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मधुमेह वाले कोरोना मरीजों के उपचार के रखना होंगी ये सावधानियाँ बरतें : डॉ. लोकेन्द्र दवे ने

-वीडियो काँफ्रेंसिंग के माध्यम से चिकित्सकों को निर्देश भोपाल, 18 मई (हि.स.)। संभागायुक्त कवीन्द्र कियावत ने संभाग के सभी जिलों के बीएमओ को निर्देश दिए हैं कि पहले से मधुमेह से पीड़ित कोरोना मरीजों के उपचार में सावधानी बरतें। श्री कियावत वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से संभाग के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन, प्रभारी कोविड अस्पताल को संबोधित कर रहे थे। श्री कियावत ने कहा कि ब्लैक फंगस के संक्रमण से उत्पन्न लक्षणों का चिन्हांकन कर त्वरित उपचार करें, कोविड संदिग्ध और पॉजीटिव रोगी और स्वस्थ हो चुके छुट्टी प्राप्त कोविड रोगियों में मधुमेह का उचित चिन्हांकन एवं नियंत्रण रखें, ब्लैक फंगस से होने वाले रोगों के प्रति सजग रहकर रोगियों का उचित उपचार किया जाना सुनिश्चित करें। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संभागायुक्त श्री कियावत और अधीक्षक हमीदिया चिकित्सालय डॉ. लोकेन्द्र दवे ने संभाग के सभी ब्लॉक में उपस्थित चिकित्सकों से वन टू वन चर्चा के दौरान कहा कि कोरोना से ग्रसित और मधुमेह पीड़ित ऐसे मरीजों को चिन्हित अथवा उपचार के दौरान सावधानियां बरती जाएं जिससे ब्लैक फंगस की बीमारी की रोकथाम की जा सके। इस दौरान डॉ. दवे ने चिकित्सकों से चर्चा के दौरान कहा कि ऐसे मरीज जो कोरोना से गंभीर अवस्था में है और मधुमेह बीमारी से पीड़ित भी है तो उन्हें आवश्यकता अनुरूप एस्टारायड़ दिया जाए ताकि मधुमेह पीड़ित व्यक्ति को फंगल इंफेक्शन होने की संभावना कम हो सके। डॉ. दवे ने बताया कि दीवार पर सीलन, नमी और मधुमेह ग्रसित व्यक्ति को हवा के माध्यम से फंगल इंफेक्शन होने की संभावना रहती है जो प्राय: अब तक के प्राप्त केसेस के आधार पर देखे गए हैं। उन्होंने इसके लिए मधुमेह और कोरोना संक्रमित मरीजों को अत्याधिक सावधानीपूर्वक इलाज उपलब्ध कराने के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मधुमेह पीड़ित व्यक्ति को एस्टारायड़ की मात्रा कम दें ताकि इंफेक्शन होने की संभावना नहीं रहें। उन्होंने आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन मास्क, कैनुला को बदलने तथा डिस्लरी वाटर उपयोग करने की सलाह दी। अधीक्षक डॉ. दवे ने जानकारी देते हुए बताया कि माइल्ड, एसिम्टोमेटिक और मॉडरेट कोरोना मरीजों को बेहतर उपचार और प्रबंधन के लिए कोविड केयर सेंटरों और डीसीएससी में लक्षण के आधार पर मेडिकल किट उपलब्ध कराएं जिससे ऐसे मरीज गंभीर अवस्था में नहीं पहुँचें। उन्होंने बताया कि कोरोना मरीजों को जिन्हें 101 डिग्री बुखार 48 घंटे तक भी बना रहता है और कमजोरी तथा ऑक्सीजन सैच्यूरेशन 94 से नीचे आ रहा है तो उन्हें तत्काल ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखकर उपचार दिया जाए। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन सपोर्ट पर भर्ती मरीज जिनका सैच्यूरेशन 90 से नीचे हो तो उन्हें 1/2 लीटर, 85 सैच्यूरेशन वाले मरीजों को 5 से 6 लीटर ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा जाए और जरूरत के मुताबिक रेमडिसीवर इंजेक्शन का डोज दिया जाए। श्री कियावत ने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से चिकित्सकों से चर्चा के दौरान ब्लैक फंगस के संक्रमण को रोकने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने कोविड-19 के पुष्ट रोगी के साथ-साथ कोविड-19 के संदिग्ध रोगी एवं कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्तियों में डायबिटीज की प्रतिदिन निगरानी रखे जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन रोगियों को चिकित्सीय परामर्श अनुसार स्टेरॉयड दिया जा रहा है, उनमें रेंडम ब्लड शुगर स्तर की दैनिक निगरानी हर 8 घंटे के अंतराल पर सुनिश्चित की जाये। किसी भी स्थिति मे स्टेरॉयड एवं ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स का अनावश्यक अनुचित सेवन नहीं कराया जाये। मरीजों के लिये उपयोग होने वाला ऑक्सीजन मास्क, कैनुला को नियमित रूप से सैनेटाइज किया जाये। अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों में संक्रमण के नियंत्रण के लिए प्रोटोकॉल का पूर्ण पालन किया जाये। वहीं, डॉ. दवे ने यह भी बताया कि ब्लैक फंगस संक्रमण की पहचान रोगियों के नाक, मुख और आँख से काले कण अथवा काला रिसाव होना, नाक बंद होना, नाक के आस-पास गालों की हड्डियों में दर्द, चेहरे में दर्द, लगातार सिर दर्द होना, जबड़े, दांत, आँख में दर्द, बुखार आना, शरीर में नील पड़ना, साँस लेने में परेशानी होना, सीने में दर्द, फेफड़ों में पानी आना, खून की उल्टी होना, मुँह से बदबू आना और मानसिक भ्रम जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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