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बोरबन तालाब फर्जीवाड़ा: नेपानगर की तत्कालीन एसडीएम विशा माधवानी को संभागायुक्त ने किया निलंबित

- 6 दिन पहले सहायक लेखापाल भी किया जा चुका है निलंबित - वास्तविक हकदारों को नहीं दिया था मुआवजा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्जी खाते खोलकर फर्जीवाड़े के लगे हैं आरोप बुरहानपुर, 29 जून (हि.स.)। खकनार तहसील के ग्राम चौखंडिया स्थित बोरबन तालाब फर्जीवाड़े मामले में देर से ही सही तत्कालीन एसडीएम पर कार्रवाई हुई। इंदौर संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने मंगलवार को तत्कालीन एसडीएम विशा माधवानी के निलंबन आदेश जारी किए तो वहीं करीब छह दिन पहले 24 जून को तुकईथड़ जिला सहकारी बैंक के सहायक लेखापाल को भी जिला सहकारी बैंक द्वारा निलंबित कर दिया गया था। तत्कालीन एसडीएम माधवानी फरार है। जबकि नागनपुरे जेल में है। गौरतलब है कि चौखंडिया के ग्रामीणों ने मुआवजा नहीं मिलने की शिकायत की थी। जिस पर बुरहानपुर के आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. आनंद दीक्षित ने कलेक्टर प्रवीण सिंह को शिकायत की थी। शिकायत को संज्ञान में लेते हुए कलेक्टर ने जांच एडीएम शैलेंद्रसिंह सोलंकी को सौंपी। एडीएम ने जांच में पाया कि नौ लोगों ने मुआवजा वितरण में फर्जीवाड़ा किया। जिसके बाद उनके खिलाफ नेपानगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। इस मामले में पांच आरोपितों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। जबकि चार अब भी फरार चल रहे हैं। जिनमें तत्कालीन एसडीएम विशा माधवानी भी शामिल हैं। संभागायुक्त ने निलंबन आदेश में लिखा, 51.44 लाख के मुआवजा वितरण का प्रतिवेदन मिलने पर की कार्रवाई मंगलवार शाम को संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा की ओर जारी आदेश में कहा गया कि रामेश्वर कल्लु निवासी चौखंडिया तहसील खकनार जिला बुरहानपुर द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व नेपानगर के समक्ष होकर आवेदन प्रस्तुत किया था कि उसे खसरा नंबर 190 तथा 194 की भूमि बोरबन तालाब योजना में अधिग्रहित किए जाने के उपरांत आज तक भू-अर्जन की मुआवजा राशि नहीं मिली। शिकायत की जांच अपर कलेक्टर द्वारा की गई। उनकी ओर से 15 जून को प्रतिवेदन सौंपा गया। जिसमें भूमि सर्वे नंबर 190 की मुआवजा राशि 17.36 लाख 780 रूपए तथा अधिग्रहित भूमि के सर्वे नंबर 194 की मुआवजा राशि 24.20 लाख के भुगतान में गंभीर अनियमितता होकर उक्त मुआवजा राशि 41.57 लाख 544 मूल भूमि स्वामियों को नहीं दी जाकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्जी खाते खोलकर निकाला जाना प्रतिवेदित किया है। इस संबंध में थाना नेपानगर में नौ आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 406, 409, 467, 471 व 120 बी भादंवि के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी। पुलिस द्वारा प्रकरण में विवेचना की जा रही है। इस मामले में डिप्टी कलेक्टर व तत्कालीन नेपानगर एसडीएम विशा माधवानी को भी अभियुक्त बनाया गया है। तत्कालीन एसडीएम ने अपने कर्तव्यों के प्रति गंभीर लापरवाही बरती निलंबन आदेश में संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने कहा कि सुश्री माधवानी द्वारा अपने पदीय कर्तव्यों के प्रति गंभीर लापरवाही व उदासीनता बरती गई। इस संबंध में पुलिस विवेचना जारी है। सुश्री माधवानी का यह कृत्य मप्र सिविल सेवा आचरण नियम, 1965 के नियम-3 के विपरित होने से, उन्हें मप्र सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के नियम-9 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाकर उनका मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय अलीराजपुर निर्धारित किया जाता है। इस दौरान उन्हें जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी। और इधर..... 17 जून को नागनपुरे को पुलिस ने हिरासत में लिया, 24 जून को निलंबन जिला सहकारी बैंक की तुकईथड़ शाखा के सहायक लेखापाल अशोक नागनपुरे के खिलाफ भी पुलिस ने फर्जीवाड़े में शामिल होने पर केस दर्ज किया था। उसे 17 जून को हिरासत में लिया गया था। जिला सहकारी बैंक के सीईओ अरूण हरसोले ने बताया कि 24 जून को हमने उनके निलंबन आदेश जारी कर दिए थे। जारी आदेश में कहा गया कि अशोक नागनपुरे के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध होने पर उन्हें निलंबित किए जाने के लिए निर्देशित किया गया। जिसके बाद 24 जून को उनके निलंबन आदेश जारी किए गए। निलंबन अवधि के दौरान नागनपुरे को नियमानुसार निर्धारित जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय प्रधान कार्यालय खंडवा नियत रहेगा। हालांकि नागनपुरे फिलहाल जेल में है। हिन्दुस्थान समाचार/निलेश जूनागढ़े

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