कोरोना काल में मौत का डर भी व्यवसायिक लाभ के लालच को हरा नहीं पा रहा
रतलाम,30 अप्रैल (हि.स.)। कोरोना संक्रमण काल में मरीजों की संख्या निरंतर बड़ रही है और कोरोना से मृतकों का आंकड़ा भी हाल ही में तेजी से बड़ा है और भविष्यवाणियां भी हुई है कि कोरोना काल की यह दूसरी-तीसरी लहर लोगों के लिए जानलेवा बनेगी। इसी दृष्टि से देश-प्रदेश के साथ ही जिले में भी कोरोना कर्फ्यू प्रभावशील किया गया है। इसका मुख्य कारण यही है कि सामाजिक दूरी का पालन हो और लोग मास्क का उपयोग कर स्वयं का जीवन और सामने वाले के जीवन को बचाए। इसी दृष्टि से व्यवसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध कर कई बंदिशें लगाई गई है ताकि सामाजिक दूरी का कड़ाई से पालन किया जाए लेकिन इसके बावजूद भी लोग इसका पालन नहीं कर रहे है, इसलिए शासन रोज नए-नए आदेश जारी कर लोगों को पालन करने के कड़े निर्देश दे रहा है। बाजार में लोग चोरी-छिपे व्यवसाय कर रहे है, लापरवााहियां अधिक हो रही है। दुकानें बाहर से बंद और अंदर से चालू है। यहां से संक्रमण अधिक फैलने की पूरी संभावना बनती है। लोग केवल अपनी आमदानी एवं मनमाने दाम वसूलने के चक्कर में संक्रमण की भयावता की अनदेखी कर रहे है। साथ ही जो लोग कोरोना गाईड लाईन का पालन करते हुए शासन को सहयोग कर तालाबंदी का समर्थन कर रहे है उनका दोहरा नुकसान हो रहा है। लोगों को व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा में काफी नुकसान हो रहा है और एक लम्बी तालाबंदी के कारण कई लोग बेरोजगारी का शिकार हुए है। लोगों का दैनिक जीवन भी संकट में पड़ गया है,लेकिन उसके बावजूद भी जनसुरक्षा की दृष्टि से शासन के जो आदेश है उसका कड़ाई से पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है। ग्रामीण इलाकों में बढ़ रहे है मरीज ग्रामीण इलाकों में हालांकि शासन ने किल-कोरोना अभियान के तहत कोरोना संक्रमण की जांच की टोलियां घर-घर जा रही है ताकि कोरोना संक्रमित मरीजों का पता लगाया जा सके। यह निर्देश हाल ही में हुए है, लेकिन इसके पहले भी ग्रामीण इलाकों में उपचार की व्यवस्था की गई है साथ ही जांच की भी। लेकिन अफसोस की बात यह है कि जितनी सख्ती से लोगों को सामाजिक दूरी का पालन करना चाहिए वह नहीं हो रहा है। विवाह समारोह भी हो रहे है उनमें भी सीमा से अधिक लोग एकत्र हो रहे है, जिससे भी कोरोना के मरीज बढ़ रहे है। वैक्सीन को लेकर अभी भी भ्रम लोगों में अभी भी भ्रम की स्थिति है कि वैक्सीन लगवाना स्वास्थ्य के लिए घातक है, इस भ्रम को दूर करने के लिए कई सामाजिक संगठन जागरूक होकर लोगों को समझाईश दे रहे है, लेकिन वैक्सीन का जो प्रतिशत है वह अपेक्षाकृत कम ही है जिसे बढ़ाया जाना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में सामाजिक दूरी और मास्क का उपयोग पूरी तरह से नहीं हो रहा है यह खबरें भी आ रही है। प्रशासकीय अमला तो इस दिशा में सक्रिय है, जनप्रतिनिधि भी लोगों को समझाईश दे रहे है कि मास्क अनिवार्य रुप से लगवाए, लेकिन लोग परवाह नहीं करते।यही कारण है कि ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। कस्बा स्तर पर जांच का केंद्र हो कस्बा स्तर पर कोविड मरीजों की जांच का कोई केंद्र न होने से सारा दबाव रतलाम के कोविड सेंटरों पर है। यदि कस्बा स्तर पर ही कोविड सेंटर बना दिए जाए तो मरीजों को रतलाम नहीं आना पडेगा और ना ही मेडीकल कालेज सहित अन्य कोविड सेंटरों पर दबाव पड़ेगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सुविधायुक्त बनाया जाएं जिले मेंं कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, कई डाक्टर है, लेकिन पेरामेडिकल स्टाफ नहीं और कहीं तो डाक्टर ही नहीं है और संसाधनों की भी कमी है। ऐसे में साधारण मरीजों का उपचार भी नहीं हो पा रहा है तो कोविड मरीजों का उपचार कैसे हो, इसलिए आवश्यक है कि जिले के कस्बाई स्थानों पर विशेषकर बाजना, सरवन, ढोढर, सुखेड़ा, पिपलौदा, बिलपांक, धराड़, धामनोद, नामली, मंडावल जैसे बड़े कस्बों में सुविधा युक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हो, साथ ही सैलाना, आलोट,ताल जैसे बड़े कस्बों में पर्याप्त स्टाफ युक्त अस्पताल हो ताकि मरीजों का उपचार वहीं हो सके। वर्तमान में लचर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण इस कोरोना काल में स्वास्थ्य सेेवाएं संकट के दौर से गुजर रही है। सारा खर्च स्वास्थ्य सेवाओं पर हो रतलाम मुख्यालय पर भी हालांकि प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि आक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए भरसक प्रयत्न कर रहे है, रेमडेसिविर जैसा महत्वपूर्ण इंजेक्शन भी मुश्किल से उपलब्ध हो रहा है, ऐसे में स्थाई कार्ययोजना बनाकर स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करना होगा तथा सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं जो समाज सेवा के नाम पर अन्य कार्यों में खर्च करती है वह सारा खर्च स्वास्थ्य सेवाओं पर ही करना चाहिए। रतलाम में कई लोग है जो विदेशों में सर्विस कर अच्छी आमदानी करते है उनकी मदद भी ली जाना चाहिए, इससे रतलाम में जीवन और मौत के बीच जो लोग संघर्ष कर रहे है उनके जीवन को बचाया जा सके। हिन्दुस्थान समाचार / शरद जोशी