खोरठा भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजें राज्य सरकारः लंबोदर महतो
खोरठा भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजें राज्य सरकारः लंबोदर महतो

खोरठा भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजें राज्य सरकारः लंबोदर महतो

रांची, 25 दिसम्बर (हि. स.)। आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव और विधायक लंबोदर महतो ने राज्य सरकार से खोरठा भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इसको लेकर वह सदन से लेकर सड़क तक मुखर बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम सबको खोरठा भाषा के विकास एवं संवर्धन के लिए निरंतर काम करने की जरूरत है। खोरठा भाषा को समृद्ध एवं विकसित करने के लिए जीन लोगों ने पुस्तक, उपन्यास, कहानी व गजल का लेखन किया है। वह लोग हम सब के अनुकरणीय है। इस बात का ध्यान खोरठा भाषा- भाषियों को भी रखना पड़ेगा। लंबोदर महतो ने बतौर मुख्य अतिथि यह बातें शुक्रवार को प्रेस क्लब के सभागार में झारखंड खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद के तत्वधान में आयोजित श्रीनिवास पानुरी जन्म शताब्दी पर खोरठा दिवस सम्मान समारोह में कहीं। उन्होंने खोरठा भाषा में झारखंड खोरठा आर न्यूज़ शुरू करने की प्रशंसा की और संचालक को धन्यवाद भी दिया। साथ ही कहा कि खुशी की बात है कि खोरठा भाषा की पढ़ाई स्कूल, कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी में हो रही है और यह एक दिन में नहीं हुआ है, बल्कि यह एक लंबे संघर्ष का नतीजा है। इसको देखते हुए हम सबको उमंग व उत्साह के साथ खोरठा भाषा के विकास में सक्रियता से लगे रहने की जरुरत है। इससे पहले श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत्यनारायण मुंडा ने समारोह में आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भाषा संस्कृति एवं परंपरा को आगे बढ़ाने की जरूरत है और ऐसा होने से ही समाज भी आगे बढ़ता है। लिखित ढंग से पुनर्जागरण करने की भी जरुरत है। खोरठा भाषा के लोग खोरठा के विकास में लगे हुए हैं यह प्रशंसनीय कार्य है और इस तरह के प्रयास से ही झारखंड को भी आगे बढ़ेगा। समारोह की अध्यक्षता करते हुए परिषद के अध्यक्ष बीएन ओहदार ने कहा कि खोरठा भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर हम सबको संघर्ष करना पड़ेगा। इसको लेकर राज्य सरकार पर निरंतर दबाव बनाए रखना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि खोरठा भाषा का गौरवशाली इतिहास है। इस क्रम में निर्वाचित होने पर खोरठा भाषा में विधानसभा में शपथ ग्रहण करने पर लंबोदर महतो को एवं मथुरा प्रसाद महतो की अनुपस्थिति में उनके पुत्र दिलीप कुमार महतो को परिषद की ओर से सम्मानित किया गया। समारोह के प्रारंभ में खोरठा भाषा से संबंधित गीत, गजल, उपन्यास व कहानी को लेकर आठ पुस्तकों का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। साथ ही खोरठा भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों में श्रीनिवास पानुरी स्मृति साहित्य सम्मान शिवनाथ प्रमाणिक एवं पंचम महतो को, एके झा स्मृति खोरठा भाषा सम्मान श्याम सुंदर महतो श्याम को, विश्वनाथ दसौंधी राज स्मृति खोरठा पत्रकारिता सम्मान धनंजय प्रसाद एवं गिरधारी गोस्वामी आकाश खूंटी को, खोरठा सेवा सम्मान सुकुमार एवं शांति भारत को, खोरठा कला संस्कृति रत्न प्रदीप कुमार दीपक, प्रेमचंद कालिंदी, प्रयाग महतो, अमिता मधुर, बाल गोविंद प्रजापति एवं गौतम कुमार महतो को, आधुनिक खोरठा गीत- संगीत सिनेमा के क्षेत्र में विनय कुमार तिवारी, अमन राठौर एवं वासुदेव महतो को और खोरठा करील- पोहा पुरस्कार से अशोक कुमार महतो को सम्मानित किया गया। समारोह में अमर कुमार चौधरी एवं वंदना टेटे ने अपने-अपने विचार में ऐसे आयोजन की प्रशंसा की और कहा कि यह खोरठा भाषा के विकास का परिचायक है। परिषद के सचिव सुजीत कुमार ने कहा कि झारखंड में खोरठा भाषा व्यापक क्षेत्र में बोली जाती है। यह भाषा डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों की भाषा बन चुकी है। राज्य के 17 जिले में खोरठा भाषा- भाषी लोग रहते हैं। परिषद का उद्देश्य भाषा के विकास के साथ-साथ समाज का कल्याण भी करना है। समारोह में अतिथियों को अंग वस्त्र, पुष्प एवं पुस्तक देकर सम्मानित किया गया। समारोह की सफलता में दिनेश दिनमणि, अनाम ओहदार, विक्की कुमार, संदीप महतो, बसंत कुमार, प्रोफ़ेसर कुमारी शशि, अजय कुमार एवं राजेश कुमार अपना-अपना अपना सकारात्मक योगदान किया। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण-hindusthansamachar.in

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