India's greatness in education, safety and freedom of children: Kailash Satyarthi
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बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और स्वतंत्रता में है भारत की महानता : कैलाश सत्यार्थी

भोपाल, 12 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय युवा दिवस पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में मंगलवार को ‘बाल सुरक्षा में युवा पत्रकारों की भूमिका’ विषय पर राष्ट्रीय व्याख्यान में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि यदि हमारे देश के बच्चे स्वस्थ नहीं हैं, सुरक्षित नहीं है और शिक्षित नहीं है तो हमारे देश का भविष्य भी स्वस्थ, सुरक्षित और शिक्षित नहीं होगा। भारत की महानता बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और स्वतंत्रता में है। इसलिए युवा पत्रकारों को बच्चों के अधिकारों के लिए अपनी लेखनी चलानी चाहिए। स्वामी विवेकानंद की जयंती के प्रसंग पर श्री सत्यार्थी ने ऑनलाइन माध्यम से पत्रकारिता के विद्यार्थियों को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में भोपाल परिसर में विद्यार्थी, शिक्षक एवं अधिकारी-कर्मचारी कोरोना संक्रमण के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए प्रत्यक्ष शामिल हुए, जबकि विश्वविद्यालय के रीवा, खंडवा, नोएडा परिसर और सम्बद्ध अध्ययन संस्थाओं के विद्यार्थी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। बच्चों के अधिकारों के लिए कार्य करने वाले प्रख्यात समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी ने बताया कि उनके जीवन पर स्वामी विवेकानंद के व्यक्तित्व का बहुत प्रभाव है। किशोर अवस्था से ही उनकी प्रेरणा के केंद्र स्वामी विवेकानंद रहे हैं। अभी भी स्वामी जी के विचारों से ऊर्जा मिलती है। उन्होंने कहा कि जब भारत सोने की चिड़िया था, तब भारत विश्वगुरु भी था। वह केवल ज्ञान को स्थानांतरित करने वाला विश्वगुरु नहीं था। वह नैतिकता को जीता था। इसलिए दुनिया हमसे सीखती थी। श्री सत्यार्थी ने कहा कि पत्रकारिता और निर्भयता, दोनों एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं। पत्रकारिता से यदि नैतिकता चली गई तो समझिए शरीर से आत्मा चली गयी। उन्होंने कहा कि सत्य का अन्वेषण करने वाले और उसको समाज में प्रसारित करने वाले लोगों को पुरोहित कहा जाता है। वर्तमान परिस्थिति में ये पुरोहित पत्रकार हैं। पत्रकार अग्नि के रूप हैं। अग्नि से ही अग्नि जलती है। जब आप लोग समाचार, आलेख या वीडियो बनाएंगे तो वह कई गुना होकर समाज के पास पहुंचेगी। अब यह आपको तय करना है कि आप समाज में नकारात्मकता, ईर्ष्या, घृणा और द्वेष को अपनी लेखनी से पहुंचना चाहते हैं या फिर स्नेह और संवेदना के शब्दों को समाज में पहुंचना चाहते हैं। उन्होंने युवा पत्रकारों से कहा कि आप नकारात्मकता की आग जलाएंगे तो समाज जलेगा और यदि सकारात्मकता की अग्नि जलाएंगे तो उससे समाज प्रकाशित होगा। अपने जीवन और बच्चों के संदर्भ में किये गए प्रारम्भिक प्रयासों का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि मेरे जीवन की शुरुआत भी एक पत्रकार के रूप में ही हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि मैं उस दिन की कल्पना करता हूँ, जहाँ कोई अनाथालय न हो और न कोई वृद्धाश्रम हो। ऐसा भारत ही वास्तव में सर्वशक्तिमान होगा। उन्होंने कहा कि आज बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा करना जरूरी है। बच्चों के अधिकारों के विषय में युवा पत्रकारों को चर्चा करनी चाहिए। युवा पत्रकारों के सामने स्वामी विवेकानंद के आदर्शों एवं संदेशों का उल्लेख करते हुए कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि आप नवाचार करने मत घबराईये। कोई क्या कहेगा, यह भी मत सोचिये। अगर अपना संकल्प शुभ है, काम के प्रति आपका समर्पण मजबूत है तो उसे कीजिये। स्वामी विवेकानंद कहते थे कि आप जब भी कोई नया काम करेंगे तो सबसे पहले लोग आपका उपहास उड़ाएंगे, उसके बाद आपका विरोध करेंगे, आप इस सबका सामना करते हुए ईमानदारी से अपना काम करते रहेंगे तो आखिर में सब आपका समर्थन करने लगेंगे। उन्होंने कहा कि युवाओं को स्वयं पर विश्वास करना चाहिए। स्वामी जी कहते थे वे नास्तिक उसे नहीं मानते जो ईश्वर पर विश्वास नहीं करता है, बल्कि नास्तिक वह है जो स्वयं पर विश्वास नहीं करता। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. रामदीन त्यागी ने संचालन किया और धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश बाजपेयी ने किया। हिन्दुस्थान समाचार/राजू-hindusthansamachar.in

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