अक़ीदत के साथ मनाया गया कुर्बानी का पर्व बक़रीद
अक़ीदत के साथ मनाया गया कुर्बानी का पर्व बक़रीद

अक़ीदत के साथ मनाया गया कुर्बानी का पर्व बक़रीद

रामगढ़, 02 अगस्त (हि.स.) । त्याग और समर्पण का पर्व ईद उल अज़हा पूरे जिले में बेहद सादगी और अक़ीदत के साथ मनाया गया। कोरोना को मद्देनजर रखते हुए मुस्लिम समुदाय ने बकरीद के मौके पर मस्जिदों में जाने के बजाय अपने अपने घरों में ही रह कर नमाज़ें अदा की। नमाज़ के बाद अल्लाह से कोरोना से मुक्ति तथा देश में अमन चैन और खुशहाली के लिए दुआएं की गई। नईसराय के अलावा पूरे जिले में लोगों ने सरकार द्वारा जारी निर्देशों का अक्षरशः पालन किया। इस साल की बकरीद थोड़ी जुदा रही। रविवार को भी मुसलमान भाइयों ने कुर्बानी की रस्म अदाएगी की। कोरोना के कहर से जिसके कारण बकरीद के त्यौहार की रौनक इस बार फीकी रही। लोगों को ईद की खुशी तो थी, लेकिन इसे हर साल की तरह न मना पाने का ग़म भी था। अगर बात करें कुर्बानी की तो हर साल की तुलना में इस बार कुर्बानी बेहद छोटे पैमाने पर दिया गया। रामगढ़ शहर के गोलपार जामा मस्जिद के इमाम मौलाना कलीमुद्दीन रिजवी ने कहा कि कुर्बानी कानून के मुताबिक करें। अगर हालात ठीक ना हो या किसी मजबूरी के कारण कुर्बानी ना कर सकें तो जानवर के बराबर का पैसा गरीब एवं जरूरतमंदों के बीच बांट सकते हैं। छावनी परिषद और नगर परिषद की ओर से शहर के सभी वार्डों में बक़रीद को लेकर साफ सफाई की व्यवस्था दुरुस्त रखा गया। जगह जगह तैनात रही फोर्स ईद की तरह ही बकरीद पर सामूहिक रूप से नमाज़ पर पाबंदी थी। सार्वजनिक स्थलों पर कुर्बानी भी नहीं होनी थी, जिसके चलते पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी दिन भर कड़ी चौकसी में रहे। हर चौक चौराहे के साथ ही मस्जिदों के पास फोर्स की तैनाती थी। हिन्दुस्थान समाचार/ अमितेश/वंदना-hindusthansamachar.in

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