9th-to-11th-century-paramara-period-remains-found-in-excavation-in-mahakal-temple
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महाकाल मंदिर में खुदाई में मिल रहे 9वीं से 11वीं शताब्दी के परमारकालीन अवशेष

* जमीन के भीतर से ढेरी के रूप में मिल रहे पुरावशेष उज्जैन,04 जून(हि.स.)। महाकाल मंदिर में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत परिसर को बड़ा करने के लिए हो रही खुदाई के बीच जमीन के अंदर से प्राचीन पुरावशेष मिल रहे हैं। अभी तक कुल निर्माण के 20 प्रतिशत हिस्से की खुदाई में ही निकल रहे अवशेषों ने पुरातत्वविदें को चौंका दिया है। वहीं शोध का विषय बने ये भग्नावशेष बताते हैं कि मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा उस समय तोड़े गए मंदिरों के ही हैं। इसके प्रमाण पुरातत्वविद् देते हैं। पुरातत्वविद् शुभम केवलिया के अनुसार जो अवशेष इस समय मिल रहे हैं, वे 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच के हैं। महाकाल मंदिर का शिखर स्वरूप परमारकालीन है। ऐसे में यह तय है कि उसी काल के आसपास ये सभी निर्माण हुए होंगे। यहां खुदाई में मिले अवशेषों को लेकर केवलिया ने बताया कि- ''मुगलों द्वारा जब हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को तोड़ा जाता था,तब दो तरह से वे विध्वंस फैलाते थे। यदि हिंदू देवता या पुरूष की प्रतिमा है तो उसका सिर तोड़ दिया जाता था। वहीं देवी या स्त्री की प्रतिमा को तोड़ा जाता था तो प्रतिमा का चेहरा और वक्ष को तोड़ दिया जाता था। अर्थात् मिलनेवाले भग्नावेशों की यह पुरातात्विक पहचान शोध के बाद सामने आई है। चूंकि अभी खुदाई में जो भारवाहक मिला है,वह पुरूष स्वरूप में बलुआ पत्थर पर बनाया गया था। क्योंकि उसका केवल चेहरा ही टूटा हुआ है। केवलिया के अनुसार गुप्तों का भी उज्जैन में राज रहा है। अभी की महाकाल मंदिर के सामने हुई खुदाई में मिट्टी के बर्तन मिले हैं। ये बर्तन गुप्त काल के हैं। उसके बाद गुर्जर-प्रतिहारों का राज रहा। पश्चात परमार आए। इन अवधियों में परमारकाल में बलुआ पत्थरों से निर्माण हुए क्योंकि धार के समीप बलुआ पत्थरों की खदानें है। परमार काल में बेसाल्ट चट्टान से निर्माण हुए हैं,जोकि महाकाल मंदिर में स्पष्ट दिखाई देते हैं। यहां हो रही है चूक: मंदिर प्रशासन दे ध्यान मंदिर परिसर में स्मार्ट सिटी के तहत होनेवाले निर्माण कार्यो को लेकर ठेकेदार का ध्यान केवल जमीन को नीचे तक खोदना और नींव उठाना है। जबकि केवलिया का कहना है कि खुदाई में जेसीबी का प्रयोग नहीं करना चाहिए,क्योंकि खुदाई में महत्वपूर्ण प्राचीन भग्नावशेष मिल रहे हैं। ऐसे में खुदाई का तरीका बदलना होगा। अभी करीब 20 प्रतिशत ही खुदाई हुई है। उन्होंने कहा कि जेसीबी से खुदाई हो रही है,ऐसे में भग्नावशेष जोकि अलग-अलग काल के होंगे,मिक्स होकर ढेर के रूप में मिल रहे हैं। मानों खण्डित होने के बाद उन्हें एक जगह एकत्रित करके रख दिया गया होगा। यदि थोड़ा रूका जाए तो संभव है कि आनेवाले समय में ऐसे राज उजागर हों,जो देश की प्राचीनता के नए आयाम स्थापित करें। हिंदुस्थान समाचार/ललित ज्वेल

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