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चक्की लॉक, घर में गेहूं रखा फिर भी खरीद रहे महंगा आटा, आयोग ने लिया संज्ञान

भोपाल, 06 मई (हि.स.)। मानव अधिकार आयोग ने राजधानी भोपाल में आटा चक्कियां लॉक होने पर संज्ञान लिया है। इस मामले में आयोग ने प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, मंत्रालय एवं कलेक्टर, भोपाल से एक सप्ताह में अर्थात 13 मई तक प्रतिवेदन मांगा है। घर में कोठी, ड्रम-बोरियों में गेहूं रखा है। फिर भी दुकानों से 30-35 रूपये प्रति किलो आटा खरीदना पड़ रहा है। ये हाल भोपाल शहर के किसी एक परिवार या घर का नहीं है, बल्कि हजारों परिवारों के सामने यही संकट है, क्योंकि शहर में करीब एक महीने से कर्फ्यू ने आटा चक्कियों के शटर गिरा रखे हैं। जिला प्रशासन के अफसरों का कहना है कि लोग कुछ दिन महंगे आटे से काम चला लें। संक्रमण की चेन टूटने के बाद सब खुलवा देंगे। शहर के ज्यादातर लोग सालभर का गेहूं खरीदकर रखते हैं। सरकारी राशन दुकानों पर निर्भर लोग भी अपने हिस्से का गेहूं लेकर उसे आटा चक्की पर पिसवाते हैं। महीनेभर पहले प्रशासन ने किराना, फल, सब्जी, दूध दुकानें खोलने का समय तो तय किया, लेकिन आटा चक्कियों को लेकर गाइडलाइन जारी नहीं की। नतीजतन, लोगों को घरों में पर्याप्त गेहूं होने के बावजूद महंगे दाम पर आटा खरीदना पड़ रहा है। पांच किलो आटे का पैकेट 160 यानी करीब 32 रूपये प्रति किलो के भाव से आता है। वहीं, पांच किलो गेहूं पिसवाने के बाद भी 25 रूपये किलो ही पड़ता है। आयोग ने अधिकारियों से यह भी पूछा है कि गेहूं पिसवाने के लिए आटा चक्कियों को खोलने की क्या व्यवस्था की गई है ? शासकीय राशन की दुकानों/पीडीएस के जरिये निर्धन परिवारों को शासन की ओर से उपलब्ध कराये जा रहे गेहूं को आटा चक्की बन्द होने की स्थिति में किस प्रकार से पिसवा सकने की व्यवस्था शासन की ओर से की गई है ? क्योंकि ऐसे निर्धन व्यक्ति/परिवार जब गेहूं के लिए ही म.प्र. शासन पर निर्भर हैं, तो वे अपनी ऐसी आर्थिक विपन्नता में गेहूं के होने पर व्यक्तिगत तौर पर पिसे हुए आटे को बाजार से कैसे क्रय कर सकते हैं ? क्या मध्यप्रदेश शासन द्वारा ऐसी विषम परिस्थितियों के लिए ऐसे निर्धन परिवारों/व्यक्तियों को शासन की ओर से उपलब्ध करवाये जा रहे गेहूं के स्थान पर इतनी ही मात्रा में सामान्य स्तर का उपयोग योग्य पिसा आटा उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था किया जाना संभव है ? हिन्दुस्थान समाचार/केशव दुबे

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