mcu-professor-sasikala-won-the-coronation-war-with-the-help-of-spirituality
mcu-professor-sasikala-won-the-coronation-war-with-the-help-of-spirituality

एमसीयू की प्रोफेसर शशिकला ने जीती आध्‍यात्‍म के सहारे कोरोना जंग

भोपाल, 27 अप्रैल(हि.स.) आपकी इच्छा शक्ति प्रबल है और आप ईश्वर या आध्यात्म में विश्वास रखते हैं तो इस कोरोना काल में आपके लिए कोविड-19 वायरस से जंग लड़ना आसान हो जाएगा। वैसे भी धर्म को लेकर हुए अब तक शोध बताते भी यही हैं कि यह हमें अंदर से मनोबल के स्तर पर मजबूत बनाता है। किसी अदृश्य शक्ति के ऊपर अथाह विश्वास कि वह हमें कुछ नहीं होने देगी, आपको उत्साहित करती है। ऐसे ही एक कोरोना संक्रमण मामले में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की मीडिया प्राध्यापक डॉ. पी. शशिकला चिकित्सकीय परामर्श-देखरेख के साथ अपने पूरे परिवार को अध्यात्म की शक्ति से इस वायरस से बाहर निकालने में सफल रही हैं। उन्होंने जो कहा वह सभी के लिए प्रेरणा देता है। एक वीडियो साझा कर उन्होंने बताया है कि कैसे वे कोरोना से जंग जीतने में सफल रहीं । प्रोफेसर शशिकला कहती हैं कि मेरे पूरे परिवार ने डॉक्टर्स की सलाह के साथ-साथ अध्यात्म की शक्ति और आत्मविश्वास से कोरोना संक्रमण को हराने में सफलता प्राप्त की है । वे बता रहीं है कि मन को मजबूत रखने के लिए उन्होंने मीडिया से दूरी बना ली थी। माँ से भी बात नहीं की, क्योंकि माँ भावुक हो जाती थी। डॉ. पी. शशिकला ने मंगलवार बताया कि अस्पताल में भर्ती रहते हुए उन्होंने सिर्फ हिम्मत और सकारात्मकता देने वाले लोगों से बात की। कोविड-19 से संक्रमित अपने बेटे और पति, दोनों का भी हौसला उन्होंने बढ़ाए रखा । लगातार ईश्वर नाम स्मरण करती रहीं। अपने इष्ट से यही मांगती रहीं कि सभी को जल्द स्वस्थ करें। इतना ही नहीं तो अपने आस-पास के लोगों का भी लगातार उत्साह वर्धन करती रहीं । उन्होंने बताया कि उनके बेटे और पति को बहुत अधिक संक्रमण हो गया था। आवश्यक इंजेक्शन की भी पूरी खुराक मिलने में संकट पैदा हो गया, किंतु वे अपने बेटे और पति को लगातार प्राणायाम कराती रहीं । शुरू में कफ के प्रभाव में प्रणायाम करने में बहुत अधिक कठिनाई हो रही थी, लेकिन धीरे-धीरे यह विश्वास की ईश्वर हमारे साथ कुछ भी गलत नहीं होने देगा, हम सफलता से कोरोना को हराएंगे के मनोबल एवं चिकित्सकों की लगातार की देखरेख में उनका और उनके परिवार के अन्य दोनों सदस्यों का स्वास्थ्य शीघ्र ही सुधरने लगा। पहले जहां 10 मिनट भी प्राणवायु लेने में कठिनाई आ रही थी, पति को ऑक्सीजन का सहारा लेना पड़ा था, लगातार के प्रयासों और प्राणायाम से अतिशीघ्र श्वास में नियंत्रण पाने में पूरे परिवार ने सफलता प्राप्त की । शशिकला कहती हैं कि इस महामारी के संकट में उन्होंने भारतीय योग के महत्व को ओर अधिक नजदीक से महसूस किया । जिन्हें भी कोरोना हुआ है, या परिवार में किसी को है तो उनके प्रति प्रो. पी. शशिकला का संदेश है कि वे घबराए नहीं । सबसे पहले पता चलते ही इलाज शुरू करें । समय पर आवश्यक जांच कराएं और जरूरत है तो अस्पताल में भर्ती हो जाएं या फिर जो कोरंटाइन सेंटर सरकार एवं सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से चल रहे हैं, वहां अपना भर्ती होकर इलाज कराएं। अच्छी डाइट लें। रुक-रुक कर जितना संभव हो, उतनी बार भांप लेने का प्रयास करें । धूप में भी बैठें। उत्साहवर्धन साहित्य यदि पढ़ने की स्थिति में हैं तो अवश्य पढ़ते रहें। नकारात्मकता को ऐसे समय में बिल्कुल भी पास नहीं आने देना है। उन्होंने कहा है कि इच्छाशक्ति वह वृत्ति चक्र है जिसके अंतर्गत प्रत्यय, अनुभूति, इच्छा, गति या प्रवृत्ति, शरीर धर्म सबका योग रहता है। जो संकल्प को साकार करने का माध्यम बनती है, ऐसी बलवती इच्छा को जिसकी ज्योति अहर्निश कभी मंद न हो, उस दृढ़ इच्छाशक्ति से ही अंततः चिकित्सकीय परामर्श के साथ कारोना से जीत मिल सकती है। हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. मयंक चतुर्वेदी

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in