नई दिल्ली:रफ्तार डेस्क। अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी यानी आज है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर पूरे देश में भक्ति का माहौल बना हुआ है। इसके लिए देश में उत्साह और खुशी का भी माहौल देखा जा रहा है। राम मंदिर का बन पानासाल 2019 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद संभव हो पाया, चलिए जानते हैं कि वो फैसला सुनाने वाले वो पांच जज अब कहां हैं और क्या कर रहे हैं।
जस्टिस एस अब्दुल नजीर
अयोध्या पर फैसला देने वाली संविधान पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर भी शामिल थे। जस्टिस नजीर जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए। इसके ठीक 1 महीने बाद उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया। हालांकि उनकी नियुक्ति पर खासा विवाद हुआ था और सियासी हंगामा भी मचा था।
जस्टिस अशोक भूषण
जस्टिस अशोक भूषण भी अयोध्या पर फैसला देने वाले पांच जजों की पीठ में शामिल थे। जस्टिस भूषण जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए। इसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण अधिकार यानी NCLAT का अध्यक्ष बना दिया गया।
जस्टिस अरविंद बोबडे
सुप्रीम कोर्ट की पांच चीजों की संविधान पीठ में जस्टिस शरद अरविंद बोबडे भी शामिल थे। जिन्होंने राम मंदिर पर फ़ैसला सुनाया था। रंजन गोगोई के रिटायरमेंट के बाद बोबडे देश के मुख्य न्यायाधीश बने थे। फिर 23 अप्रैल 2021 को रिटायरमेंट होने के बाद वह महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति बने। अभी इस अभी भी इस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एमिरेट्स में उनका नाम शामिल है।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूर्ण
जस्टिस डी वाई चंद्रचूर्ण जिनका पूरा नाम धनंजय यशवंत चंद्रचूर्ण है। ये अयोध्या पर फैसला देने वाली संविधान पीठ का अहम हिस्सा थे। फिलहाल ये उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं और नवंबर 2024 तक इस पद पर बने रहेंगे।
जस्टिस रंजन गोगोई
साल 2019 में जब सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक राम मंदिर पर फैसला सुनाया था। तो उसे वक्त जस्टिस रंजन गोगोई देश के मुख्य न्यायाधीश पद पर थे। वह भी फैसले वाली बेंच का हिस्सा थे। बाद में वह 2019 में रिटायर हो गए। सेवानिवृत्ति के चार महीने बाद तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत कर दिया था।
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