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नदी में मिल रहा कॉलरी से निकलने वाला दूषित पानी, प्रदूषित हुई नदी

अनूपपुर, 03 मई (हि.स.)। नगरपालिका बिजुरी में पेयजल व्यवस्था बनाए जाने के लिए एसईसीएल बहेराबांध कॉलरी प्रबंधन द्वारा 10 हजार लीटर क्षमता के फिल्टर प्लांट की स्थापना बहेराबांध में की गई है। जिसमें रोजाना हजारों लीटर खदान के भीतर का पानी कनई नदी में उतर रहा है। फिल्टर प्लांट से निकलने वाला यह गंदा तथा प्रदूषित जल नदी में उतर कर कनई नदी के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है। कोयला कण युक्त पानी से नदी का पानी भी काला पड़ गया है और काईयुक्त हो गया है। बताया जाता है कि फिल्टर प्लांट से निकलने वाले गंदे पानी को संग्रहित करने के लिए पूर्व में स्थानीय लोगों की आपत्ति के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हस्तक्षेप पर कॉलरी प्रबंधन के द्वारा यहां सेटलिंग टैंक का निर्माण कराया गया था। जिससे बहने वाले गंदे पानी को नदी में प्रवाहित होने से रोका जा सके। लेकिन इसके बाद भी गंदा पानी कनई नदी में प्रवाहित हो रहा है। कॉलरी प्रबंधन की मनमानी कनई नदी का जल स्थानीय लोगों के द्वारा निस्तार के लिये वर्ष भर उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही स्थानीय लोगों के मवेशी इसका उपयोग पेयजल के रूप में करते हैं। गंदे तथा दूषित पानी के सेवन से उनके स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ रहा है। नदी के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे को लेकर नगरपालिका भी असंवदेनशील बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार कोयलायुक्त पानी से नदी का तल कोयले की परत से पट गया है। जबकि पानी भी काला दिखने लगा है। अगर नदी का अस्तित्व समाप्त होता है तो आसपास पानी की और समस्या उत्पन्न हो जाएगी। हजारों लीटर गंदा पानी प्रतिदिन हो रहा प्रवाहित बहेराबांध कॉलरी से उत्पादन के बाद निकलने वाले काले पानी की सप्लाई कॉलरी प्रबंधन के द्वारा फिल्टर प्लांट में की जाती है। जिससे संशोधित होकर निकलने वाले जल को टैंकर के माध्यम से नगर में वितरित किया जाता है। जबकि जल संग्रहण के लिए बने टैंक से बहकर हजारों लीटर गंदा पानी कनई नदी में प्रवाहित होता है। हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला

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