बहुत बड़ा निकला भोपाल का अवैध चिल्ड्रन होम्स मामला, जर्मनी से चल रहा धर्म परिवर्तन का खेल!

Bhopal children conversion: भोपाल के अवैध रूप से संचालित आंचल चिल्ड्रन होम मामले में एक नया मोड़ आया है। बताया जा रहा है कि इसकी पूरी फंडिंग जर्मनी से की जा रही थी।
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। भोपाल के अवैध रूप से संचालित आंचल चिल्ड्रन होम मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। इसका संचालक अनिल मैथ्यू कैथोलिक चर्च की एक बड़ी मशीनरी के साथ काम कर रहा था। जांच में सामने आई जानकारी की मानें तो इस काम में अनिल मैथ्यू को कई चर्चों का सपोर्ट मिल रहा था, वहीं खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले कई लोग भी इस जाल में शामिल थे। समाज सेवा और बालिकाओं की पढ़ाई के नाम पर इस चिल्ड्रन होम से ह्यूमन ट्रैफिकिंग का एक बड़ा रैकेट चल रहा था। ये भी सामने आया है कि इस पूरे मामले के तार विदेशी फंडिंग से भी जुड़े हैं।

छापे के दौरान क्या मिला?

ये रैकेट काफी समय से चल रहा है। दरअसल राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो , राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष द्रविन्द्र मोरे, सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा एवं ओंकार सिंह ने जब इस चिल्ड्रन होम पर छापा मारा तब उन्हें भी अंदाज नहीं था कि मामला इतना गंभीर है। आंचल नाम के इस चिल्ड्रन होम में कुल 68 बच्चियां रजिस्टर्ड मिलीं। जिनमें से 41 बच्चियां ही मौके पर पाई गईं। वहीं अन्य को घर वापस भेजने की बात कही गई।

इसकी शिकायत पर परवलिया पुलिस ने शनिवार को हॉस्टल संचालक और पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। वहीं, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग  ने मुख्य सचिव वीरा राणा से सात दिन में जांच रिपोर्ट मांगी। जिसमें महिला बाल विकास विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए लापरवाही बरतने के नाम पर अपने एक पूर्व परियोजना अधिकारी समेत तीन लोगों को सस्पेंड कर दिया गया हैं। अब इसमें भी खुलासा हुआ है कि जिन लोगों को सस्पेंड किया गया, उनका तो इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।। सीएम मोहन यादव को दिखाने के लिए विभाग के अधिकारियों ने यह दिखावटी कार्रवाई को अंजाम दिया है।

रजिस्ट्रेशन क्यों नहीं था

आंचल चिल्ड्रन होम का रजिस्ट्रेशन तक नहीं कराया गया था। यहां रखी गईं सभी बच्चियां सड़क और रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू कर लाई गईं थीं। इनमें कुछअनाथ बच्चियां भी थीं।  जो एनजीओ सरकारी एजेंसी चाइल्ड लाइन के रूप में बच्चों को रेस्क्यू कर रही थी। उसी ने बच्चों को गुपचुप ढंग से इस अवैध बाल गृह में रखा था। इसमें कन्वर्जन की प्रैक्टिस कराए जाने के ढेरों सबूत हाथ लगे है। भोपाल-इंदौर रोड स्थित इस चिल्ड्रन होम से जो लड़किया अपने घर जाना बताई गईं थी।  वे भी इसीलिए यहां से घर जाने का बहाना बनाकर कुछ दिन का अवकाश लेकर जाने की बात कहकर इसलिए भागी थी।  क्योंकि उन्हें यहां का माहौल और ईसाई प्रार्थना एवं दिनभर- ईसाई बनाए जाने का मनोविज्ञान रास नहीं आ रहा था। इस संबंध में अब एक से बढ़कर एक खुलासे हो रहे हैं।

जर्मनी से हो रही थी फंडिंग!

आंचल चिल्ड्रन होम कांड में जर्मनी से फंडिंग हो रही थी। इसका खुलासा देखकर कोई भी यकीन नहीं कर पाया। कि अकेले जर्मनी से ही सीएमआई व डाई स्टर्न सिंगर ने की करोड़ों की फंडिंग हुई थी। आंचल चिल्ड्रन होम का संचालन कर रही संजीवनी सर्विसेस सोसाइटी को जर्मनी से लगातार करोड़ों की फंडिंग मिली है, जिसके साक्ष्य सामने आ गए हैं। इस संस्था को फंड देने वाले ज्यादातर लोग जर्मनी की कार्मेलाइट्स ऑफ मेरी इमैक्यूलेट (सीएमआई) नाम की संस्था से जुड़े पाए गए हैं।

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