मप्र में 50 आदर्श महाविद्यालय बनाए जाएंगे, जनवरी से शुरू होंगी विज्ञान की कक्षाएं : उच्च शिक्षा मंत्री
देशभर में मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के कार्य को सराहा भोपाल, 29 दिसम्बर (हि.स.)। मध्यप्रदेश सरकार आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के आधार पर काम कर रही है। उच्च शिक्षा विभाग भी आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के अंतर्गत विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अकादमिक गुणात्मक पर काम कर रहा है। देशभर में मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के कार्यों को सराहा गया है। प्रदेश में 50 महाविद्यालयों को आदर्श बनाया जाएगा। वहीं, जनवरी से विज्ञान की कक्षाएं शुरू की जाएंगी। यह बातें प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को भोपाल में आयोजित एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में बताया कि भले ही प्रदेश में निजी महाविद्यालयों की संख्या शासकीय महाविद्यालयों से अधिक हो, लेकिन राज्य में छात्र और छात्राओं की संख्या प्राइवेट महाविद्यालयों की तुलना में शासकीय महाविद्यालयों में ही अधिक है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में इस समय 517 सरकारी कॉलेज है जबकि निजी तौर पर 890 महाविद्यालय संचालित किए जा रहे हैं जहां तक एडमिशन की बात है तो इन दोनों में ही बड़ा अंतर हमें देखने को मिलता है। शासकीय महाविद्यालय में चार लाख 11 हजार से अधिक एडमिशन हुए हैं जबकि अब तक निजी महाविद्यालयों में एडमिशन की संख्या कुल एक लाख 56 हजार के करीब है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रत्येक विद्यार्थी से प्रतिमाह जो राशि ली जाती है, उसको हम अलग से रखकर ऐसे ही उनके स्वाबलंबन के कार्यों में उसे खर्च कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग सरकारी महाविद्यालयों के बंद होने की बात कर रहे हैं या कुछ महाविद्यालयों को बंद करने की गलतफहमी फैला रहे हैं, वास्तव में शासन ऐसा कुछ भी नहीं करने वाला है। सरकार ने तय किया है कि जिन महाविद्यालयों में संख्या 33 िहै उनका संविलियन पास के किसी महाविद्यालय में कर दिया जाए। उन्होंने उदाहरण महाविद्यालय का उदाहरण दिया और बताया कि वहां पर कुल 33 संख्या में छात्र-छात्राएं है, जबकि एक कॉलेज चलाने में स्वर में एक से सवा करोड़ तक का खर्चा आता है इसलिए शासन ने यह निर्णय लिया है कि वह 200 कालेजों का उन्नयन करें और संविलियन करते हुए उन्हें अन्य के साथ जोड़ दें। उन्होंने उच्च शिक्षा के तहत विश्वविद्यालयों की स्थिति पर भी प्रकाश डाला और बताया कि लगातार प्रदेश के विश्वविद्यालय उन्नति कर रहे हैं वर्तमान में सरकार के 14 वर्ष विश्वविद्यालय है। तीन प्रकार के विश्वविद्यालय प्रदेश में है एक विशेष प्रकार के विश्वविद्यालय जोक कला संस्कृति या विशेष उद्देश्य शुरू किए गए दूसरे सामान्य विश्वविद्यालय और तीसरे निजी विश्वविद्यालय। उन्होंने बताया कि 1 विद्यार्थी पर मध्यप्रदेश शासन 9000 रुपये उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से खर्च कर रहा है। उच्च शिक्षा नीति को व्यवहार में लाने के प्लान को लेकर कहना था कि हमने बहुत छोटे स्तर तक विचार करते हुए सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में अपने रूपरेखा तैयार की है और उस पर काम करना भी शुरू कर दिया है। अगले वर्ष यानी 2021 में यह आप सभी के देखने में आना शुरू हो जाएगा, लेकिन वास्तविक स्वरूप में 2023 तक आपके ध्यान में आएगा कि मध्य प्रदेश पूरी तरह उच्च शिक्षा नीति के नए प्लान को साकार करने में सफल रहा है। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश / उमेद-hindusthansamachar.in