इंदौर-बैतूल रेल परियोजना पहुंची ठंडे बस्ते में

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हरदा, 15 जुलाई (हि.स.)। जिले के आदिवासी क्षेत्र के लोगों के लिए लाई जाने वाली इंदौर-बैतूल रेल परियोजना पर फिलहाल कोई प्रगति नहीं दिख रही है। जिले के आदिवासी क्षेत्र को रेल सुविधा से जोड़कर रोजगार और आवागमन के शुभ अवसर उपलब्ध कराने वाली रेलवे बोर्ड की महत्वकांक्षी परियोजना इंदौर-बैतूल रेलवे लाइन लंबे समय से ठंडे बस्ते में कैद है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की अनदेखी, उदासीनता व निष्क्रियता से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को यह अनुपम सौगात मिलते-मिलते रह गई। इससे आदिवासी क्षेत्र सीधे इंदौर से जुड़ जाता, रोजगार, आवागमन के अवसर के साथ-साथ माल भाड़े में भी कमी आती है। इस योजना के ठंडे बस्ते में कैद होने से विकास के शुभ अवसर खुलने वाले थे, बंद पड़े हैं। इस पर कब गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा और रहनुमा बनकर इस लंबित पड़ी रेलवे लाइन को पुनरू अपडेशन सर्वे कराकर उसे मूर्त रूप देने की दिशा में उल्लेखनीय कदम उठाएगा, यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है।

बता दें कि पश्चिम मध्य रेलवे की महत्वाकांक्षी रेल परियोजना इंदौर-बैतूल रेलवे लाइन सत्र 2012-13 में स्वीकृत हुई थी और सर्वे भी हो चुका था। इसकी कुल लंबाई 308 किलोमीटर है, इंदौर, बुधनी, खातेगांव व हरदा होते हुए बैतूल जाना था। सत्र 2019 में सर्वे कार्य पूरा हो चुका है, इसी से इंदौर-जबलपुर रेलवे लाइन भी जुड़ा है। बुधनी में सेक्शन का काम भी चल रहा है, खातेगांव मागलिया होते हुए जबलपुर जाना है। इसकी लंबाई 120 किमी है 178 किमी वहीं खातेगांव से है, इसके लिए 2866 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं। अलग-अलग कार्य के लिए बजट पृथक से स्वीकृत किया गया है, 29 करोड,“ 175 करोड़, 125 करोड़ व 14 करोड इस प्रकार कुल 3200.28 करोड़ों रुपए स्वीकृत हुआ है।

इंदौर-बैतूल रेलवे लाइन से सोडलपुर सहित तमाम क्षेत्र रेल सुविधा से जुड़ेंगे इसमें चौतरफा विकास का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। इंदौर-बैतूल जाने के लिए वर्तमान में भोपाल व इटारसी होकर जाना पड़ता है, जिसमें धन और समय का अपव्यय होता है। लंबित पड़ी रेलवे लाइन पुनरू मंजूर होकर काम शुरू होता है तो इसका लाभ इंदौर, बैतूल, हरदा व देवास जिले की जनता को मिलेगा । आदिवासी बाहुल्य तीनों जिले सीधे महानगर से जुड़ जाएंगे, इस इंदौर-बैतूल रेलवे लाइन के बनने से दक्षिण भारत की दूरी काफी कम हो जाएगी।

अभी तक हरदा-बैतूल संसदीय क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने प्रमुखता से इस मुद्दे को उठाया नहीं, इसीलिए केंद्र सरकार ने इस पर अब तक पुर्नविचार नहीं किया है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि इस लंबित परियोजना की मांग उठाकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के लोगों के हक व हित की मांग करते तो निश्चित रूप से लोगों को बहुमूल्य सौगात मिल जाती।

इंदौर-बैतूल रेलवे परियोजना से रोजगार और आवागमन की सुविधा का हित जुड़ा हुआ है। आदिवासी काफी पिछड़े हैं, इंदौर से सीधे जुड़ जाएंगे, रोजगार के भरपूर अवसर मिलेंगे, सस्ती आवागमन की सुविधा मिलेगी, माल भाड़े में भी कमी आएगी, माल-भाड़ा बस एवं ट्रक परिवहन से काफी अधिक लगता है। इसमें कमी आएगी इससे चार जिलों के लोगों का हित जुड़ने के अलावा दक्षिण भारत की दूरी करीब पौने दो सौ किलोमीटर कम हो जाएगी। इसे येन-केन प्रकारेण चालू करवाने की दिशा में पहल करने की आवश्यकता है।

इस संबंध में हरदा-बैतूल संसदीय क्षेत्र सांसद प्रतिनिधि अमर सिंह पटेल ने कहा कि इंदौर-बैतूल रेलवे लाइन स्वीकृति और सर्वे के बाद 2012-13 से लंबित है। आदिवासियों के हक व हित से जुड़ी इस महत्वकांक्षी रेल परियोजना को पुनरू माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में मंजूरी दिलवाने की दिशा में पहल की जाएगी। सांसद महोदय इस दिशा में रेलवे मंत्री सहित अन्य रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर काम चालू कराने की मांग करेंगे । संसद में इस मुद्दे को उठा कर ठंडे बस्ते में परियोजना को चालू करवाने की दिशा में हर संभव प्रयास किया जाएगा। आदिवासियों को रोजगार और आवागमन के अवसर उपलब्ध कराकर माल-भाड़े में सहूलियत प्रदान की जाएगी।

वहीं हरदा कांग्रेस कमेटी जिलाध्यक्ष ओम पटेल ने कहा कि इंदौर-बैतूल रेलवे लाइन आदिवासियों के हक व हित से जुड़ी रेलवे लाइन है। इसे पुनरू स्वीकृत कराकर मंजूरी दिलाने की दिशा में उल्लेखनीय कदम उठाया जाना चाहिए। जहां एक ओर इससे आवागमन की सुविधा मिलेगी वहीं दूसरी ओर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/प्रमोद सोमानी

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