15 जून से ओंकारेश्वर मंदिर खुलेगा, ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर नहीं
- स्थानीय रहवासियों का भी काम धंधा चलने की उम्मीद ओंकारेश्वर, 13 जून (हि.स.)। दो माह से अधिक की अवधि के अंतराल के पश्चात मंगलवार 15 जून से ओमकारेश्वर मंदिर खुलने जा रहा है, लेकिन ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर अभी खुलेगा या नहीं इस पर संशय बना हुआ है, क्योंकि यह मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है जो केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है जिस की गाइडलाइन विभाग ही तय करता है, हालांकि केंद्रीय पुरातत्व विभाग के माध्यम से जो जानकारी आई है उसके अनुसार 15 जून तक इस विभाग के अंतर्गत आने वाले सारे म्यूजियम एवं मंदिर बंद रहेंगे, इसमें ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भी सम्मिलित है। इन सारी स्थितियों को देखते हुए ममलेश्वर मंदिर को प्रारंभ होने में लगभग 2 सप्ताह का समय लग सकता है, क्योंकि पिछली बार के लाकडाउन में ओमकारेश्वर मंदिर पहले खुल चुका था उसके बाद ही ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर खुला था। मंदिर के खुलने के साथ इस नगर में रहने वाले दुकानदार एवं व्यवसाई तथा नाव चालक एवं पंडित गणों के साथ अन्य लोगों का काम धंधा जो पिछले दो ढाई माह से बंद पड़ा हुआ था उसके प्रारंभ होने की उम्मीद है। स्थानीय रहवासी परिवारों की स्थिति को देखते हुए मांधाता क्षेत्र के विधायक नारायण पटेल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस आशय का पत्र लिखा था कि ओंकारेश्वर के निवासियों की रोजी रोटी सिर्फ यात्रियों के बल पर ही चलती है और पिछले दो ढाई महीने से मंदिर बंद होने के कारण यहां के रहवासी परिवारों की स्थिति बड़ी दयनीय हो गई है। दूसरी ओर करोना महामारी का असर भी अब धीरे-धीरे कम होता जा रहा है तथा खंडवा जिले में स्थिति बेहतर है। इन सब स्थिति को देखते हुए विधायक ने मुख्यमंत्री से ओंकारेश्वर मंदिर को खोले जाने की मांग रखी थी। उसी के परिपालन में पुनासा तहसील के अनुविभागीय दंडाधिकारी चंद्र सिंह सोलंकी ने ओमकारेश्वर मंदिर की परिस्थितियों का जायजा लिया तथा अपने वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करने के बाद कल 15 जून मंगलवार से मंदिर खोले जाने का निर्णय लिया, इससे स्थानीय निवासियों में हर्ष की लहर है। भक्तों को दूर से ही होंगे भगवान भोलेनाथ के दर्शन ओमकारेश्वर मंदिर खुलने के पश्चात यहां भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने वाले दर्शनार्थियों को सुखदेव मुनि प्रवेश द्वार से दर्शन के लिए आएंगे तथा भगवान भोलेनाथ के दूर से दर्शन करने के पश्चात चांदी द्वार वाले मार्ग से उन्हें वापस भेज दिया जाएगा। आने वाले समय के धार्मिक पर्व काल को देखते हुए इस व्यवस्था को बदला भी जा सकता है। हिन्दुस्थान समाचार/परमानंद/राजू