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अनूपपुर जिले में 70 हजार तेंदुपत्ता संग्राहकों को मिल रहा रोजगार

अनूपपुर, 14 जून (हि.स.)। कोरोना महामारी के बावजूद जिले के 70 हजार तेंदुपत्ता संग्राहकों को इस वर्ष रोजगार मिला। जिले में इस वर्ष भी कोरोना संकट के बावजूद संग्राहकों ने मेहनत करते हुए विभाग के लक्ष्य के अनुरूप 17200 मानक बोरा पत्तों की तुडाई करते हुए अनुमानित 4 करोड़ 40 लाख के आय जुटाने में मदद की। जानकारों का मानना है कि अनूपपुर में पूर्व में शेर छाप बीड़़ी उद्योग की गोदाम दशकों पूर्व से बंद है। बताया जाता है कि वनविभाग में लघुवन उपज के रूप में सर्वाधिक राजस्व और पत्तों की तुड़ाई से जुड़े लोगों को रोजगार देने का सबसे बड़ा जरिया तेंदुपत्ता का कारोबार है। इसकी पत्तियां बीड़ी बनाने के काम आती हैं। फरवरी से आरम्भ होकर मई-जून तक चलने वाले अल्प अवधि के इस कारोबार में जिले के 70 हजार से अधिक संग्र्राहक को रोजगार के साथ आय प्राप्त होता है। इसमें एक परिवार दो माह के रोजगार में 8-10 हजार से अधिक की आय प्राप्त होती है। इसमें वनविभाग भी प्रतिवर्ष अपने वनीय क्षेत्रों के साथ वन क्षेत्र के पैच एरिया से लगे नए राजस्व क्षेत्रों में तेंदुपत्ता को तुड़ाई कर विभाग को करोड़ों का आय देता है। इस वर्ष भी जिले में तेंदुपत्ता की तुड़ाई का कारोबार शासन द्वारा निर्धारित किए गए पूर्व वर्ष के लक्ष्य की भांति पूरा किया, जिसमें अब गोदाम भंडारण का कार्य कराया जा रहा है। वन उपमंडलाधिकारी मान सिंह मरावी बताते हैं कि इस वर्ष जिले के तेंदुपत्ता की तुड़ाई 17200 मानक बोरा निर्धारित की गई थी। इससे लगभग विभाग को 4 करोड़ 40 लाख की सम्भावना है। जिसे अब गोदामों में भंडारण किया जा रहा है। एक मानक बोरा लगभग 1000 गट्ठी तथा एक गट्ठी 50 पत्तों की बनी होती है। जिले में तेंदुपत्ता की तुड़ाई में 23000 परिवारों का जॉब कार्ड बना हुआ है, जिनसे लगभग 70 हजार संग्राहक पत्तों की तुड़ाई में जुटते हैं। इनमें काम करने वाले संग्राहक को 2500 मानक बोरी की दर से भुगतान होता है। इससे परिवार के सदस्य जितना अधिक मेहनत कर पत्तों की तुड़ाई करते हैं, उनका आय उतना अधिक बनता है। लेकिन एक संग्राहक की पौने दो माह से दो माह के बीच लगभग 8-10 हजार की आय बन आती है। इसके बाद वनविभाग वनीय क्षेत्रों में होने वाले कार्य, पौधारोपण में इनकी मदद लेता है। जबकि अधिकांश संग्राहक तेंदुपत्ता के कार्य के बाद पंचायत स्तर पर मनरेगा योजना के कार्यो में लग जाते हैं। जिले में पत्ता संग्रहण के लिए बनी हैं 8 समिति वन उपमंडलाधिकारी के अनुसार जिले में 7 वनपरिक्षेत्र हैं। इनमें अनूपपुर, जैतहरी, कोतमा, बिजुरी, राजेन्द्रग्राम, अमरकंटक और अहिरगवां शामिल हैं। इन वन क्षेत्रों के साथ इनसे सटे राजस्व विभाग के पैच एरिया में भी तेंदुपत्ता की तुड़ाई कर संग्रहण किया जाता है। जिलेभर में लगभग 300 हेक्टेयर राजस्व पैच एरिया हैं। इसके लिए जिले में 8 प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समिति भी गठित की गई है। जिनमें अनूपपुर, जैतहरी, वैंकटनगर, कोतमा, बिजुरी, मझगवां, बेनीबारी और बसनिहा समिति है। बीडी बनाने लायक पत्तों के लिए प्रतिवर्ष स्थल का चयन विभागीय अधिकारी के अनुसार वनविभाग तेंदुपत्ता की तुडाई में यह ध्यान दिया जाता है कि बीडी बनाए जाने वाले फार्मा के अनुसार ही पत्तों की साइज की तुड़ाई हो। इसके लिए क्षेत्र का चयन प्रतिवर्ष किया जाता है। इसमें फड के प्राथमिक केन्द्र के बाद उप फड के लिए आसपास के 3-4 गांवों को शामिल किया जाता है, इसमें यह देखा जाता है कि फड कहां अच्छा है। इसके बाद इसके तीन भाग में बांट दिए जाते हैं, इनमें एक आज, कल और आने वाले समय के लिए नक्शा बनाकर ट्रीटमेंट किया जाता है। यह 15-20 मार्च के बीच किया जाता है। इसके बाद 1 मई से 31 मई के बीच तुड़ाई का कार्य पूरा किया जाता है और इसके बाद 10 जनवरी तक बारिश से पूर्व परिवहन कर गोदामी कार्य किया जाता है। तेंदुपत्ता से पूरे प्रदेश में लगभग 500-600 करोड़ की आय होती है। बारिश से नुकसान भी, बाहरी संग्राहकों का भी खतरा वन उपमंडलाधिकारी के अनुसार कभी कभी बारिश के सीजन जल्द से आरम्भ होने के कारण सूखे पत्तों के खराब होने का भी खतरा बना रहता है। इसमें परिवहन के कारण समितियों तक तेंदुपत्ता पहुंच नहीं पाते और गीला होने पर सड़ जाते हैं। वहीं पत्तों की तुड़ाई के दौरान बाहरी जिलों के संग्राहकों द्वारा भी रात के समय पत्तों की तुड़ाई कर नुकसान पहुंचाया जाता है। 50 फीसदी भुगतान पत्तों के कारोबार से शासन को होने वाले करोड़ों की आय में संग्राहकों को अपने मेहनत के परिणाम के लिए लम्ब समय भी इंतजार करना पड़ता है। वर्तमान में शासन द्वारा समय बीत जाने के बाद भी मात्र 50 फीसदी संग्राहकों के खाते में राशि भेजी है। जबकि आधे से अधिक संग्राहकों के खातों में राशि नहीं पहुंची है। उप वन मंडलाधिकारी मान सिंह मरावी ने बताया कि इस वर्ष 17200 मानक बोरा का लक्ष्य निर्धारित था, जिसे पूरा किया गया है। अभी गोदाम में भंडारण का कार्य कराया जा रहा है। इससे जिले के 23000 हजार परिवारों को रोजगार और आय प्राप्त होता है। हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला

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