राम काज किन्हें बिना मोहे कहाँ विश्राम, राम मंदिर के लिए हर घङी पल शुभ मुहूर्त
रतलाम, 26 जुलाई (हि.स.)। आगामी 05 अगस्त को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या में सदियों से प्रतिक्षित प्रभु श्री राम के मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। राम काज तो रामजी की इच्छा से ही होता है, जिसे योग्य व पात्र समझे उससे करा लेते हैं। राम सेतु का श्रेय पवनपुत्र हनुमान को मिला तो, नैया पार कराने का श्रेय केवट को मिला, तंबू में राम लला की पूजा अर्चना प्रारंभ कराने का श्रेय तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को मिला, रामकृपा जिस पर हो गयी वो राम कृपालु हो गये, वो हनुमंत हो गये और कह दिया राम काज किन्हें बिना मोहे कहाँ विश्राम। वरिष्ठ पत्रकार रहे पंडित मुस्तफा आरिफ ने इस संबंध में एक आलेख लिखा है, जिसमें कहा कि मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस कथन से सहमत हूँ कि 500 सालों की प्रतीक्षा के बाद ये अवसर आया है, इसलिए 5 अगस्त को होंने वाला भूमि पूजन शुभ मुहूर्त में हो रहा है। संत महात्मा श्रद्धालु प्रपंच में न उलझे और 5 अगस्त के दिन दीवाली मनाये, अखंड रामायण और सुन्दर कांड का पाठ करें। मेरा मानना है कि ये संत महात्मा शासन प्रशासन की इच्छा नहीं है, अपितु राम काज के लिये राम जी की इच्छा हैं कि समय के शासक भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर निर्माण का शुभारंभ करने के लिए भूमि पूजन करें। हम सब भारत वासियों को पलक पावङे बिछाकर इसका स्वागत करना चाहिए। रामजन्म भूमि पर मंदिर निर्माण में अविस्मरणीय भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा से लेकर सीबीआई की अदालत में हाल ही में ऑनलाईन बयान तक का मै स्वयं भी प्रत्यक्षदर्शी रहा हूं। वैसे तो सारा देश उनके इस अमूल्य योगदान का गवाह है। यहां मैं लिखने से तात्पर्य मैं स्वयं हूँ, ऐसा इसलिए लिख रहा हूं कि रामजी ने मुझे भी राम काज में शामिल होने का सौभाग्य दिया है। बात मई 1992 की है, जब उज्जैन के सिंहस्थ महापर्व में आयोजित विश्व हिंदू परिषद् की कार्य परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि बाबरी ढांचे को ध्वस्त किये बिना मंदिर निर्माण संभव नहीं है। इस बैठक की रिपोर्टिंग मेरे द्वारा इंदौर से प्रकाशित एक अखबार के ब्यूरो प्रमुख के रूप में की गई और अखबार ने प्रमुखता से प्रकाशित की। जब 6 दिसम्बर 1992 में बाबरी ढांचे को ध्वस्त किया गया और सीबीआई ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, महंत वेदान्ती सहित अनेक धार्मिक व राजनैतिक हस्तियों पर प्रकरण किया गया और 1023 गवाह बनायें तब मिडिया की और से मुझे भी बतोर गवाह शामिल किया गया। इसमें से 340 की गवाही ली गयीं। 28 सितम्बर 2018 को सीबीआई विशेष अदालत में मेरे बयान हुए। इस तरह प्रभु श्री राम के काज में हनुमंत सेना का अंगद बनने का अवसर रामजी ने मुझे भी दिया। सीबीआई विशेष अदालत लखनऊ में चल रहै । बाबरी ढांचे को ध्वस्त करने के आरोपियों और 340 गवाहों के बयान के बाद अब फैसले का इंतजार है। हालांकि इस फैसले का राम मंदिर निर्माण से लेना देना नहीं है, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला कर दिया है और प्रक्रिया प्रारंभ होकर मंदिर निर्माण के लिए न्यास के गठन के साथ भूमि पूजन की शुभ घङ़ी आ गयी है। विघ्न संतोषी तत्वों का काम ही विघ्न पैदा कर के शुभ काम को रोकना है, इनमें संत महंत भी शामिल है, सबका अपना अपना स्वार्थ और अपनी अपनी दुकान हैं। परंतु सर्वोपरि राम काज और रामजी की इच्छा है, और हाल फिलहाल सितारे मोदीजी के पक्ष में है, जिसे स्वीकार करने में ही राष्ट्र कल्याण व सनातन हित हैं। ये बात निर्विवादित सत्य है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की ये दिन दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका और सुझबुझ रहीं हैं। संसद में न्यास के गठन के बिल के साथ साथ भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई को प्रशस्त कर उनकी सरकार ने जन भावना का सम्मान किया है। और यदि राम मंदिर निर्माण का श्रेय उनकी सरकार को जाता है तो इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं हैं। भारत का संपूर्ण जन मानस हिंदू और मुसलमान एकमत हैं, मंदिर निर्माण में सर्वानुमति है, ये बात अपने आप में चमत्कारी है और दर्शाती हैं कि होई है सोई जो राम रची राखा। योग, लगन, ग्रह, वार, तिथि सकल भये अनुकूल। शुभ अरु अशुभ हर्षजुत राम जनम सुखमूल।। हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी-hindusthansamachar.in