इलाज में लापरवाही से प्रसूता की मौत, आयोग ने की एक लाख हर्जाने की अनुशंसा
भोपाल, 13 जनवरी (हि.स.)। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने दतिया जिले में इलाज में लापरवाही के कारण एक प्रसूता की मौत के मामले में मृतका के उत्तराधिकारी को एक लाख रुपये का हर्जाना दिये जाने के आदेश दिए हैं। आयोग ने कहा है कि राज्य शासन चाहे, तो इस क्षतिपूर्ति राशि की वसूली संबंधित डाॅक्टर एवं अन्य चिकित्सकीय स्टॉफ से कर सकता है। आयोग में प्रचलित प्रकरण क्रमांक 2307/दतिया/2020 के अनुसार मृतिका के पति अनिल अहिरवार ने आयोग को आवेदन पत्र देकर बताया था कि 10 फरवरी 2020 को उसकी पत्नी रीमा अहिरवार को प्रथम डिलेवरी के लिए रात्रि लगभग 11.30 बजे पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, उनाव, जिला दतिया में परिजनों के साथ लाया गया था। वहां पदस्थ चिकित्सक डॉ. जितेन्द्र वर्मा एवं स्टाफ मौके पर उपस्थित नहीं था। स्टाफ नर्स अजीता सिंह सो रही थी। दो बार बुलाने पर गुस्से में आई। दूरभाष पर डॉ. जितेन्द्र वर्मा से बात कर प्रसव से पूर्व दो हजार रूपये जमा करने को बोला। दो हजार रूपये देने के पश्चात डिलेवरी रूम में ले जाया गया और 11 फरवरी को प्रातः 05.45 बजे स्टाफ नर्स ने रीमा को कट लगाकर प्रसव कराया और बच्ची को बाहर निकाला। टांके नही लगाये और बिना दवा के पंलग पर लिटाकर दो हजार रूपये लेकर बिना किसी के संज्ञान में लाये डयूटी छोड़कर झांसी चली गई। सुबह नौ बजे डॉ. जितेन्द्र वर्मा आये। उन्हे रीमा के बेहोश होने और ज्यादा रक्त स्त्राव की जानकारी दी। डॉ. वर्मा ने रीमा को देखा और दतिया रेफर कर दिया। दतिया में हालत गम्भीर बताते हुये, उसे झांसी मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया। परिजनों द्वारा झांसी में उसे एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती किया, जहां रीमा 24 घण्टे भर्ती रही। वहां से एक निजी अस्पताल के आई.सी.यू. में चार दिन भर्ती रही और वहां से ग्वालियर ले जाते समय रास्ते में उसकी मृत्यु हो गई। आयोग ने सुनवाई के दौरान पाया कि अस्पताल प्रबंधन के इस रवैये से प्रसूता रीमा के जीवन, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के अधिकार के संरक्षण के दायित्व की उपेक्षा से उसकी मृत्यु एवं उसके मानव अधिकारों की घोर उपेक्षा हुई है। हिन्दुस्थान समाचार/केशव दुबे-hindusthansamachar.in