अमरकंटक में कोरोना असर: पर्यटकों की जगह धार्मिक स्थलों पर पसरा है सन्नाटा

corona-effect-in-amarkantak-silence-prevails-at-religious-places-instead-of-tourists
corona-effect-in-amarkantak-silence-prevails-at-religious-places-instead-of-tourists

अनूपपुर, 29 अप्रैल (हि.स.)। देशव्यापी कोरोना संक्रमण से अनूपपुर की पवित्र नगरी अमरकंटक के धार्मिक स्थल के साथ पर्यटन क्षेत्र भी प्रभावित हुआ हैं। लॉकडाउन से पूर्व सामान्य दिनों प्रतिमाह लाखों की संख्या में देशी सैलानियों के साथ विदेशी पर्यटक अमरकंटक की रमणीय स्थल को देखने पहुंचते थे, वैश्विक महामारी कोरोना लॉकडाउन में अमरकंटक में सन्नाटा पसरा है। बाहर से पर्यटकों का जत्था नहीं पहुंच रहा है। इससे जहां स्थानीय व्यापारियों और होटल संचालकों को नुकसान हो रहा है, वहीं पर्यटकों के आगमन से नगरपालिका को होने वाली आय भी प्रभावित होती जा रही है। बताया जाता है कि यह सिलसिला अप्रैल माह के ज्यादा प्रभावी हो गया, वहीं हाल के दिनों में अमरकंटक में भी कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने पर स्थानीय नागरिकों ने भी भीड़ भाड़ से दूरी बना ली है। जिसके कारण अब नर्मदा मंदिर परिसर में सन्नाटा पसरा है। धार्मिक स्थलों खासकर माई की बगिया, सोनमूडा, कपिलधारा, दूधधारा जैसे स्थल वीरान नजर आने लगे हैं। ऐसे हालात पिछले वर्ष लॉकडाउन के दौरान भी देखने को मिली थी, लेकिन पिछले वर्ष परिवहन सुविधा बंद होने के कारण पूर्ण सन्नाटा था, जबकि इस बार सुविधाओं के बाद भी संक्रमण से बचने सैलानी अमरकंटक नहीं पहुंच रहे हैं। कोरोना संक्रमण से बचाने नर्मदा मंदिर के पुरोहितों के अलावा अन्य के प्रवेश वर्जित कर दिए गए हैं। नर्मदा मंदिर में रोजाना मंदिर पुजारियों द्वारा ही पूजा पाठ किया जा रहा है। विदित हो कि पिछले वर्ष भी दो माह अप्रैल और मई माह में अमरकंटक में लॉकडाउन के दौरान एक भी पर्यटक दर्शन के लिए नहीं पहुंचे थे। तीन माह में साढे तीन लाख पर्यटकों ने किया दर्शन नगरपालिका अमरकंटक की जानकारी के अनुसार अमरकंटक में पिछले तीन माह के दौरान लगभग साढे तीन लाख सैलानियों ने अमरकंटक का भ्रमण किया और मां नर्मदा के दर्शन किए। इनमें जनवरी माह के दौरान 75 हजार पर्यटक, फरवरी माह के दौरान 1 लाख 30 हजार तथा मार्च माह के दौरान 1 लाख 45 हजार पर्यटक अमरकंटक पहुंचे। माना जाता है कि फरवरी और मार्च माह के दौरान नर्मदा जयंती, महाशिवरात्रि जैसे आयोजन हुए। जबकि इससे पूर्व वर्ष 2020 में लगभग 12 लाख 72 हजार 5 पर्यटक पहुंचे थे। इनमें अप्रैल और मई माह में आंकड़ा शून्य था। जबकि जून में 18 हजार, जुलाई में 35 हजार, अगस्त में 10 हजार, सितम्बर में 25 हजार और अक्टूबर में 22 हजार पर्यटक आए थे। जबकि नवम्बर में 72 हजार और दिसम्बर में 1 लाख 25 हजार पर्यटकों ने अमरकंटक के विहंगम दृश्यों व धार्मिक स्थलों का लुफ्त उठाया था। क्यों है आस्था और पर्यटक के लिए प्रसिद्ध वैदिक मान्यताओं के अनुसार गंगा में नहाने से जबकि नर्मदा के दर्शन मात्र से ही मानव के कष्टों का हरण होता है। कहा जाता है कि भगवान शिव की पुत्री नर्मदा जीवनदायिनी नदी रूप में यहीं से बहती है। नर्मदा पुराण के अनुसार जब समुद्र मंथन में निकले विष को शिव ने ग्रहण किया तो कंठ में अटके विष के असर की व्याकुलता में ब्रह्मांड का चक्कर काट रहे भगवान शिव इसी मैकल सतपुड़ा की पहाडियों पर ठहरे, जहां कंठ के पास से पसीने के रूप में निकला एक बूंद पसीना अमरकंटक में गिरा और इसी शिव के पसीने की बूंद से माता नर्मदा कन्या रूप में उत्पत्ति हुई। माता नर्मदा को समर्पित यहां अनेक मंदिरों में नर्मदा और शिव मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, श्रीराम जानकी मंदिर, श्री सूर्यनारायण मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, गुरू गोरखनाथ मंदिर, वंगेश्वर महादेव मंदिर, दुर्गा मंदिर, शिव परिवार, सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, श्रीराधा कृष्ण मंदिर और ग्यारह रूद्र मंदिर बने हुए है। इसके अलावा धुनी पानी गर्म झरना, सोनमुदा सोन नदी का उदगम स्थल भी है। विश्व की दुलर्भ औषधियों का भंडार अमरकंटक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी पौधो के लिए भी प्रसिद्ध है। गुलबकावली, ब्राह्मनी, जटाशंकरी, सफेद मूसली, काली मूसली, जटामानसी, भालूकंद, अमलताश, सर्पगंधा, भोगराज, जंगली हल्दी, श्याम हल्दी सहित हर्रा, बहेरा और आवंला भरपूर संख्या में उपलब्ध है। हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in