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खुद को घरों में किया बंद, बाहर निकलने से बचते हैं गांव के लोग

गुना, 27 अप्रैल (हि.स.)। गाड्डवों में जिन दालानों पर कभी रौनक हुआ करती थी, वह अब सुनसान पड़ी हुई हैं। जिन चबूतरों पर बैठकर लोग गप्पे लगाया करते थे, वहां अब कोई नहीं दिखता। जिन मंदिरों में पेड़ के नीचे दिन भर लोगों का हुजूम लगा रहता था, वे वीरान नजर आते हैं। कोरोना ने गांव की जीवनशैली को बदल दिया है। एक समय जहाँ लोग- दूसरे से बात किये बिना नहीं रहते थे, अब कोरोना का खौफ ऐसा है कि कोई घर से निकलने की सोचते भी नहीं। शहर से सटे दो गांव का भ्रमण किया। सकतपुर और गढ़ा गांव पहुंचकर वहां के हालातों का जायजा लिया। सकतपुर गांव शहर से सटा होने के बाद भी कोरोना से अछूता रहा है। यहाँ अभी तक कोरोना के कोई केस नहीं आये हैं। इसके पीछे यहाँ के लोगों की जीवनशैली है। टीम जब गांव में पहुंची तो गांव की अधिकतर सडक़े सुनसान नजर आयी। यहाँ गांव के बाहर बने एक छोटे से मैदान में कुछ बच्चे जरूर क्रिकेट खेलते नजर आये। बच्चों के लिए समय निकलने का यही एक जरिया बचा हुआ है। वहीं गांव के दूसरे छोर पर एक कच्ची गुमठीनुमा झोपडी में कुछ बुजुर्ग और 2-3 व्यक्ति बैठे नजर आये। इनमें से किसी ने भी मास्क नहीं पहना था। इनसे जब कोरोना को लेकर पूछा गया तो इनका कहना था की इस गांव में अभी तक कोरोना का कोई केस नहीं आया है। इसके पीछे यहाँ के लोगों की दिनचर्या है। यहाँ लोग सुबह से उठकर मेहनत करने में लग जाते हैं। चाहे तेज धुप हो, गर्मी हो लोग अपने खेतों पर काम करते हैं। गांव भी खुला हुआ है। आबादी घनी नहीं है, इस कारण शारीरिक दूरी का पालन वैसे ही हो जाता है। यहाँ बैठे माधोलाल लोधा ने बताया कि गांव में कोरोना का एक भी केस नहीं आया है। उसका कारण है कि हम लोग फ्रिज का पानी नहीं पीते, न यहाँ पंखे की हवा है। टाइम पास करने के लिए कुछ लोगों के साथ बैठकर बातचीत कर लेते हैं। पेपर वगैरह पढ़ लेते हैं। जैसे ही 45 वर्ष से ऊपर के लोगों को वैक्सीन लगनी शुरू हुई, मैंने अपनी पत्नी के साथ जाकर तुरंत टीका लगवा लिया। इसी गांव में मंदिर और स्कूल के पास सन्नाटा पसरा हुआ था। कुछ बच्चे बाद हैंडपंप पर अपना समय व्यतीत करते नजर आये। इसके बाद टीम शहर से 10 किमी दूर ग्राम गढ़ा में पहुंची। यहाँ काफी लम्बी लम्बी दलाने बनी हुई हैं। लेकिन इन पर इस समय सन्नाटा पसरा हुआ है। इस गांव में कुछ केस कोरोना के जरूर आये हैं। यहाँ से कई लोग मंडी में सब्जी बेचने पहुँचते हैं। रोज सुबह आधा दर्जन ग्रामीण अपने खेतों से सब्जी लेकर पहुँचते हैं। यहाँ के लोग मास्क को लेकर थोड़े जागरूक दिखे। जो व्यक्ति पॉजिटिव आया वह जिला अस्पताल में भर्ती है। उसके परिजन भी शहर में ही रह रहे हैं। हालाँकि गांव वाले पॉजिटिव व्यक्ति के परिवार के प्रति अपनी सहानुभूति रखते हैं। पर खुद भी सावधानी बरत रहे हैं। ग्रामीण अपना समय गुजरने के लिए घरों में ही कुछ न कुछ करते रहते हैं। बाहर निकलने से ग्रामीण बचते नजर आते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ अभिषेक

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