Consumers deprived of pure milk even after charging arbitrary price
Consumers deprived of pure milk even after charging arbitrary price

मनमाने दाम वसूलने के बाद भी शुद्ध दूध से वंचित उपभोक्ता

गुना, 10 जनवरी (हि.स.)। जिलेभर में कुकुरमुत्तों की तरह दूध डेयरियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इनके संचालक शुद्ध दूध का दावा कर उपभेाक्ताओं से मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। इसके बाद भी उपभोक्ता के विश्वास से दगाकर उसे मिलावटी दूध दिया जा रहा है। दूध में केवल पानी ही नहीं बल्कि हानिकाकर केमिकल व मिल्क पाउडर मिलाया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। इस बात की पुष्टि प्रशासन द्वारा समय-समय पर दूध डेयरी व पैकिंक कर बेचने वाले प्लांटों पर की गई कार्रवाई केे दौरान मिली सामग्री से हो चुकी है। लेकिन अब तक जितने भी सैंपल खाद्य एवं औषधि विभाग ने जांच के लिए भेजे हैं, उनमें हानिकारक केमिकल मिलाए जाने की पुष्टि नहीं हुई है। यह दावा विभाग के अधिकारियों का ही है। जानकारी के मुताबिक जनता को शुद्ध खाद्य पदार्थ उपलब्ध हों, इनमें विक्रेता मिलावट न कर सकें। शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन कराने की जिम्मेदारी प्रशासन व खाद्य एवं औषधि विभाग की है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी पिछले काफी समय से औपचारिक कार्रवाई कर अपने कर्तव्य की इतिश्री करने में लगे थे। यही कारण है कि कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के निर्देश पर जब से मिलावटखोरों के खिलाफ अभियान के रूप में कार्रवाई शुरू हुई है तब से बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आ रही हैं। जिसका ताजा उदाहरण शनिवार को औद्योगिक क्षेत्र स्थित दुग्ध प्लांट है। जहां बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई है। इस मामले के बाद उपभोक्ताओं का खुले व पैकिंग दूध से विश्वास उठ गया। जिले भर की कुल रजिस्टर्ड डेयरियों की संख्या 100 के करीब है, जबकि इतनी डेयरी तो केवल जिला मुख्यालय पर ही हैं। डेयरी संचालक दूधियों से फैट के आधार पर 30 से लेकर 40 रुपये में प्रति लीटर दूध खरीदते हैं। जिसे वह उपभोक्ता को 40 से 50 रुप.े प्रति लीटर बेच रहे हैं। लेकिन बदले में उपभोक्ता को वह क्वालिटी नहीं देते। दूध से फैट निकालकर उसमें अन्य पदार्थों की मिलावट कर देते हैं। जिससे उपभोक्ता को पीने पर पता ही नहीं चल पाता। लेकिन यह दूध धीरे-धीरे शरीर के लिए हानिकारक सिद्ध होने लगता है। परिणामस्वरूप लगातार दूध का सेवन करने वाले व्यक्ति को पेट से संबंधित विकार सामने आने लगते हैं। कई लोगों को तो गंभीर बीमारी होने की स्थिति में तब पता चलता है जब डॉक्टर जांच कराता है और उसमें सामने आता है कि यह बीमारी किस बजह से हुई है। प्लांट संचालक रोहित ने एसडीएम के समक्ष खुलकर कहा कि वह इस धंधे में 25 साल से है। इस दौरान विभाग के अधिकारी कई बार सैंपल ले जा चुके हैं। पिछले साल ही 12 सैंपल भरे थे जिनमें से मात्र 2 अमानक पाए गए। इनमें भी सिर्फ पानी मिलाने की पुष्टि हुई थी। उल्लेखनीय है कि अब तक जितने भी सैंपल अमानक पाए गए है उनमें सिर्फ जुर्माना हुआ है, इससे मिलावटखोरों को खास फर्क नहीं पड़ रहा। - यह बोले जिम्मेदार जिले भर में रजिस्टर्ड दूध डेयरियों की संख्या 100 के करीब है। वहीं दूध पैकिंग प्लांट दो ही पंजीकृत हैं। शेष डेयरियां बिना लाइसेंस के संचालित हैं। अभी तक जितने भी हमने खुले व पैकिंग दूध के सैंपल भेजे हैं। उनमें से किसी की भी रिपोर्ट में हानिकारक केमिकल मिलाए जाने की पुष्टि नहीं हुई है, सिर्फ अमानक पाए गए हैं। नवीन जैन, प्रभारी, खाद्य एवं औषधि विभाग हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक-hindusthansamachar.in

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