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माँ रतनगढ़ व मां राजेश्वरी के दरवार में देखने मिलते हैं अद्भुत चमत्कार

दतिया, 14 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र नवरात्री के प्रारंभ होते ही जिले के सभी देवी मंदिरो में भक्तगणो की भीड़ रहती है। चाहे वह माँ पीताम्बरा का दरवार, माँ धूमवती, विजयकाली बड़ी माता मंदिर, इंदरगढ़ शीतला माता, भाण्डेर रामगढ़ माता, विछोदना में बछेतर माता, माँ रतनगढ़ माता, सिरोल में मां राजेश्वरी माता का दरवार, खैरी माता, माँ शक्ति की उपासना लोग तरह-तरह से करते और यह सब की माँ की शक्ति व भक्ति का चमत्कार है। नौ दिन तक अन्न,जल त्याग पूरे शरीर पर जवारो का मेला हो या पैदल यात्रा, नंगे पैर माँ रतनगढ़ के दरवार में पहुंचना चाहें स्त्री हो पुरूष हो या बच्चें यह सब माँ की महिमा का कमाल है। जिससे आज यह पूरा संसार एक आस्था और विश्वास पर टिका है, परन्तु इस बार कोरोना संक्रमण के चलते सभी देवी माता के मंदिरो में सुनसान दिखाई दे रहा है। पुलिस का पहरा और मंदिरो के बाहर लगे ताले, कोरोना वायरस के चलते कोई भक्तगण इन मंदिरो में साधना के लिए नहीं पहुंच पा रहे है, और अपने घरो पर ही माँ की आराधना और इस बीमारी से मुक्ति की प्रार्थना कर रहे है। विदित हो कि ग्वालियर चम्बल संभाग के सबसे बड़े प्रक्षेत्र मेले का दतिया से लगभग उत्तर की दिशा में स्थित जंगल में विराजी मां रतनगढ़ के नाम से प्रसिद्ध माता मंदिर पर हर वर्ष भक्तगण लाखों की संख्या में पहुंचते है जहाँ माँ उनकी मनोकामना पूरी करती है। माता मण्डला देवी के नाम से प्रसिद्ध मंदिर म.प्र. के अलावा उत्तर प्रदेश के कई जिलों से भी भक्तों ने आस्था एवं विश्वास का केन्द्र बनी मां रतनगढ़ के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते है। जिला मुख्यालय से तकरीबन 70 किलो मीटर दूर तहसील सेंवढ़ा के अंतर्गत घने जंगल एवं पर्वतों की तलहटी से ऊॅची चोटी पर स्थित मॉ रतनगढ़ के दरबार में नवरात्र प्रारंभ होते ही हवन भजन, एवं देवी के नौ दिन चलने वाले अनुष्ठान पूरी आस्था के साथ शुरू होता है। देवी रतनगढ़ माता का मंदिर ऐतिहासिक है और चमत्कारिक जहाँ दीपवली की दौज पर सर्प बंधन से मुक्त लाखों की संख्या में पीड़ित पहुंचते है और माँ का चमत्कार की वहाँ पहुंचने पर ही उसके सारे शरीर का विष दूर होकर पुनः नये जीवन को प्राप्त कर लेते है, परन्तु इस बार माँ रतनगढ़ के दरवार में भी लोग नहीं पहुंच पा रहे है। सच्चे मन से माता से जो मांगता है उसकी मनोकामना पूरी होती है दतिया से मात्र 10 किलो मीटर दूर ग्राम सिरौल में मां राजेश्वरी के दरवार में दूर-दूर से भक्तों का तांता लगा हुआ है। नवरात्रि के पावन पर्व पर हर वर्ष की भाँति इस बर्ष भी लोग काफी संख्या में पहुंचते है। मंदिर के पुजारी भागवताचार्य सिद्धशरण पाठक ने हिस को बताया माँ के दरवार में जो एक बार आता है उसकी हर मुराद पूरी करती है आज तक कोई भी खाली हाथ नहीं लौटा माँ के दरवार में आने पर लोगों को सुख सम्रद्धि प्राप्त होती है। जो भी सच्चे मन से माता से जो मांगता है उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है माता ने कई महिलाओं की झोलियां भरी है नवरात्री पर नौ दिन हवन, पूजन, यज्ञ, अनुष्ठान प्रतिदिन चलता रहता है। यहां प्राचीन राधाकृष्ण का भी मंदिर है। जिसकी स्थापना वर्षो पुरानी हुई थी। हिन्दुस्थान समाचार / संतोष तिवारी/राजू

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