the-doctor-of-sai-health-care-surrounded-in-controversies-said-quotlife-cannot-be-saved-without-moneyquot
the-doctor-of-sai-health-care-surrounded-in-controversies-said-quotlife-cannot-be-saved-without-moneyquot

विवादों में घिरे साईं हेल्थ केयर के चिकित्सक ने कहा, "बिना पैसे के नहीं बचाई जा सकती जान"

11/05/2021 रामगढ़, 11 मई (हि.स.)। कोरोना के नाम पर मरीजों से लाखों रुपये ऐंठने के मामले में विवादों में घिरे साईं हेल्थ केयर अस्पताल के चिकित्सक डॉ मिथिलेश ने कहा कि बिना पैसों के मरीज की जान नहीं बचाई जा सकती। उन्होंने कहा कि मरीज गंभीर अवस्था में उनके अस्पताल में आता है। उस वक्त वह सिर्फ अपनी जान बचाने के लिए कहता है। मैं पूरी मेहनत कर उसकी जान बचाता हूं। रेमडेसिविर इंजेक्शन और प्लाजमा थेरेपी कर मरीजों को मौत से बाहर निकालता हूं। इन सभी चीजों में पैसे खर्च होते हैं। अगर कोई चिकित्सक मेहनत करेगा तो उसके बदले में वह पैसा हर हाल में लेगा। उन्होंने कहा कि उनके अस्पताल में कई गंभीर अवस्था में मरीज आए हैं, जिनको किसी दूसरे अस्पताल ने भर्ती नहीं किया। उन सभी मरीजों पर वह काफी मेहनत करते हैं ताकि उनकी जान बचाई जा सके। ऐसे में मरीजों को मोटी रकम भी खर्च करनी पड़ती है। डॉ मिथिलेश कुमार ने अपने अस्पताल को कोविड-19 हॉस्पिटल में शामिल नहीं किए जाने पर कहा कि वे चिकित्सक के तौर पर मरीजों का इलाज करते हैं। उन्हें अपने अस्पताल को कोविड-हॉस्पिटल में किस तरह शामिल कराना है, इसकी प्रक्रिया का पता भी नहीं है। उन्होंने दावा किया कि उनके 4 बेड कोविड-19 के मरीजों के लिए ही हैं, जिसका अपडेशन वे डीसी ऑफिस के आबिद हुसैन को पिछले 2 दिनों से दे रहे हैं। जहां डॉक्टर नहीं उस अस्पताल को बनाया गया कोविड- हॉस्पिटल डॉ मिथिलेश कुमार ने जिला प्रशासन द्वारा चयनित कोविड-हॉस्पिटल की सूची पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि जितने अस्पतालों को उस सूची में शामिल किया गया है उसमें कई अस्पताल ऐसे हैं जहां डॉक्टर भी नहीं है। वर्तमान में जितने कोविड-19 हॉस्पिटल काम कर रहे हैं वहां ठीक होने वाले मरीजों की संख्या काफी कम है। जो अस्पताल आयुष्मान भारत के लिए अप्रूव्ड है, उन्हीं को कोविड-19 हॉस्पिटल के रूप में चिन्हित किया गया है। इसके लिए ना तो किसी ने सर्वे किया और ना ही किसी ने चिकित्सकों से मशवरा ही मांगा। हिन्दुस्थान समाचार/अमितेश/चंद्र

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in