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मप्रः कोरोना से मरने वालों के परिजनों को 5 लाख रुपये मुआवजा दे सरकार: कमलनाथ

भोपाल, 30 जून (हि.स.)। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश सरकार से कोरोना से मरने वालों के परिजनों को 5 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि कोरोना से मृत व्यक्ति के परिवार को मुआवजा देना सुनिश्चित किया जाए। मुआवजा तय करने के लिए नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉर्टी (एनडीएमए) को 6 हफ्ते का समय दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार की विफलता को दिखाता है। कमलनाथ ने बुधवार को कहा कि होना तो यह चाहिए था कि सरकार कार्यपालिका के रूप में स्वयं अपनी जिम्मेदारी निभाती और न्यायपालिका को फैसला सुनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। लेकिन केंद्र सरकार बार-बार सुप्रीम कोर्ट में मुआवजा न देने के बहाने बनाती रही। केंद्र के वकीलों ने तो यहां तक कहा कि जब दूसरी बीमारियों में मुआवजा नहीं देते हैं तो कोरोना में मुआवजा क्यों दें? लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को उसका कर्तव्य याद दिलाया है। मेरी केंद्र सरकार से मांग है कि प्राकृतिक आपदा में मरने वाले व्यक्ति को पहले से ही 4 लाख रुपये मुआवजा देने का प्रावधान है, एनडीएमए जो भी फार्मूला बनाए, उसमें इस तथ्य को ध्यान में रखे। कोरोना से मृत्यु पर केंद्र की ओर से कम से कम 4 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए पूर्व सीएम ने कहा कि प्रदेश सरकार पहले ही कोरोना से मृत व्यक्ति को एक लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा कर चुकी है। इस तरह केंद्र और राज्य सरकार मिलकर मध्यप्रदेश में कोरोना से मृत हर व्यक्ति के परिजन को कम से कम 5 लाख रुपये मुआवजा देना सुनिश्चित करे। मैंने पूर्व में भी इस आशय की मांग कई बार उठाई है, लेकिन अब तक सरकार अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करने में हीला-हवाली करती रही है। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को फटकार लगाई है, तो बहानेबाजी छोडक़र कोविड पीडि़तों की मदद की जानी चाहिए। कमलनाथ ने कहा कि दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि मध्य प्रदेश में यह बराबर देखने में आ रहा है कि राज्य सरकार मृतकों के आंकड़े जानबूझकर घटा रही है। देश और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इस आशय के समाचार प्रकाशित हो चुके हैं, जिनसे पता चलता है कि मध्यप्रदेश में जितने लोग कोरोना से मरे हैं, उससे बहुत कम लोगों की मृत्यु कोरोना से होना सरकार ने स्वीकार किया है। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश कर दिया है तो सरकार न सिर्फ मानवीय आधार पर मुआवजा तय करे, बल्कि मृतकों की संख्या छुपाने की राजनीति भी बंद करे। सरकार के लिए यह राजनीति का विषय हो सकता है, लेकिन जिस परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई हो, वहां पूरे परिवार के सामने आर्थिक और सामाजिक संकट खड़ा हो जाता है। मध्यप्रदेश के ऐसे दुखियारे परिवारों से छल करने के बजाय सरकार को उनके दुख-दर्द को समझते हुए, ईमानदारी से मुआवजा देना चाहिए। पूर्व सीएम कमलनाथ ने आरोप लगाते हुए कहा कि मृत्यु के आंकड़ों में सरकार पहले ही काफी हेरफेर कर चुकी है, इसलिए कोविड मृत्यु साबित करने के लिए लोगों पर अनावश्यक प्रमाण प्रस्तुत करने का दबाव न बनाया जाए। इसके बजाय जो परिजन कोविड से मृत्यु का शपथपत्र प्रस्तुत करें, उसे ही प्रमाण मानकर कोविड मृत्यु का मुआवजा दिया जाए। यदि किसी शपथपत्र में गड़बड़ी पाई जाती है तो बाद में उसकी जांच की जा सकती है। राज्य में आय प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र और दूसरे प्रमाणपत्र जारी करने का मूल आधार शपथपत्र ही होता है। अगर कोई परिजन कोविड प्रोटोकॉट से अंतिम संस्कार करने और कोविड से मृत्यु का शपथपत्र देता है तो उसे पर्याप्त माना जाना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/ नेहा पाण्डेय

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