अनूपपुर : कुपोषित बच्चों पर कोरोना की तीसरी लहर का खतरा अधिक
-जिले में बचाव के संसाधनों का अभाव, बचाने नहीं बनी रणनीति अनूपपुर, 22 मई (हि.स.)। जिले में कुपोषण के खिलाफ जंग में विभागीय जिम्मेदारों की अनदेखी अब कोरोना की तीसरी लहर के लिए मुसीबत साबित हो सकती है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने जहां वृद्धों के साथ युवाओं को अपनी गिरफ्त में लिया है, वहीं तीसरी लहर में बच्चों को प्रभावित करने की आशंकाएं जताई जा रही है। लेकिन इन बच्चों में कुपोषित बच्चों के सर्वाधिक संक्रमित होने की आशंकाएं विशेषज्ञों ने जताई है। शिशु विशेषज्ञों का मानना है कि कुपोषित बच्चों में रक्त की कमी के कारण इम्युनिटी पावर कम होती है, जिसमें संक्रमण से लडऩे की क्षमता कम होने पर बच्चों को अधिक नुकसान पहुंचेगा। ऐसे में जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना की तीसरी लहर के दौरान ऐसे कुपोषित बच्चों को बचाने कोई रणनीति नहीं तैयार की गई है। हालात यह बने हुए हैं कि कोरोना संक्रमण के दौरान मैदानी अमले द्वारा उनके पोषण,विकट परिस्थितियों में स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने कोई जानकारी नहीं प्रदान किए जा रहे हैं। यहीं नहीं जिले में कुपोषित बच्चों को पोषित बनाने बनाए गए पोषण पुनर्वास केन्द्र खाली पड़े हैं। जिले में पोषण पुनर्वास केन्द्र के रूप में संचालित पांच केन्द्रों अनूपपुर, जैतहरी, कोतमा, राजेन्द्रग्राम और करपा में वर्तमान में बिस्तर खाली पड़े हैं। जबकि इन पांच पोषण पुनर्वास केन्द्र पर बच्चों को भर्ती करने की निर्धारित 70 बिस्तर उपलब्ध हैं। इससे पूर्व मार्च माह के दौरान पूरे सेंटर पर लगभग 140 बच्चों की भर्ती की जगह मात्र 67 नौनिहाल को भी भर्ती किया जा सका था। कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की संख्या महिला बाल विकास विभाग के अनुसार जिले में 0 से छह माह और तीन से पांच वर्ष तक के कुल 59361 नौनिहाल हैं। इनमें अनूपपुर में 14260, जैतहरी में 15533, कोतमा में 8686 और पुष्पराजगढ़ में 20882 बच्चे हैं। विकासखंड अनूपपुर में सामान्य पोषण 12374 मध्यम गम्भीर कुपोषण 1372 अतिगम्भीर कुपोषण 177, जैतहरी सामान्य पोषण 13509 मध्यम गम्भीर कुपोषण 1217 अतिगम्भीर कुपोषण 91,कोतमा सामान्य पोषण 8419 मध्यम गम्भीर कुपोषण 906 अतिगम्भीर कुपोषण 87 एवं पुष्पराजगढ़ सामान्य पोषण 17280 मध्यम गम्भीर कुपोषण 2181 अतिगम्भीर कुपोषण 261 हैं। 18 वर्ष तक 3.40 लाख से अधिक बच्चें, इंतजाम 50 बिस्तर जिले में लगभग 3.40 लाख से अधिक बच्चें हैं। जिला चिकित्सालय में मात्र शिशुओं के उपचार की सुविधा है। यहां एसएनसीयू, पीआईसीयू और किशोर वार्ड संचालित हैं। इनमें एसएनसीयू में 20 बेड, पीआईसीयू में 10 और किशोर वार्ड में 20 बिस्तर की सुविधा है। एसएनसीयू और पीआईसीयू वार्ड के लिए आठ चिकित्सकों के पद स्वीकृत है, जिनमें वर्तमान में तीन ही उपलब्ध हैं। पांच रिक्त हैं। सीएचसी स्तर पर चिकित्सकों व संसाधनों का अभाव है। तीसरी लहर के लिए नहीं टीम गठित न गांवों का सर्वेक्षण भले ही दूसरी लहर अब समाप्त होती नजर आ रही है, लेकिन तीसरे के आने की आशंकाएं बढ़ गई है। ऐसे में जिला व स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा कुपोषित बच्चों की जांच पड़ताल या सर्वेक्षण के लिए कोई टीम नहीं गठित की गई है। प्रशासन द्वारा हर बार स्वास्थ्य, महिला बाल विकास विभाग से घरों का सर्वेक्षण कराते हुए कुपोषित बच्चों की जानकारी, और गम्भीर बच्चों को पोषण केन्द्र भेजने के निर्देश दिए जाते हैं। लेकिन 194 नियमित और 84 एएनएम और 899 आशा कार्यकर्ताओं की टीम के बाद भी कुपोषित बच्चें पोषण केन्द्र नहीं पहुंच पाते। पुनर्वास केन्द्र भेजने में विभागीय जिम्मेदार एक दूसरे पर पल्ला झाड़ देते हैं। विभागिय अधिकारियों द्वारा शासन के निर्देशों अनुरूप कार्य करने की बात कहीँ। हिन्दुस्थान समाचार/राजेश शुक्ला