकि कर्मचारी कार्यालयीन समय में ही वेक्सीन लगवा सके, और अपने कार्यालय में रहकर दायित्वों का निर्वहन भी कर सकें। सुराणा ने कहां की महज लक्ष्य पूर्ति के उद्देश्य से कर्मचारियों को वेतन से वंचित रखना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है, यह वही शासकीय कर्मचारी हैं जिन्होंने भयावह कोरोना काल में अपनी ड्यूटी दी है यदि प्रशासन कर्मचारियों के हितों को ध्यान रखता तो मार्च आरंभ से ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों का वैक्सीन हो जाना था, ऐसा ना होने के कारण कई कर्मचारियों को कोविड ड्यूटी करते हुए खामियाजा उठाना पड़ा। जिला प्रशासन कर्मचारियों के वेतन रोकने संबंधी निर्देशों पर पुनर्विचार करें, और कर्मचारियों को वेक्सीन लगाने हेतु एक निश्चित स्थान और समय तय करें साथ ही अवकाश भी प्रदान किया जाए। दबी जुबान से कर्मचारी नाराज रावटी के पत्रकार पुरूषोत्तम पांचाल के अनुसार जिले में शत-प्रतिशत टीकाकरण को लेकर जिला प्रशासन ने सभी छोटे कर्मचारियों को इस हेतु अभियान चला रखा है। मानव समाज के लिए टीका लगाना अनिवार्य भी है, परन्तु कलेक्टर ने टीकाकरण नहीं कराने की बात को लेकर कुछ कर्मचारियों को निलंबित करना तर्क संगत नहीं। जनपद पंचायत बाजना अनुसार 65 ग्राम पंचायतों में आंगनवाड़ी सुपरवाईजर, पटवारी व अन्य कर्मचारियों को चुनाव आयोग के फरमान के समान टीकाकरण हेतु जवाबदेही बनाया है, टीकाकरण लगाए या नहीं लगाए यह परिजनों की कार्यप्रणाली के उपर जाता है तो जबरन टीका लगाने व अधिनस्थ कर्मचारियों का निलंबन करना न्यायपूर्ण रवैया ठीक नहीं है। वर्तमान में तालाबंदी बहुत ही खतरनाक रहां, इसमें कई लोगों की श्वसन क्रिया कम होने पर अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। सूत्रों अनुसार जिले में लगभग 17 हजार कोरोना वायरस से प्रभावित हुए इसमें से कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। टीके नहीं लगाने पर कई कर्मचारियों को निलंंबित कर दिया है, उन छोटे कर्मचारियों का क्या दोष है। इस निलंबन को लेकर छोटे कर्मचारियों में आक्रोश है । इनका कहना है कि कलेक्टर साहब तो प्रदेश के जिलास्तर के मुख्यमंत्री है क्या कर सकते है, ठीक है एक दिन तो आवाज उठेगी ही। प्रांतीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष गोपाल बोरिया ने बताया कि टीके के संबंध निलंबन के आदेश से आक्रोश व्याप्त है। इससे टीकाकरण कार्यक्रम पर विपरित असर हो सकता है। इन्हेंने बताया कि कलेक्टर से इस संबंध में चर्चा भी हुई है। इन्होंने 15 दिवस में निलंबित कर्मचारियों से आवेदन देने पर निलंबन वापस लेने की कार्रवाई होगी। हिन्दुस्थान समाचार / शरद जोशी

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